लखनऊ ऑनलाइन डेस्क। बलरामपुर के छांगुर को लेकर यूपी एटीएस की पड़ताल जारी है। छांगुर गैंग के हर दिन नए-नए खुलासे हो रहे हैं। कुछ ऐसा ही मामला आगरा में भी सामने आया है। यहां दो सगी पढ़ी-लिखी पंजाबी बहनों का धर्मांतरण करा कर उनका ब्रेनवॉश किया गया। जिहादी उन्हें आंतक की ट्रेनिंग दे रहे थे। लड़कियों को लश्कर-ए-तैयबा का फिदायिन बनाना चाह रहे थे। लेकिन इससे पहले कि लड़कियां आतंकवाद के रास्ते पर निकलतीं, पुलिस ने दोनों बहनों को कोलकाता से रेस्क्यू कर लिया। इसके साथ ही यूपी पुलिस की स्पेशल 100 जवानों से लैस टीमों ने देश के अलग-अलग 6 राज्यों से कुल 11 आरोपियों को गिरफ्तार कर धर्मांतरण के एक बड़े रैकेट का पर्दाफाश किया। सभी आरोपियों के तार लश्कर-ए-तैयबा से जुडे बताए जाते हैं।
आगरा के सदर थाना क्षेत्र की रहने वाली पंजाबी समाज की दो सगी बहनों में एक की उम्र 33 और दूसरे की 18 वर्ष है, अचानक घर से लापता हो गई थीं। परिवारवालों ने पुलिस में जाकर मामला दर्ज करवाया। दोनों बहनों की तलाश के लिए पुलिस कमिश्नर दीपक कुमार ने एडीसीपी सिटी आदित्य के नेतृत्व में सात टीमें बनाई गई थीं, जिसमें अधिकारियों समेत 100 पुलिस के जवान शामिल थे। सर्विलांस, साइबर सेल से जानकारी मिली कि दोनों बहनें धर्मांतरण वाले गिरोह के जाल में फंस गई हैं। पुलिस कोलकाता के बैरकपुर पहुंची। दोनों बहनों के बारे में जानकारी जुटाकर उन्हें बरामद कर लिया। इसके बाद बारासात की अदालत में काम करने वाले आरोपी शेखर राय उर्फ हसन अली को गिरफ्तार किया। आरोपी से पूछताछ के बाद पुलिस ने बैरकपुर के माणिकरामपुर में दबिश दी।
पुलिस ने बैरकपुर से रीत बनिक उर्फ मोहम्मद इब्राहिम को गिरफ्तार किया। दोनों आरोपियों को कोर्ट में पेश किया। तीन दिन की ट्रांजिट रिमांड मिलने के बाद पुलिस दोनों को आगरा ले आई। वहीं एटीएस ने देहरादून के शंकरपुर निवासी अब्दुल रहमान को गिरफ्तार किया। उससे पूछताछ करने पर पता चला कि उसने भी धर्मांतरण कराया है। तब पुलिस ने अलग-अलग राज्यों में दबिश देकर सात और आरोपियों को गिरफ्तार किया। पुलिस आयुक्त दीपक कुमार ने बताया कि दोनों बहनों की तलाश में 100 पुलिसकर्मियों कि अलग-अलग टीमों को बनाया गया था। दोनों बहनों के पास मोबाइल नहीं था। उनके सोशल मीडिया अकाउंट बंद हो चुके थे। इसके बाद साइबर सेल ने अलग से काम किया। इंस्टाग्राम पर कनेक्टिंग रिवर्ट आईडी मिली। तब जाकर कोलकाता का पता मिला और धर्मान्तण गैंग के विलेन पुलिस के हत्थे चढ़े।
