उत्तर प्रदेश सरकार ने शिवपाल यादव की सुरक्षा घेरे को कम कर दिया है।बता दें कि शिवपाल यादव से जेड श्रेणी की सुरक्षा वापस ले ला गई है। उन्हें वाई श्रेणी की सुरक्षा मुहैया कराई जाए। मई 2017 में शिवापल यादव और सीएम की एक छोटी से मुलाकात हुई थी। इसके बाद उनके सुरक्षा घेरे को जेड श्रेणी में बदल दिया गया था।
इसी साल शिवपाल यादव ने अखिलेश से नाता तोड़कर प्रगतिशील समाज पार्टी बना ली थी। वहीं जैसे ही शिवापल और अखिलेश के बीच दूरी बढ़ी वैसे ही शिवापल ने अपनी सुरक्षा को लेकर सीएम योगी से मुलाकात की थी। अब अगर देखा जाए तो राजनीतिक जानकारों का मानना है कि चाचा शिवपाल यादव ने जैसे ही मैनपुरी में बहू डिंपल यादव को समर्थन दिया वैसे ही ये सुरक्षा घटाई गई। शिवपाल की सुरक्षा ऐसे वक्त घटाई गई है, जब सपा परिवार के फिर से एक जुट होने की खबरें आ रही हैं। वहीं पिछले दिनों ही अखिलेश यादव ने सार्वजनिक तौर पर चाचा शिवपाल यादव के पैर छूए तब अखिलेश ने शिवपाल को जोर देकर कहा कि चाचा- भतीजे के बीच कभी दूरियां नहीं रहीं।
शिवपाल ने भी अपने संबोधन में डिंपल यादव की बड़ी जीत सुनिश्चित करने का आह्वान किया था।मैनपुरी में अब घर-घर जाकर शिवपाल यादव, बहू डिंपल यादव के लिए वोट मांग रहे है। ऐसे में उन पर खतरा का जोखिम कम होना पाया है। राज्य सुरक्षा समिति की बैठक मेंतमाम मसलों पर गौर करते हुए शिवपाल की सुरक्षा कम किए जानें की बात कही जा रही है।
वहीं सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद उनके प्रतिनिधित्व वाली मैनपुरी सीत पर उपचुनाव के लिए पांच दिसंबर को मतदान होना है। सपा ने जिस सीट पर अखिलेश की पत्नी और मुलायम की पुत्रवधू डिंपल यादवन को उम्मीदवार बनाया है। वहीं बीजेपी ने इसी सीट से रघुराज शाक्य को चुनावी मैदान में उतारा है. एक वक्त पर रघुराज शिवयादव के भी बेहद करीबी थे. ऐसे में मैनपुरी चुनाव की लड़ाई पर सभी की नजरें टिकी है.