Uttarakhand UCC: उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) लागू होने के बाद शादी, तलाक और लिव इन रिलेशनशिप के रजिस्ट्रेशन को लेकर हड़कंप मचा है। 27 जनवरी 2025 को लागू हुए इस कानून के तहत 26 मार्च 2010 से लेकर UCC लागू होने तक की सभी शादियां, तलाक और लिव इन संबंधों का पंजीकरण अनिवार्य कर दिया गया है। इसकी समयसीमा 27 जुलाई 2025 को समाप्त हो रही है, जिसके चलते राज्यभर में अचानक रजिस्ट्रेशन के लिए भीड़ उमड़ पड़ी है। अब तक 2 लाख से अधिक विवाह और 90 लिव इन रिलेशनशिप आवेदन दर्ज हो चुके हैं। खास बात यह है कि रजिस्ट्रेशन नहीं कराने पर जेल और जुर्माने का प्रावधान है, जिससे लोगों में चिंता बढ़ रही है।
UCC की डेडलाइन से मचा हड़कंप, तेज हुए विवाह पंजीकरण
Uttarakhand UCC के लागू होते ही विवाह और लिव इन रिलेशनशिप के पंजीकरण में अचानक तेजी आई है। छह महीने की जो समयसीमा तय की गई थी, वह अब 27 जुलाई को समाप्त होने वाली है। इस वजह से राज्य में दो लाख से अधिक जोड़ों ने विवाह का पंजीकरण कराया है। इसके अलावा 90 लिव इन कपल्स ने भी आवेदन किया है, हालांकि यह संख्या विवाह की तुलना में काफी कम है।
लिव इन रजिस्ट्रेशन को लेकर असमंजस, हाईकोर्ट में चुनौती
Uttarakhand UCC के तहत लिव इन संबंधों को अनिवार्य रूप से दर्ज कराना जरूरी कर दिया गया है, जिससे ऐसे जोड़ों में भ्रम की स्थिति है। कई लोग निजता और सामाजिक दबाव के चलते इसे दर्ज नहीं करा रहे हैं। इस प्रावधान को उत्तराखंड हाईकोर्ट में चुनौती भी दी गई है। कोर्ट में अगली सुनवाई 14 जुलाई को तय की गई है, जिसमें केंद्र सरकार का रुख जानना अहम होगा।
72% लिव इन मामलों में बच्चे, मिलेंगे बराबरी के अधिकार
अधिकारियों के मुताबिक दर्ज 90 लिव इन रजिस्ट्रेशन में से 72 फीसदी मामलों में कपल्स के बच्चे हैं। UCC के तहत अब इन बच्चों को भी वैध शादीशुदा जोड़ों के बच्चों की तरह समान कानूनी अधिकार मिलेंगे। इससे उनके भविष्य की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकेगी। वहीं, यदि कोई पुरुष महिला को लिव इन में छोड़ देता है तो महिला गुजारा भत्ता मांग सकती है।
पहला राज्य बना उत्तराखंड, महिलाओं को मिलेगा नया अधिकार
उत्तराखंड देश का पहला राज्य बना है, जहां Uttarakhand UCC लागू किया गया है। यह कानून बहुविवाह, निकाह हलाला जैसी प्रथाओं पर रोक लगाता है और महिलाओं को पुरुषों के बराबर अधिकार देता है। लिव इन में रहने वाली महिलाओं को भी सुरक्षा मिलेगी और वे कानूनी संरक्षण की हकदार होंगी। UCC का मकसद है कि देश में सभी नागरिकों के लिए एक समान पारिवारिक कानून हो।
UCC की छह महीने की समयसीमा खत्म होने से पहले उत्तराखंड में विवाह, तलाक और लिव इन पंजीकरण को लेकर हड़बड़ी चरम पर है। जहां विवाह पंजीकरण में रिकॉर्ड वृद्धि हुई है, वहीं लिव इन को लेकर लोग अभी भी असमंजस में हैं। लेकिन अब यह साफ है कि आने वाले समय में सामाजिक ढांचे और व्यक्तिगत संबंधों की परिभाषाएं उत्तराखंड में एक नए दौर में प्रवेश करने जा रही हैं।