धर्मांतरण करने वाला यह गिरोह आईएस के तर्ज पर काम कर रहा था। धर्मांतरण के बाद लड़कियों को कट्टरपंथी वीडियो दिखाकर आत्मघाती हमले के लिए तैयार किया जा रहा था। इस गिरोह का शिकार हुई एक पंजाबी लड़की ने अपना धर्म परिवर्तन करने के बाद फेसबुक पर एके-47 राइफल के साथ अपनी प्रोफाइल फोटो भी अपलोड की थी। दो पंजाबी बहनों का नाम बदलकर अमीना और जोया रखा गया था। जिस घर में इनको रखा गया, वहां उनके साथ दो मुस्लिम शख्स भी रह रहे थे। गुरुवार को आगरा पुलिस की टीम कोलकाता पुलिस के साथ जब पहुंची तो दोनों बहनों ने बुर्का पहन रखा था। दोनों बहनों के पिता ने पुलिस को बताया कि पढ़ाई के दौरान उसकी बड़ी बेटी 2020 में उधमपुर की रहने वाली समा के संपर्क में आई। 2021 में समा बिना बताए उसे अपने साथ उधमपुर और कश्मीर ले गई। जम्मू-कश्मीर पुलिस की मदद से जूता कारोबारी अपनी बेटी को वापस ले आए थे।
पिता ने बताया कि अक्सर बेटी की बातचीत समा से फोन पर लगातार होती थी। घर लौटने के बाद बड़ी बेटी अपनी छोटी बहन को लगातार इस्लाम धर्म कबूलने के लिए दबाव बना रही थी। उसे इस्लाम की तरफ झुकाव कर रही थी। इसके बाद 24 मार्च को दोनों बेटियां घर से निकल गईं और फिर वापस नहीं लौटीं। दोनों बहनों की खोज के दौरान पुलिस को इस बड़े धर्मांतरण सिंडिकेट के सुराग मिले थे। जांच के दौरान पता चला कि इस गिरोह को कनाडा-अमेरिका से फंडिंग भी कराई जा रही थी। पुलिस ने इस पूरे ऑपरेशन को बहुत ही गोपनीय रखा था। पिछले 7 दिन से पुलिस की टीम बंगाल में लड़कियों की लोकेशन पर थी। पुलिस की टीम रेकी करने के लिए पहुंची थी, जो पूरी तरह टेक्निकल साउंड थी। कुछ पुलिसकर्मी पत्रकार और अन्य पेशेवर बनकर भी रहे, ताकि इस रैकेट को चलाने वालों को भनक न लगे। यह पूरा ऑपरेशन इतना गुप्त रखा गया कि पुलिस की एक टीम, दूसरी टीम को नहीं जानती थी। . फिलहाल यूपी एटीएस और एसटीएफ भी इस धर्मांतरण रैकेट की जांच कर रहे हैं।
गिरफ्तार किए गए आरोपियों के नाम एसबी कृष्णा उर्फ आयशा, शेखर रॉय उर्फ हसन अली, ऋतिक बनिक उर्फ मोहम्मद इब्राहिम, रूपेंद्र सिंह उर्फ अब्दुर्रहमान, मोहम्मद अली उर्फ पीयूष पवार, मनोज उर्फ मुस्तफा, इसके साथ ही आगरा पुलिस ने दिल्ली के मुस्तफाबाद से एक मुख्य आरोपी को गिरफ्तार किया है। आगरा से गायब हुई कारोबारी की बेटियों का धर्मांतरण और उनको वेस्ट बंगाल भेजने में अहम भूमिका थी। बता दें, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर चलाए जा रहे मिशन अस्मिता के तहत इस पूरे रैकेट का भंडाफोड़ हुआ है। इससे पहले भी उमर गौतम और मुफ्ती जहांगीर जैसे कई बड़े नाम अवैध धर्मांतरण के आरोप में पकड़े जा चुके हैं। इन्होंने सैकड़ों लोगों का जबरन या बहला-फुसलाकर धर्मांतरण करवाया था। पुलिस ने स्पष्ट किया है कि राष्ट्रविरोधी गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और इस गिरोह के पीछे के हर चेहरे को बेनकाब कर कठोर कार्रवाई की जाएगी।