याचिका में कहा गया है कि लिंग पहचान एक बहुत ही निजी मामला है, लेकिन शादी के मामले में यह पति और पत्नी दोनों के अधिकारों को प्रभावित करता है। पति ने तर्क दिया कि उसकी पत्नी को महिलाओं के भरण-पोषण या संरक्षण के लिए बनाए गए कानूनों के तहत आरोप लगाने का अधिकार नहीं है, क्योंकि वह इन कानूनों के तहत ‘महिला’ नहीं है।
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‘मेरी पत्नी की मेडिकल जांच करवाएं, मैं खर्च उठाऊंगा’
याचिका में कहा गया है, ‘वह व्यक्ति अपनी पत्नी की मेडिकल जांच का खर्च उठाने के लिए तैयार है और अगर जरूरत पड़ी तो वह खुद की मेडिकल जांच करवाने के लिए भी तैयार है। युवक ने पहले ट्रायल कोर्ट में याचिका दायर कर अपनी पत्नी के लिंग की जांच के लिए मेडिकल बोर्ड के गठन की मांग की थी। हालांकि, ट्रायल कोर्ट ने उसकी याचिका खारिज कर दी थी। अब वह इस मामले में हाईकोर्ट से हस्तक्षेप करने की गुहार लगा रहा है। उसका कहना है कि जांच के उसके अधिकार से समझौता किया जा रहा है। लेकिन न्याय के लिए यह मेडिकल जांच जरूरी है।