लखनऊ ऑनलाइन डेस्क। उत्तर प्रदेश की राजनीति में कुछ बड़ा होने वाला है। सूबे में बड़े सियासी उलटफेर के संकेत मिलने शुरू हो गए हैं। प्रदेश की राजनीति के किंगमेकर कहे जाने वाले कुंडा के विधायक राजा भैया उर्फ रघुराज प्रताप सिंह ने बड़ा बयान दिया है। राजा भैया ने पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की पुण्यतिथि पर आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि हमारे समाजवादी पार्टी के साथियों को यह ध्यान देना होगा कि डॉक्टर लोहिया, आचार्य नरेंद्र देव और मुलायम सिंह यादव के विचार कांग्रेस के बारे में क्या थे। राजा भैया ने सपा के नेता राम गोविंद चौधरी और अरविंद सिंह गोप का जिक्र करते हुए कहा कि समाजवाद की कांग्रेस के प्रति और कांग्रेस की क्या धारणा समाजवाद के प्रति थी, इसको अच्छे से याद रखिएगा। राजा भैया ने कहा कि समाजवाद का डीएनए कांग्रेस-विरोधी है। सभी समाजवादी नेताओं ने हमेशा कांग्रेस-मुक्त भारत का सपना देखा था।
रघुराज प्रताप सिंह ने कहा कि चंद्रशेखर, जय प्रकाश नारायण, डॉक्टर लोहिया से प्रभावित थे। राजा भैया ने चंद्रशेखर के प्रधानमंत्रित्व काल का जिक्र करते हुए कहा कि कांग्रेस ने सरकार से समर्थन वापस लेने के लिए बहाना खोज रही थी। कांग्रेस को यह उम्मीद थी कि चंद्रशेखर सिफारिश लगवाएंगे। राजा भैया ने कहा कि हम सभी को चंद्रशेखर के जीवन से प्रेरणा लेते हुए राजनीतिक और जीवन यात्रा को आगे बढ़ाना चाहिए। राजा भैया ने कहा कि समाजवाद का जन्म ही कांग्रेस के खिलाफ हुआ था। हमने तो किताबों में यही पढ़ा है। सपा के पुराधाओं के मुख से कभी कांग्रेस के पक्ष में नहीं सुना। राजा भैया के इस बयान के बाद सूबे का सियासी पारा अपने सवाब पर है। सोशल मीडिया पर लोग लिख रहे हैं कि क्या अब राजा और अखिलेश एक होंगे। राजा भैया क्या अब साइकिल के साथ मिलकर चुनाव में उतरेंगे। क्या राजा भैया ने बीजेपी से दूरी बना ली है।
ये पहला मौका नहीं है, जब राजा भैया ने समाजवाद के पक्ष में बयान दिया। इससे पहले 2024 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले राजा भैया ने समाजवादी पार्टी से अपने निकट संबंधों की बात कही थी। राजा भैया ने कहा था कि समाजवादी पार्टी को मैंने 20 साल दिए हैं। मेरे लिए समाजवादी पार्टी सबसे पहले है। इसका नजारा चुनाव में देखने को मिला। राजा भैया ने चुनाव के वक्त ऐलान कर दिया था कि वह किसी भी दल का समर्थन नहीं करेंगे। इतना ही नहीं राजा भैया और अमित शाह के बीच मुलाकात भी हुई। लेकिन राजा भैया बीजेपी के पक्ष में नहीं उतरे। जिसके कारण बीजेपी को करीब तीन सीटों पर हार उठानी पड़ी। राजा भैया के समर्थकों ने सपा के पक्ष में प्रचार किया। कौशांबी से बीजेपी के उम्मीदवार को हार मिली। प्रयागराज में भी बीजेपी हारी। कहा जाता है कि राजा भैया का यूपी के आधा दर्जन जिलों में अच्छी पकड़ है। राजा भैया का रथ जिस दल की तरफ घूमता है, उसी की जीत पक्की हो जाती है।
दरअसल, राजा भैया के पिछले दिनों भारतीय जनता पार्टी से निकट संबंध होने की बात लगातार सामने आ रही थी। राम मंदिर उद्घाटन के बाद से राजा भैया लगातार भाजपा के समर्थन में बात करते नजर आए थे। पिछले दिनों विधानसभा के बजट सत्र के दौरान भी राजा भैया समाजवादी पार्टी पर हमले करते दिख रहे थे। लेकिन लोकसभा चुनाव के दौरान बदली राजनीतिक स्थिति के बीच मुलायम परिवार और राजा भैया के बीच की निकटता बढ़ती दिख रही हैं। राजा भैया की तरफ से एक और बडा ऐलान किया गया है। राजा भैया ने कहा है कि उनकी पार्टी आगामी पंचायत चुनाव में उतरने जा रही है। राजा भाई ने ये भी कहा कि उनकी पार्टी किसी भी दल से गठबंधन नहीं करेगी। उनका दल 2027 के विधानसभा चुनाव में अकेले उतरेगी और सभी सीटों पर कैंडीडेट्स उतारेगी। राजा भैया के इस ऐलान के बाद सूबे की सियासी पारा चढ़ा हुआ है। लोग कयास लगा रहे हैं कि कुंडा के राजा क्या सपा के साथ जा सकते हैं।