प्रदेश में भ्रष्टाचार की जड़े इतनी गहराई तक फैली हुई है कि बाबा का बुलडोजर भी खोदने में नाकाम हो रहा है। ताजा मामला यूपी के चंदौली से है। दरअसल परिषदीय विद्यालयों के बच्चों में वितरित किए जा रहे स्कूल ड्रेस, जूते और मोजे में भ्रष्टाचार पूरी तरह से हावी था। जिसको रोकने के लिए योगी सरकार ने ड्रेस का 1200 रुपये स्कूल में पढ़ रहे बच्चों के अभिभावकों के खाते में भेजने का आदेश जारी किया। ताकि बच्चों के ड्रेस और जूते हो रहे भ्रष्टाचार पर पूरी तरह से लगाम लगाया जा सके।
हालांकि सरकार इस फैसले का काफी हद तक सकारात्मक असर भी देखने को मिल रहा है। लेकिन सरकार द्वारा भेजा जा रहा पैसा उन्हीं अभिभावकों के खाते में जायेगा जिन अभिभावकों के बच्चों का आधार कार्ड बना हो और उन बच्चों का DBT फार्म भरा गया हो।
DBT फार्म भरने के लिए आधार कार्ड जरूरी
वहीं DBT फार्म भरने के लिए भी बच्चों का आधार कार्ड होना जरूरी है। जिसके लिए सरकार ने हर बीआरसी केंद्र में निशुल्क आधार कार्ड बनाने बकायदा व्यवस्था भी करवा रखी है। लेकिन बीआरसी केन्द्र को अधारकर्मियों ने वसूली का अड्डा बना रखा। बीआरसी कर्मचारी आधार कार्ड बनवाने जा रहे अभिभावकों से जमकर वसूली कर रहे हैं। अभिभावकों मजबूरन इन कर्मचारियों को पैसे भी देने पड़ रहे हैं।
वहीं बच्चों के अभिभावकों ने जानकारी देते हुए बताया कि अभिभावकों से आधार कार्ड बनाने वाले कर्मचारी अवैध वसूली कर रहे हैं। कर्मचारी प्रति बच्चे 100 रुपये से 150 रुपए तक वसूल रहे हैं। मजबूरी में अभिभावक कर्मचारियों को पैसे दे कर आधार कार्ड बनवा रहे हैं। वहीं नाम संसोधन में अभिभावकों 200 रुपये तक वसूली की जा रही है। जबकि सरकारी गाइडलाइन के अनुसार नया आधार कार्ड निशुल्क बनाना है और नाम संसोधन के लिए 50 रुपये फीस निर्धारित की गई है।
वसूली को रोकने के लिए उठाया ये कदम
शिक्षा अधिकारी एसपी सहाय ने बताया की हमें सूचना मिली थी कि कर्मचारी अवैध वसूली कर रहे है। वह पैसा लेकर आधार कार्ड बना रहे। यह मामला मेरे संज्ञान में है। जिसके चलते मैंने आदेश दिया है कि जिनका भी आधार कार्ड बन रहा है उनका एक रजिस्टर पर नाम और मोबाइल नंबर नोट किया जाएगा। ताकि मैं उस बच्चें से बात करके पता लगा सकू की कहाँ से अनियमिता हो रही है। आधार कार्ड बनाने के आड़ में कोई पैसा नहीं वसूलेगा। मैं आज ही इनकी आईडी बंद कर दूंगा।