Kanpur News: कानपुर में विवादित जमीनों और अभिलेख हेराफेरी के मामले ने नया मोड़ ले लिया है। सहायक महानिरीक्षक निबंधन की जांच में सामने आया कि कानूनगो आलोक दुबे के पास 30 करोड़ की 41 संपत्तियां हैं। डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह ने जांच रिपोर्ट के आधार पर उसे कानूनगो पद से डिमोट कर लेखपाल बना दिया और सेवा पुस्तिका में परिनिन्दा दर्ज करने का आदेश दिया। शिकायतकर्ता संदीप सिंह ने ग्राम कला का पुरवा रामपुर भीमसेन की गाटा और सिंहपुर कठार की गाटा में गड़बड़ी का आरोप लगाया था। यह मामला कोर्ट में विचाराधीन था, लेकिन कानूनगो ने पद का दुरुपयोग करते हुए संपत्ति दर्ज कर बैनामा और बिक्री कर दी थी।
शिकायत और प्रारंभिक जांच
ग्राम कला का पुरवा रामपुर भीमसेन निवासी संदीप सिंह ने 2 दिसंबर 2024 को डीएम से शिकायत की थी। उन्होंने आरोप लगाया कि कानूनगो आलोक दुबे ने 11 मार्च 2024 को वरासत दर्ज कर उसी दिन बैनामा करा लिया, जबकि विक्रेता का नाम खतौनी में दर्ज नहीं था। इसके बाद 19 अक्टूबर 2024 को गाटा 207 को निजी कंपनी आरएनजी इंफ्रा को बेच दिया गया। मामले की जांच में समिति ने इसे पद का दुरुपयोग, मिलीभगत और हित-संघर्ष की श्रेणी में रखा। 17 फरवरी 2025 को आलोक दुबे को निलंबित कर विभागीय जांच शुरू की गई।
जांच में खुलासा और कार्रवाई
Kanpur एडीएम न्यायिक, एसडीएम सदर और एसीपी कोतवाली की कमेटी ने जांच कर आलोक दुबे को दोषी पाया। 6 मार्च को चार आरोपों का आरोपपत्र जारी हुआ। नोटिस-पत्र, जवाब और साक्ष्यों की आह्वान प्रक्रिया के बाद 21 अगस्त को व्यक्तिगत सुनवाई पूरी हुई। संदीप सिंह की तहरीर पर थाना कोतवाली में 25 मार्च को कानूनगो और लेखपाल के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया। दोनों ने अरेस्टिंग स्टे ले लिया। इसी मामले में लेखपाल अरुणा द्विवेदी को भी निलंबित किया गया और तहसीलदार सदर की जांच में उन्हें दोषी पाया गया।
संपत्तियों का विवरण
Kanpur सहायक महानिरीक्षक निबंधन की रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि आलोक दुबे के पास 8.62 हेक्टेयर भूमि, लगभग 30 करोड़ की लागत की 41 संपत्तियां हैं। यह संपत्तियां आलोक दुबे, उसकी पत्नी, पुत्रों और अरुणा द्विवेदी के नाम पर पाई गई हैं। डीएम ने जांच रिपोर्ट के आधार पर कड़ी कार्रवाई करते हुए आलोक दुबे को कानूनगो पद से डिमोट कर लेखपाल बनाया और अन्य संबंधित अधिकारियों पर भी कार्रवाई की संभावना जताई है।