Sovereign Gold Bond scheme closure सरकार ने Sovereign Gold Bond (SGB) स्कीम को बंद करने का ऐलान कर दिया है। इसका कारण यह है कि सरकार को इस स्कीम पर ज्यादा ब्याज देना पड़ रहा था, जिससे उसकी उधारी लागत बढ़ रही थी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2025 के बाद मीडिया से बातचीत में इसकी पुष्टि की।
SGB स्कीम क्यों की गई बंद
आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ के मुताबिक, सरकार अब इस एसेट क्लास को सपोर्ट नहीं करना चाहती, क्योंकि यह सरकार के लिए महंगा सौदा साबित हो रहा था। उन्होंने बताया कि बाजार से उधारी और बजट मैनेजमेंट को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया गया।
सरकार ने यह कदम सोने की बढ़ती कीमतों और लगातार बढ़ती उधारी लागत को देखते हुए उठाया है। इस स्कीम के तहत सरकार को उच्च ब्याज दरों का भुगतान करना पड़ रहा था, जिससे यह सरकार के लिए घाटे का सौदा बन गया था।
SGB स्कीम के तहत कितना निवेश हुआ
2015 में शुरू की गई थी SGB स्कीम।
इसका मकसद फिजिकल गोल्ड की खरीद को कम करना और डिजिटल गोल्ड निवेश को बढ़ावा देना था।बॉन्ड की मैच्योरिटी अवधि 8 साल थी, लेकिन 5 साल बाद आंशिक रूप से रिडीम किया जा सकता था।
शुरुआत में ब्याज दर 2.75% वार्षिक थी, जिसे बाद में घटाकर 2.5% कर दिया गया और यह पूरी अवधि के लिए स्थिर रही।
वित्त वर्ष 2024-25 में SGB के लिए 18,500 करोड़ रुपये का बजट तय किया गया था, जो कि अंतरिम बजट में 26,852 करोड़ रुपये था।RBI ने आखिरी बार फरवरी 2023 में SGB जारी किया था, जिसकी कुल राशि 8,008 करोड़ रुपये थी।2015 से अब तक ₹45,243 करोड़ के बॉन्ड जारी किए जा चुके थे, जबकि मार्च 2023 तक कुल बकाया राशि 4.5 लाख करोड़ रुपये थी।
निवेशकों को SGB से कितना फायदा हुआ
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के मुताबिक, SGB स्कीम ने निवेशकों को 9 से 11% का सालाना रिटर्न दिया।
इसके अलावा, 2.5% का अतिरिक्त निश्चित ब्याज भी निवेशकों को मिला।
उदाहरण के लिए, SGB 2016-17 सीरीज I को ₹3,119 प्रति ग्राम की कीमत पर जारी किया गया था, जिसमें 2.75% वार्षिक ब्याज दिया गया था।
क्या होगा पुराने SGB बॉन्ड्स का
सरकार ने सिर्फ नई SGB स्कीम जारी करने पर रोक लगाई है, लेकिन जो लोग पहले ही इसमें निवेश कर चुके हैं, उन्हें घबराने की जरूरत नहीं है। उनके बॉन्ड्स की मैच्योरिटी और ब्याज भुगतान पहले की तरह जारी रहेगा।
अब सोने में निवेश के लिए क्या विकल्प
SGB स्कीम के बंद होने के बाद अब निवेशकों के पास डिजिटल गोल्ड, गोल्ड ETF और गोल्ड म्यूचुअल फंड जैसे विकल्प मौजूद हैं। अगर आप सोने में निवेश करना चाहते हैं, तो इन विकल्पों पर भी विचार कर सकते हैं।
सरकार के इस फैसले का सबसे बड़ा कारण उधारी लागत को नियंत्रित करना और सरकारी खर्च को कम करना है। अब निवेशकों को दूसरे विकल्पों की ओर रुख करना होगा।