नई दिल्ली. देश की मोदी सरकार के खिलाफ विपक्षी सांसदों ने अविश्वास प्रस्ताव लाया है. अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा की शुरुआत 8 अगस्त से हुई थी और अगले तीन दिनों तक कुल 18 घंटे इस पर चर्चा होनी है. आज अविश्वास प्रस्ताव का आखिरी दिन है और प्रधानमंत्री मोदी आखिरी दिन इस जवाब देंगे. आइए जानते हैं कि विपक्ष द्वारा सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव क्यों लाया जाता है, मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के क्या मायने हैं. किन सवालों के जरिए विपक्षी सांसद सरकार को घेरने का काम करेगी?
2018 में आंध्र प्रदेश के मुद्दे पर आया था प्रस्ताव
26 जुलाई के दिन विपक्ष द्वारा मोदी सरकार के खिलाफ के अविश्वास प्रस्ताव पेश किया गया, जिसको लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने स्वीकार कर लिया. पिछले 9 सालों के कार्यकाल में प्रधानमंत्री मोदी दूसरी बार अविश्वास प्रस्ताव का सामना करने वाले हैं. इसके पहले विपक्ष की तरफ से बीजेपी सरकार के खिलाफ साल 2018 में अविश्वास प्रस्ताव पेश किया गया था. ये प्रस्ताव सरकार द्वारा आंध्र प्रदेश को विशेष श्रेणी का दर्जा देने को लेकर लाया गया था, जिसमें विपक्ष की हार हुई.
कैसे आता लाया जाता है अविश्वास प्रस्ताव?
सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए 50 सांसदों की जरूरत होती है. दरअसल कोई भी लोकसभा सांसद सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला सकता है, बस उसको 50 सहयोगीयों का समर्थन होना चाहिए. ऐसा होने पर किसी भी समय मौजूदा मंत्रिपरिषद के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया जा सकता है. प्रस्ताव पेश करने के बाद इस पर चर्चा होती है और इसके समर्थन में होने वाले सांसद सरकार के कमियों को उजागर करते हैं. दूसरी तरफ ट्रेजरी बेंच उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों पर प्रतिक्रिया देते हैं. इनसब के बाद अंत में मतदान प्रकिया होती है और अविश्वास प्रस्ताव सफल होने पर उनको कार्यालय खाली करना पड़ता है.
सरकार और विपक्ष के संख्या बल का समीकरण
बीजेपी के पास इस समय कुल सांसदों की संख्या 303 है, वहीं उनकी एलाइंस एनडीए की सहयोगी दलों को मिला कर ये संख्या 331 है. वहीं दूसरी तरफ विपक्षी महागठबंधन INDIA के पास कुल सांसदों की संख्या 144 है और गैर-गठबंधन (जो किसी भी गठबंधन में शामिल नहीं) सांसदों की कुल संख्या 70 है. अगर विपक्ष गुट और गैर-गठबंधन सांसदों की संख्या को मिला भी दिया जाए तो ये संख्या बल 214 होती है, जो कि बीजेपी सांसदों की संख्या से भी कम है. ऐसे में इस बार भी विपक्षी सांसदों द्वारा मोदी सरकार के खिलाफ ये अविश्वास प्रस्ताव फेल होने वाला है.
इस कारण लाना पड़ा अविश्वास प्रस्ताव- कांग्रेस
बता दें कि अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा की शुरुआत कांग्रेस नेता राहुल गांधी करने वाले थे, लेकिन पार्टी ने क्रम में बदलाव किया और चर्चा की शुरुआत गौरव गोगोई ने की. इसको लेकर बीजेपी सांसदों ने जमकर हंगामा किया. अविश्वास प्रस्ताव चर्चा शुरु करने के दौरान गौरव गोगोई ने कहा कि, ‘ सदन में ये अविश्वास प्रस्ताव मणिपुर के लिए लाया गया है. मणिपुर का युवा, किसान, बेटी इंसाफ की मांग कर रहे हैं. पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर के प्रभावित होने पर पूरा भारत प्रभावित होगा. हमारी ऐसी अपेक्षा थी कि इस दुख की घड़ी में पूरा देश मणिपुर के साथ खड़ा रहेगा, लेकिन अफसोस के साथ बताना पड़ रहा है कि ऐसा नहीं हुआ. पीएम ने मौनव्रत रख लिया, ना लोकसभा और ना राज्यसभा में कुछ बोले. ऐसी नौबत आयी कि पीएम मोदी का मौन व्रत तोड़ने के लिए अविश्वास प्रस्ताव लाना पड़ा.
विपक्ष का ये पीएम मोदी से ये तीन सवाल
विपक्ष प्रधानमंत्री मोदी को अविश्वास प्रस्ताव में तीन सवालों के जरिए घेरने की काम करेगी.
1- प्रधानमंत्री मोदी अभी तक पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर क्यों नहीं गए?
2- पीएम मोदी को मणिपुर पर बोलने पर 80 दिन क्यों लग गए और इसके बाद बोलें तो सिर्फ 30 सेकेण्ड के लिए ही, जो कि सहानभूति के शब्द नहीं थे.
3- प्रधानमंत्री मोदी ने अभी तक मणिपुर के सीएम को बर्खास्त क्यों नहीं किया.
अविश्वास प्रस्ताव पर बोलें ये 15 बीजेपी सांसद
गौरतलब है कि तीन दिन तक चलने वाले अविश्वास प्रस्ताव पर भारतीय जनता पार्टी की तरफ से 15 सांसद बोलेंगे. इसमें अमित शाह, निर्मला सीतारमण, किरेन रिजिजू, ज्योतिरादित्य सिंधिया, स्मृति ईरानी, लॉकेट चटर्जी, बंदी संजय कुमार, राम कृपाल यादव, राजदीप रॉय, विजय बघेल, रमेश बिधूड़ी, सुनीता दुग्गल, हिना गावित, निशिकांत दुबे और राज्यवर्धन राठौर का नाम है. अंत में प्रधानमंत्री इस पर बोलेंगे.