Stock Market : भारतीय शेयर बाजार पर गिरावट का साया लगातार दूसरे दिन भी बना रहा। बुधवार को बाजार की शुरुआत ही कमजोरी के साथ हुई, जहां बीएसई सेंसेक्स लगभग 300 अंक गिर गया, जबकि निफ्टी 22,450 के नीचे खुला। यह गिरावट उस दिन आई है जब ठीक एक दिन पहले यानी मंगलवार को बाजार ने दमदार उछाल दर्ज की थी, जो पिछले तीन कारोबारी सत्रों की गिरावट पर एक तरह से विराम की तरह था।
मंगलवार को बीएसई सेंसेक्स 1,089 अंक की छलांग लगाकर 74,227.08 के स्तर पर बंद हुआ, जो 1.49% की मजबूती को दर्शाता है। कारोबार के दौरान सेंसेक्स में एक समय 1,721 अंक तक की तेजी भी देखी गई थी। इस दौरान सेंसेक्स के 30 में से 29 शेयरों में बढ़त देखने को मिली। इसी तरह, एनएसई निफ्टी भी 374 अंक की तेजी के साथ 22,535.85 पर बंद हुआ, जिसमें कारोबार के दौरान 535 अंकों तक की छलांग देखने को मिली।
10 महीने की सबसे बड़ी गिरावट
हालांकि, यह उछाल एक दिन पहले की भारी गिरावट के बाद आया था। सोमवार को बाजार पर वैश्विक तनावों का जबरदस्त असर पड़ा और सेंसेक्स 2,226 अंक यानी 2.95% तक लुढ़क गया था। वहीं, निफ्टी में 742 अंक यानी 3.24% की भारी गिरावट देखी गई थी। यह बीते 10 महीनों में एक दिन में आई सबसे बड़ी गिरावट थी।
मेहता इक्विटीज लिमिटेड के वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रशांत तापसे ने कहा कि “वैश्विक स्तर पर थोड़ा सकारात्मक माहौल बनने से घरेलू शेयर बाजारों में तेजी लौटी। अमेरिका की ओर से प्रस्तावित शुल्कों को लेकर जो आशंका थी, वह इस बात से थोड़ी कम हुई कि विभिन्न देश इससे निपटने के उपाय खोजने में जुटे हैं।”
अंतरराष्ट्रीय मोर्चे पर बढ़ती अनिश्चितता
दूसरी ओर, अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते व्यापारिक तनावों ने वैश्विक बाजारों को हिला दिया है। डोनाल्ड ट्रंप द्वारा टैरिफ बढ़ाने की घोषणा के बाद डाउ जोन्स में करीब 2,000 अंकों की भारी गिरावट दर्ज की गई, जबकि नैस्डैक भी 2.5% नीचे आ गया।
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चीन के खिलाफ अमेरिका के आक्रामक रुख ने हालात और गंभीर बना दिए हैं। व्हाइट हाउस ने घोषणा की है कि 9 अप्रैल से चीन से आयातित सामानों पर 107% अतिरिक्त शुल्क लगाया जाएगा। यह कदम तब उठाया गया जब चीन ने अमेरिकी सामानों पर लगे 34% के जवाबी शुल्क को हटाने से इनकार कर दिया।
एशियाई बाजारों में भी हाहाकार
इस वैश्विक तनाव का असर एशियाई बाजारों पर भी गहरा पड़ा है। सोमवार को शंघाई, टोक्यो, सिडनी और हांगकांग जैसे प्रमुख एशिया-पैसिफिक बाजारों में जबरदस्त गिरावट देखने को मिली। ऐसी गिरावट पिछले कई दशकों में कम ही देखी गई है, जो इस बात का संकेत है कि वैश्विक व्यापार तनाव ने निवेशकों की भावनाओं को बुरी तरह झकझोर दिया है।