लखनऊ ऑनलाइन डेस्क। बिहार विधानसभा चुनाव की 121 सीटों के लिए मतदान 6 नवंबर को संपन्न हो गया। बांकि सीटों के लिए राजनीतिक दल जीत-हार के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाए हुए हैं। चुनावी शोर में एक खबर उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से सामने आई है। यहां रेलवे स्टेशन से जीआरपी ने बिहार के रामचरण टोला, मोकामा (पटना) निवासी मुकुंद माधव को एक करोड़ रुपये के साथ पकड़ा था। जीआरपी पैसों के साथ उसे थाने लेकर आई और पूछताछ शुरू की। आरोपी ने जीआरपी को पैसों को लेकर लगातार गुमराह करने की कोशिश की। पहले उसने कहा कि रकम गोरखपुर के बरगदवा के रहने वाले एक आईएएस की है। फिर उसने खुद उसे फर्जी आईएएस बता दिया। अब पुलिस यह जांच कर रही है कि आखिरकार बरगदवा के वे शातिर कौन हैं, जो बिहार विधानसभा चुनाव में बड़ी रकम खपाने की कोशिश कर रहे हैं।
गोरखपुर रेलवे स्टेशन पर जीआरवी ने बिहार के मोकामा निवासर मुकुंद माधव को एक करोड़ रुपये के साथ पकड़ा था। पकड़े गए रुपये कथित तौर पर मोकामा विधानसभा क्षेत्र में चुनाव लड़ रहे बाहुबली प्रत्याशी के प्रचार-प्रसार में खर्च के लिए जाने की आशंका जताई जा रही है। पुलिस पकड़े गए मुकुंद से और पूछताछ कर फर्जी आईएएस के बारे में जानकारी जुटा रही है। जीआरपी के अनुसार, शुक्रवार सुबह गोरखपुर स्टेशन पर संदिग्ध हालात में घूम रहे युवक को रोककर पूछताछ की गई। उसने अपना नाम मुकुंद माधव, निवासी रामचरण टोला, मोकामा (पटना) बताया। उसके पास एक बड़ा बैग था। जब जीआरपी कर्मियों ने बैग खोलने को कहा तो उसने पहले टालमटोल की। बाद में कहा कि बैग उसके नहीं बल्कि एक आईएएस अधिकारी गौरव कुमार का है और वह उसे बिहार पहुंचा रहा है।
युवक का व्यवहार संदिग्ध लगने पर टीम ने दबाव बनाया तो पहले उसने बैग में 10 लाख, फिर 50 लाख रुपये होने की बात कही। जब बैग खोला गया तो उसमें बड़ी मात्रा में 500 के नोट मिले। रुपये को तत्काल जब्त कर एसबीआई की शाखा में मशीन से गिनवाया गया, जिसमें कुल 99 लाख नौ हजार रुपये पाए गए। रकम जब्त करने के बाद जीआरपी ने सूचना आयकर विभाग और स्थानीय खुफिया इकाई (एलआईयू) को दी। जांच के दौरान आरोपी ने बताया कि रुपये गोरखपुर के बरगदवां निवासी गौरव कुमार ने दिए थे, जो खुद को आईएएस अधिकारी बताता है। उसने कहा था कि यह रकम मोकामा तक सुरक्षित पहुंचानी है। हालांकि न तो गौरव कुमार किसी सरकारी सेवा में पाया गया और न ही आरोपी के पास रकम से जुड़े कोई वैध कागजात मिले।
पुलिस को शक है कि यह रकम मोकामा विधानसभा क्षेत्र में चुनावी गतिविधियों में खर्च की जानी थी, जहां इस समय कई बाहुबली प्रत्याशी आमने-सामने हैं। इधर मामला संज्ञान में आने के बाद एलआईयू ने भी फर्जी आईएएस गौरव कुमार का पता लगाने में जुट गई है। जीआरपी ने जब मुकुंद से पूछताछ की तो पता चला कि वह ठेकेदारी के नाम पर लोगों से संपर्क बनाता है। यहीं नहीं रुपये देने वाले गौरव को भी फर्जी आईएएस बताकर प्रभावशाली लोगों से मेलजोल रखने की बात कही। प्राथमिक जांच में सामने आया कि गौरव कुमार का सरकारी सेवा से कोई संबंध नहीं है। फिलहाल उसकी लोकेशन ट्रेस की जा रही है। जीआरपी के साथ पुलिस भी आरोपी की कुंडली खंगाल रही है। पैसे किसके हैं और कहां जाने थे, को लेकर पुलिस की कई टीम ऑपरेशन चलाए हुए हैं।
जीआरपी इंस्पेक्टर अनुज सिंह ने बताया कि मुकुंद माधव के बयान में कई विरोधाभास हैं। शुरुआत में उसने खुद को सरकारी ठेकेदार बताया और कहा कि यह रकम किसी परियोजना से जुड़ी है, लेकिन जब उससे दस्तावेज मांगे गए तो वह कोई प्रमाण पेश नहीं कर सका। जीआरपी इंस्पेक्टर के अनुसार, बिहार पुलिस को भी मामले की जानकारी दी गई है। मोकामा और पटना पुलिस को गौरव कुमार और उसके संपर्कों की जांच का जिम्मा सौंपा गया है। अधिकारियों का मानना है कि यह मामला सिर्फ नकदी बरामदगी का नहीं, बल्कि चुनावी धन के गैरकानूनी हस्तांतरण का भी हो सकता है। फिलहाल पूरी रकम आयकर विभाग को सौंप दी गई है। पुलिस ने आरोपी मुकुंद माधव को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है, जबकि रुपये देने वाले फर्जी आईएएस गौरव कुमार की तलाश में टीमें जुटी हैं।
सूत्रों के मुताबिक, बरामद रकम को एसबीआई में गिनती कराने के बाद आयकर विभाग को सुपुर्द कर दिया गया। अब आयकर विभाग बैंक ट्रेल, मोबाइल कॉल डिटेल और संभावित नेटवर्क की जांच में जुटा है। आयकर विभाग की प्राथमिक जांच में यह रकम बेनामी बताई जा रही है। विभाग यह भी जांच कर रहा है कि इतने बड़े स्तर पर नकदी गोरखपुर से बिहार तक क्यों ले जाई जा रही थी और इसके पीछे कौन लोग सक्रिय जीआरपी और स्थानीय खुफिया इकाई भी यह पता लगाने में लगी हैं कि रुपये बरगदवा से किसके निर्देश पर भेजे जा रहे थे। फिलहाल युवक से लगातार पूछताछ की जा रही है और पुलिस ने उसके मोबाइल, यात्रा टिकट व अन्य दस्तावेज जब्त कर लिए हैं। जांच एजेंसियों ने कहा है कि अगर हवाला या चुनावी फंडिंग का कनेक्शन साबित होता है तो एफईएमए और पीएमएलए (मनी लॉन्ड्रिंग कानून) के तहत भी कार्रवाई की जाएगी।
