Saina Nehwal Divorce : एक जैसी सोच, एक ही प्रोफेशन, सालों की दोस्ती और फिर प्यार—ऐसे में लगता है कि रिश्ता मजबूत ही होगा। बैडमिंटन जगत के दो चमकते सितारे साइना नेहवाल और पारुपल्ली कश्यप जब 2018 में शादी के बंधन में बंधे, तो फैंस को लगा था कि ये जोड़ी एक आदर्श कपल की मिसाल बनेगी। दोनों ने साथ में ट्रेनिंग की, इंटरनेशनल टूर्नामेंट्स में हिस्सा लिया और लंबा वक्त साथ बिताया। लेकिन जब हाल ही में खबर आई कि दोनों ने आपसी सहमति से तलाक ले लिया है, तो फैन्स के लिए यह चौंकाने वाला था।
अक्सर ऐसा माना जाता है कि अगर दो लोगों के लक्ष्य, प्रोफेशन और सोच समान हो, तो वे एक-दूसरे को बेहतर समझते हैं और रिश्ते लंबे चलते हैं। लेकिन साइना और कश्यप जैसे उदाहरण बताते हैं कि एक जैसी मंज़िलें तय करने वाले भी रास्ते में अलग हो सकते हैं। दरअसल, एक जैसे करियर में रहना जहां एक-दूसरे की चुनौतियों को समझने में मदद करता है, वहीं यह एक प्रकार की ‘स्पेस’ की कमी भी पैदा कर सकता है। दोनों के लिए वही शेड्यूल, वही ट्रेनिंग, वही तनाव… ऐसे में नया कुछ कहने को भी नहीं बचता। धीरे-धीरे बातचीत प्रोफेशनल थकावट में बदल जाती है।
पनपी कंपटीशन की अदृश्य दीवार
खेलों जैसी प्रतिस्पर्धी दुनिया में जब दोनों ही पार्टनर सक्रिय खिलाड़ी हों, तो अक्सर अनजाने में एक ‘कम्पटीशन’ भी जन्म ले लेता है—कौन ज्यादा सफल है, किसका नाम ज़्यादा चमक रहा है, कौन ज़्यादा अर्न कर रहा है। ये बातें भले बातचीत का हिस्सा न हों, लेकिन भीतर ही भीतर असर डालती रहती हैं।
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कई बार रिश्तों में ‘हम’ इतना हावी हो जाता है कि ‘मैं’ की पहचान धुंधली पड़ जाती है। जब दोनों ही अपने-अपने करियर में बड़े लक्ष्य लेकर चल रहे हों, तो उनके फैसले, प्राथमिकताएं और सोच टकराने लगती हैं। ऐसे में अगर संवाद की कमी हो जाए, तो भावनात्मक जुड़ाव कमजोर होने लगता है और रिश्ता सिर्फ एक औपचारिकता बनकर रह जाता है।
क्या एक जैसी जर्नी रिश्ता बचा सकती है?
ज़रूर बचा सकती है। लेकिन इसके लिए सिर्फ करियर का मेल काफी नहीं होता। रिश्ते को मजबूत बनाने के लिए ज़रूरी है—इमोशनल अटैचमेंट, एक-दूसरे की स्पेस का सम्मान, और बिना किसी जजमेंट के बातचीत। समानता एक ताकत बन सकती है, अगर वह बोझ न बन जाए।
साइना और कश्यप की कहानी यही बताती है कि कभी-कभी प्यार और इज्ज़त के साथ भी लोग अलग हो जाते हैं, ताकि वे खुद को खोने से बचा सकें। और शायद यही सबसे मैच्योर तरीका होता है—जब अलग होकर भी एक-दूसरे की गरिमा को बनाए रखा जाए।