GST council meeting 2025: देश की अर्थव्यवस्था के लिए ऐतिहासिक माने जा रहे जीएसटी सुधार 2025 की घोषणा 3-4 सितंबर 2025 को GST काउंसिल की बैठक में की गई। चार टैक्स स्लैब (5%, 12%, 18%, 28%) को घटाकर अब दो मुख्य स्लैब (5% और 18%) कर दिए गए हैं, जबकि विलासिता और हानिकारक वस्तुओं के लिए 40% का नया ‘स्पेशल स्लैब’ जोड़ा गया है। कई रोजमर्रा की वस्तुएं जैसे टूथपेस्ट, शैम्पू, टीवी, छोटे वाहन सस्ते होंगे, जबकि महंगी कारें, सिगरेट, सोडा और ऑनलाइन गेमिंग महंगी हो जाएगी। यह नई दरें 22 सितंबर 2025 से लागू होंगी।
GST का नया ढांचा: अब सिर्फ दो स्लैब, एक नया स्पेशल टैक्स
मुख्य फैसले
- दो मुख्य स्लैब
- अब जीएसटी में केवल 5% और 18% की दरें होंगी।
- 12% और 28% वाले स्लैब खत्म कर दिए गए हैं।
- 40% का नया स्पेशल स्लैब
- महंगी गाड़ियाँ, सिगरेट, सोडा, शराब और ऑनलाइन गेमिंग जैसी चीजों पर लागू होगा।
- 0% जीएसटी का लाभ
- आवश्यक वस्तुएं जैसे दूध, पनीर, छेना, रोटी और जीवनरक्षक दवाएं अब जीएसटी-मुक्त होंगी।
- लागू होने की तारीख
- नई जीएसटी दरें 22 सितंबर 2025 से प्रभावी होंगी, ठीक नवरात्रि से पहले।
क्या सस्ता होगा, क्या महंगा — पूरी लिस्ट
नई जीएसटी दरों के बाद कौन-सी चीजें सस्ती होंगी और कौन-सी महंगी, इसे सरल तालिका में देखें:
सस्ती चीजें (जीएसटी घटा) | महंगी चीजें (जीएसटी बढ़ा) |
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टूथपेस्ट, शैम्पू, साबुन (12%→5%) | सिगरेट, सोडा, शराब (28%→40%) |
टीवी, एसी, छोटी कारें (28%→18%) | बड़ी कारें >1200cc (18%→40%) |
दूध, पनीर, छेना, रोटियां (5%→0%) | ऑनलाइन गेमिंग, सट्टेबाजी (28%→40%) |
जीवन व स्वास्थ्य बीमा (18%→0%) | महंगी इलेक्ट्रिक गाड़ियाँ—40% |
कृषि उपकरण, ट्रैक्टर (12%→5%) | एयरडेटेड/कैफीन पेय—40% |
हस्तशिल्प, साइकिल, किचनवेयर (12%→5%) |
आम आदमी की जेब पर असर
इस बदलाव से आम जनता को बड़ी राहत मिलेगी:
- टूथपेस्ट, शैम्पू, साबुन जैसी रोजमर्रा की चीजों की कीमतें घटेंगी।
- दूध, पनीर, रोटियां जैसी आवश्यक वस्तुएं अब जीएसटी-मुक्त हो गईं।
- स्वास्थ्य और जीवन बीमा पर अब कोई टैक्स नहीं, जिससे लोग आसानी से पॉलिसी ले पाएंगे।
- छोटे इलेक्ट्रॉनिक सामान और एसी-टीवी जैसी चीजें भी सस्ती होंगी।
त्योहारी सीजन से पहले यह फैसला उपभोक्ताओं के लिए बड़ी राहत लेकर आया है।
राज्यों और उद्योगों पर असर
राज्यों की चिंता
कई राज्यों ने जीएसटी दरों में कटौती पर राजस्व हानि की आशंका जताई है।
- अनुमानित नुकसान: करीब ₹47,700 करोड़।
- कुछ राज्यों की मांग है कि केंद्र उन्हें राजस्व क्षतिपूर्ति दे।
उद्योगों पर असर
- FMCG कंपनियां (जैसे HUL, Nestlé) को सबसे बड़ा फायदा।
- इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटो सेक्टर में मांग बढ़ने की संभावना।
- बीमा क्षेत्र के लिए बड़ा अवसर, क्योंकि टैक्स हटने से ज्यादा लोग पॉलिसी खरीदेंगे।
सरकार की सोच क्या है
सरकार का उद्देश्य टैक्स सिस्टम को आसान बनाना है। अब सिर्फ दो मुख्य स्लैब होंगे, जिससे लोगों को समझने में आसानी होगी।
- जरूरी चीजों पर टैक्स कम करके घरेलू बजट में राहत।
- विलासिता और हानिकारक वस्तुओं पर टैक्स बढ़ाकर राजस्व संतुलन बनाए रखना।
- ऑनलाइन गेमिंग और सट्टेबाजी पर भारी टैक्स लगाकर लत पर रोक लगाने की कोशिश।
सरल भाषा में समझें
“सरकार चाहती है कि जो चीजें आम आदमी रोज इस्तेमाल करता है, जैसे दूध, रोटी, तेल, टीवी, गाड़ी—उन पर टैक्स कम हो, ताकि लोग आराम से खरीद सकें।
लेकिन सिगरेट, सोडा, शराब, महंगी गाड़ियाँ जैसी चीजों पर टैक्स बढ़ाकर सरकार यह संदेश दे रही है कि विलासिता के सामान के लिए ज्यादा टैक्स देना होगा।”
क्या है पूरा निचोड़
- नई GST प्रणाली: 5% और 18% के दो मुख्य स्लैब, 40% का एक स्पेशल स्लैब।
- उपभोक्ता को फायदा: रोजमर्रा की जरूरतें सस्ती हुईं।
- विलासिता पर बोझ: महंगी गाड़ियाँ, सिगरेट, सोडा अब और महंगे।
- राज्यों की चुनौती: राजस्व हानि से निपटने की जरूरत।
- उद्योगों को अवसर: FMCG, इलेक्ट्रॉनिक्स, बीमा कंपनियों के लिए फायदा।
सरकार का मानना है कि यह सुधार टैक्स व्यवस्था को साधारण, पारदर्शी और उपभोक्ता-हितैषी बनाएगा। लेकिन कुछ राज्यों की राजस्व की समस्या और महंगे स्लैब पर विरोध अब भी बना रहेगा।