Masoud Pezeshkian ने पहले भी राष्ट्रपति पद के लिए नामांकन किया था
ईरान के नए राष्ट्रपति Masoud Pezeshkian पेशे से डॉक्टर हैं और ईरान की तबरीज़ मेडिकल यूनिवर्सिटी के प्रमुख रह चुके हैं। पेजेशकियन साल 1997 में ईरान के स्वास्थ्य मंत्री रह चुके हैं। मसूद पेजेशकियन ने पहली बार राष्ट्रपति चुनाव नहीं लड़ा है, बल्कि साल 2011 में उन्होंने पहली बार राष्ट्रपति चुनाव के लिए नामांकन किया था, लेकिन बाद में उन्होंने अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली थी। पेजेशकियन उदारवादी नेता के तौर पर जाने जाते हैं और उन्हें पूर्व राष्ट्रपति हसन रूहानी का करीबी माना जाता है। पेजेशकियन को हिजाब के सख्त कानून के खिलाफ माना जाता है।
भारत-ईरान संबंधों पर क्या असर होगा?
भारत और ईरान के बीच ऐतिहासिक रूप से मजबूत आर्थिक संबंध रहे हैं। Masoud Pezeshkian के राष्ट्रपति बनने के बाद ये संबंध और भी मजबूत होने की संभावना है। पेजेशकियन एक सुधारवादी नेता हैं और वे पश्चिमी देशों से संपर्क बढ़ाने के भी पक्षधर हैं। ऐसे में इस बात की संभावना कम ही है कि वे भारत के साथ संबंधों को प्राथमिकता नहीं देंगे। खासकर रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण चाबहार बंदरगाह पर दोनों देशों का फोकस रहेगा।
भारत ने इस परियोजना में भारी निवेश किया है और यह बंदरगाह भारत को पाकिस्तान को दरकिनार करते हुए मध्य एशिया तक कनेक्टिविटी प्रदान करेगा। भारत ने चाबहार बंदरगाह टर्मिनल के विकास के लिए 120 मिलियन डॉलर देने का वादा किया है और ईरान में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए 250 मिलियन डॉलर की क्रेडिट लाइन की पेशकश भी की है। विशेषज्ञों का मानना है कि सत्ता में कोई भी हो, ईरान की विदेश नीति में बदलाव की कोई संभावना नहीं है।
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