Kashi Vishwanath Dham Story: काशी यानी बनारस को भगवान शिव का सबसे प्रिय स्थान माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि काशी, भगवान शिव के त्रिशूल की नोक पर टिकी हुई है। भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से काशी विश्वनाथ सातवां ज्योतिर्लिंग है। सावन का महीना शिव भक्तों के लिए बेहद खास होता है। इस साल सावन 11 जुलाई से शुरू हो रहा है, ऐसे में बड़ी संख्या में श्रद्धालु बाबा विश्वनाथ का जलाभिषेक करने काशी पहुंचेंगे।
काशी धाम कैसे बना?
शिव महापुराण के अनुसार, भगवान शिव को पुरुष रूप में “शिव” और स्त्री रूप में “शक्ति” कहा गया है। शिव और शक्ति ने मिलकर सृष्टि के दो मुख्य तत्व, प्रकृति और पुरुष (भगवान विष्णु) की रचना की। लेकिन जब उन्होंने अपने माता-पिता को नहीं देखा तो वे परेशान हो गए। तभी आकाशवाणी हुई और बताया गया कि उन्हें सृष्टि के निर्माण के लिए तपस्या करनी होगी। प्रकृति और विष्णु ने भगवान शिव से पूछा कि हम कहां तपस्या करें? तब भगवान शिव ने तुरंत एक सुंदर और पवित्र जगह बनाई, जो पांच कोस में फैली हुई थी। वहीं दोनों ने शिवजी का ध्यान करते हुए कठिन तपस्या शुरू कर दी।
तपस्या के कारण उनके शरीर से पसीने की बूंदें गिरने लगीं। जब ये बूंदें जमीन पर गिरीं, तो भगवान विष्णु ने सिर हिलाया और वहां एक मणि गिर पड़ी। उस जगह को “मणिकर्णिका” कहा जाने लगा। तपस्या के दौरान निकलने वाले जल से पूरी नगरी बहने लगी, तो भगवान शिव ने अपने त्रिशूल से उसे रोक दिया।
ब्रह्मा जी ने की सृष्टि की रचना
लंबी तपस्या के बाद, भगवान शिव की प्रेरणा से विष्णु की नाभि से एक कमल उत्पन्न हुआ और उसमें से ब्रह्मा जी प्रकट हुए। ब्रह्मा जी ने भगवान शिव के आदेश से सृष्टि की रचना शुरू की। उन्होंने 50 करोड़ योजन लंबा और चौड़ा ब्रह्मांड बनाया और 14 लोकों का निर्माण किया।
काशी को बनाया मोक्ष धाम
भगवान शिव को यह चिंता हुई कि संसार के प्राणी कर्मों में बंधे रहेंगे और मुझे कैसे याद करेंगे। तब उन्होंने अपने त्रिशूल से पांच कोस की पवित्र नगरी को संसार से अलग कर दिया और वहां “अविमुक्ति ज्योतिर्लिंग” की स्थापना की। यही नगरी आगे चलकर “काशी” कहलाई। भगवान शिव ने देवी पार्वती के साथ इस नगरी में स्थायी रूप से निवास करना शुरू कर दिया। तभी से यह नगरी मोक्ष देने वाली और पापों से मुक्त करने वाली जगह मानी जाती है।
क्यों खास है काशी?
मान्यता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से काशी विश्वनाथ के दर्शन करता है, उसके सारे पाप खत्म हो जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसी कारण काशी को मोक्ष नगरी कहा जाता है।
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