Birthday special : ‘द वॉल’ के खिताब से किस खिलाड़ी को नवाज़ा गया, जानिए उनका क्रिकेट से कोचिंग तक का सफर

'द वॉल' के नाम से मशहूर राहुल द्रविड़, ने भारतीय क्रिकेट में 1996 से 2012 तक खेलते हुए 13,288 टेस्ट और 10,889 वनडे रन बनाए। टेस्ट में 210 कैच पकड़ने का विश्व रिकॉर्ड उनके नाम है। संन्यास के बाद, वे भारतीय टीम के मुख्य कोच बने।

Rahul Dravid cricket career

Rahul Dravid cricket career : राहुल द्रविड़, जिन्हें क्रिकेट जगत में द वॉल के नाम से जाना जाता है, उनका जन्म 11 जनवरी 1973 को इंदौर, मध्य प्रदेश में हुआ था। उन्होंने भारतीय क्रिकेट टीम के लिए 1996 से 2012 तक खेलते हुए कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल कीं।

प्रारंभिक जीवन और करियर की शुरुआत

द्रविड़ ने अपनी स्कूली शिक्षा बेंगलुरु में पूरी की और यहीं से क्रिकेट की बारीकियां सीखीं। उन्होंने 1996 में इंग्लैंड के खिलाफ लॉर्ड्स में टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण किया, जहां उन्होंने 95 रनों की शानदार पारी खेली।

 रिकॉर्ड्स और उपलब्धियां

टेस्ट क्रिकेट में रन

द्रविड़ ने 164 टेस्ट मैचों में 13,288 रन बनाए, जिसमें 36 शतक और 63 अर्धशतक शामिल हैं।

वनडे क्रिकेट में रन

उन्होंने 344 वनडे मैचों में 10,889 रन बनाए, जिसमें 12 शतक और 83 अर्धशतक शामिल हैं।

सबसे ज्यादा कैच

टेस्ट क्रिकेट में उन्होंने 210 कैच पकड़े, जो एक विश्व रिकॉर्ड है।

सबसे ज्यादा गेंदों का सामना

द्रविड़ ने टेस्ट क्रिकेट में 31,258 गेंदों का सामना किया, जो किसी भी बल्लेबाज द्वारा सबसे अधिक है।

सबसे ज्यादा समय क्रीज पर बिताना

उन्होंने टेस्ट क्रिकेट में 44,152 मिनट (लगभग 735 घंटे) क्रीज पर बिताए हैं, जो एक रिकॉर्ड है।

कोचिंग करियर

क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद, द्रविड़ ने कोचिंग में कदम रखा। उन्होंने भारत की अंडर-19 और ‘ए’ टीमों के कोच के रूप में कार्य किया, जहां उनकी देखरेख में कई युवा खिलाड़ियों ने अच्छा  प्रदर्शन किया। वर्तमान में, वे भारतीय राष्ट्रीय क्रिकेट टीम के मुख्य कोच हैं।

निजी जीवन

राहुल द्रविड़ का विवाह विजेता पेंढारकर से हुआ है, और उनके दो पुत्र हैं। वे अपने सरल स्वभाव और खेल के प्रति समर्पण के लिए जाने जाते हैं।

सम्मान और पुरस्कार

द्रविड़ को उनके योगदान के लिए कई पुरस्कार मिले हैं, जिनमें 2004 में पद्म श्री और 2013 में पद्म भूषण शामिल हैं।

राहुल द्रविड़ का क्रिकेट करियर उनकी दृढ़ता, समर्पण और खेल भावना का प्रतीक है। उनकी उपलब्धियां और योगदान भारतीय क्रिकेट के इतिहास में सदैव याद रखे जाएंगे।

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