बेगूसराय। लोक आस्था के महापर्व छठ की तैयारी युद्ध स्तर पर शुरू हो गई है। शहर से लेकर गांव तक के छठ घाट की साफ-सफाई और सजावट होने लगी है ऐसे में साईं की रसोई टीम द्वारा पिछली बार की तरह इस बार भी लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा के मद्देनजर शहर में छठ की छटा को विशेष बनाने के लिए शहर के पोखर-तालाबों और सार्वजनिक दीवारों पर छठ से जुड़ी कलाकृति बनवाई जा रही है।
जो कलाकृति ना सिर्फ छठ की प्रासंगिकता को दर्शा रही है, बल्कि पर्यावरण, प्रकृति प्रेम के लिए भी सजग कर रही है। टीम के अमित जायसवाल ने बताया कि छठ महापर्व आस्था का प्रतीक है, पूरे बिहार सहित बेगूसराय शहर में भी काफी हर्षोल्लास के साथ इस पर्व को मनाया जाता रहा है। विगत वर्ष छठ पूजा को कुछ खास तरह से मनाने के लिए छठ पूजा से पहले सभी पोखरों और घाटों को सुंदर बनाने का जिम्मा टीम साईं की रसोई ने उठाया था। टीम के युवाओं ने अपने पॉकेट खर्च से छठ घाट पोखर के समीप छठ से संबंधित कलाकृतियां दीवार पर उकेर कर एक अलग ही मिसाल पेश कर की थी। उसी तरह इस बार भी अभियान शुरू किया गया है। किसी पोखर पर सूर्य देवता को अर्घ्य देते हुए तो कहीं उगते हुए सूरज का तो कहीं दंड देते हुए छठ घाट की ओर जाते हुए पेंटिंग हरेक पोखर पर बनाए जा रहे हैं।
बेगूसराय में स्थित एशिया फेमस रामसर साइट कावर झील और राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर जी को भी दीवारों पर उकेरा जा रहा है। घाट किनारे की दीवारों पर गंगा नदी और आजाद भारत का सबसे पहला रेल-सह-सड़क पुल (सिमरिया पुल) एवं शहीद लेफ्टिनेंट ऋषि भी दिखेंगे। छठ से पूर्व ऐसे कलाकृतियों का बनाने का मुख्य उद्देश्य बेगूसराय शहर के वैसे लोगों को छठ और बेगूसराय की महत्ता बताना है जो देश विदेश रहकर कमाते हैं तथा छठ पर्व के अवसर पर घर आते हैं।टीम साईं की रसोई ही नहीं सभी को आगे आकर इस नेक और पुनीत कार्यों में अपना सहयोग देना चाहिए। ताकि आपका छठ पर्व के प्रति प्रेम व भाव देख अन्य जिलों में भी अपने बेगूसराय जिले की चर्चा हो। छठ पर्व के पूर्व हरेक तालाबों-घाटों पर ऐसी कलाकृति बनाने की शुरुआत की गई है। लोग आगे आकर सहयोग करें तो अधिक से अधिक जगह ऐसी कलाकृतियों का निर्माण हो सकेगा।