Delhi earthquake: पिछले 17 घंटों में तिब्बत से लेकर दिल्ली और बिहार तक कई भूकंपों ने धरती को हिला दिया। 16 फरवरी को तिब्बत में भूकंप के बाद, दिल्ली और उसके आसपास के क्षेत्र भी नहीं बच सके। आज सुबह, दिल्ली-एनसीआर में तेज भूकंप के झटके महसूस किए गए, जिनकी तीव्रता 4 मापी गई। यह झटके इतने तीव्र थे कि इमारतें भी हिलने लगीं और लोग अपने घरों से बाहर निकलने को मजबूर हो गए। बीते कुछ घंटों में तिब्बत, अरुणाचल, बंगाल की खाड़ी और दिल्ली के विभिन्न हिस्सों में भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। इस बार इतनी तेजी से क्यों आ रहे हैं भूकंप और क्या वजह है कि धरती बार-बार हिल रही है?
तिब्बत से लेकर Delhi तक, क्यों बार-बार आ रहे हैं भूकंप?
तिब्बत और दिल्ली-एनसीआर के बीच पिछले कुछ घंटों में लगातार भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। तिब्बत में 16 फरवरी को कई भूकंप आए, जिनकी तीव्रता 3.5 से लेकर 4.5 तक मापी गई। तिब्बत में रविवार को भूकंप के झटके सुबह 3:52 बजे से शुरू हुए थे, जिनका सिलसिला 11:59 बजे तक जारी रहा। इसके बाद अरुणाचल प्रदेश में भी भूकंप के झटके महसूस हुए। वहीं, बंगाल की खाड़ी में 4.3 तीव्रता का भूकंप रात 11:16 बजे आया। इन सभी भूकंपों के कारण आसपास के इलाके दहशत में आ गए। लेकिन दिल्ली में आज सुबह महसूस हुए भूकंप के झटके विशेष रूप से चिंता का कारण बने, क्योंकि इसकी तीव्रता काफी अधिक थी।
Delhi में भूकंप के कारण
Delhi का भूकंपीय क्षेत्र के रूप में महत्व है क्योंकि यह हिमालय के पास स्थित है। हिमालय के पास होने के कारण दिल्ली भारतीय और यूरेशियन टेक्टोनिक प्लेटों के टकराने के कारण भूकंप के लिहाज से संवेदनशील क्षेत्र है। भूकंप विशेषज्ञ बताते हैं कि दिल्ली में कई भ्रंश रेखाएं (Fault Lines) हैं। इन रेखाओं में जब तनाव जमा होता है तो भूकंप आ सकता है। आज का भूकंप भी शायद इन भ्रंश रेखाओं में खिंचाव के कारण हुआ है। इसके अतिरिक्त, दिल्ली की मिट्टी की संरचना, जो रेतीली और जलोढ़ है, भूकंप के दौरान अस्थिर हो सकती है, जिससे इमारतों को नुकसान पहुंच सकता है। ऐसे में, दिल्ली में भूकंप के मामले में अधिक सतर्कता बरतने की आवश्यकता है।
भूकंप का मूल कारण
भूकंप पृथ्वी की सतह पर होने वाली एक प्राकृतिक घटना है, जो मुख्य रूप से टेक्टोनिक प्लेटों के टकराव, रगड़ने या खिसकने से होती है। पृथ्वी की सतह कई टेक्टोनिक प्लेटों में बंटी हुई है, जो लगातार धीमी गति से चलती रहती हैं। जब ये प्लेटें आपस में टकराती हैं, तो इसमें तनाव पैदा होता है। जैसे ही यह तनाव एक निश्चित सीमा से अधिक हो जाता है, चट्टानें टूट जाती हैं और ऊर्जा का संचार होता है, जो भूकंप के रूप में महसूस होता है। दिल्ली में पिछले कुछ समय से लगातार भूकंप के झटके इस तनाव के परिणामस्वरूप हो रहे हैं।
Delhi और भूकंपीय जोन
भारत को चार भूकंपीय क्षेत्रों में बांटा गया है- जोन 2, जोन 3, जोन 4 और जोन 5। इन क्षेत्रों में जोन 5 सबसे खतरनाक माना जाता है, जबकि जोन 2 कम खतरनाक होता है। दिल्ली जोन 4 में आता है, जिसका मतलब है कि यहां भूकंप का खतरा हमेशा बना रहता है। जोन 4 में आने वाले क्षेत्रों में भूकंप के कारण काफी नुकसान हो सकता है। इसलिए दिल्ली और उसके आसपास के क्षेत्र भूकंप के लिए संवेदनशील हैं और हमें इसे लेकर सतर्क रहना चाहिए।
दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में लगातार भूकंप के झटकों से यह सवाल उठता है कि क्या धरती के नीचे कोई गंभीर बदलाव हो रहा है। इन भूकंपों का सिलसिला लगातार जारी रहने के कारण विशेषज्ञों के लिए यह चिंता का विषय बन चुका है। धरती के अंदर चल रहे ये बदलाव हमें यह याद दिलाते हैं कि भूकंप एक प्राकृतिक आपदा है, और हमें इसके लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए।