लखनऊ ऑनलाइन डेस्क। जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर के डल झील से सटे डलगेट क्षेत्र में नाका चेकिंग के पुलिस ने बाइक सवार तीन युवकों को अरेस्ट किया था। तलाशी में पुलिस को एक तमंचा और 9 कारतूस बरामद हुए। पुलिस तीनों को थाने लेकर गई। पूछताछ में पूछताछ में तीनों युवकों की पहचान नदीम निवासी लावड़ (मेरठ), शाह मुतैब और कामरान हसन शाह, दोनों निवासी खानयार (श्रीनगर) के रूप में हुई। पुलिस जांच में सामने आया कि तीनों का संबंध एक आतंकी संगठन से है। आरोपियों के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) और शस्त्र अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है। पकड़े गए आतंकियों में से एक यूपी के मेरठ का रहने वाला है। श्रीनगर पुलिस ने पकड़े गए आतंकी की जानकारी मेरठ पुलिस को दी।
श्रीनगर पुलिस की सूचना पर मेरठ खुफिया विभाग और स्थानीय पुलिस की टीम शुक्रवार को लावड़ कस्बे में नदीम के आवास पर पहुंची। जांच के दौरान पाया गया कि नदीम का बड़ा भाई फरीद मकान बंद कर कहीं चला गया है और उसका मोबाइल फोन भी स्विच ऑफ है। नदीम की गिरफ्तारी के बाद से उसका परिवार लापता है, जिससे खुफिया एजेंसियों की शंका और गहरी हो गई है। एजेंसियां अब नदीम के स्थानीय संपर्कों और संभावित नेटवर्क की पड़ताल में जुटी हैं। पुलिस ने सुरक्षा कारणों से क्षेत्र में नजरबंदी बढ़ा दी है और किसी भी संदिग्ध गतिविधि पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है। सूत्रों की माने तो मेरठ की जांच एजेंसियों ने परिजनों के नंबरों की सीडीआर निकलवाकर उनकी कॉल डिटेल खंगाल रही है।
लावड़ कस्बे की घासमंडी निवासी यासीन के तीन बेटे हैं। मोहम्मद नदीम पहले कस्बे में अपने भाई के साथ सैलून चलाता था। श्रीनगर में काम अच्छा चलने पर वह वहीं रहने लगा। ईद के त्योहार पर वह कस्बे में आता था। लगभग दो साल पहले उसके माता-पिता की मौत हो गई थी। इसके बाद तीनों भाइयों ने पुस्तैनी मकान बेच दिया और अपने हिस्से के रुपये ले लिए। नदीम अपने हिस्से के रुपये लेकर वापस श्रीनगर लौट गया था। पड़ोसियों के मुताबिक, नदीम के बाकी दोनों भाई भी कस्बे से बाहर रहते हैं। नदीम के पकड़े जाने के बाद श्रीनगर पुलिस ने इंचौली थाना क्षेत्र की लावड़ चौकी पुलिस से संपर्क किया और जानकारी दी। पुलिस ने पड़ोसियों को पूछताछ के लिए चौकी पर बुलाया। इस पर पड़ोसियों ने बाकी दोनों भाइयों के बाहर होने की पुलिस को जानकारी दी।
नदीम के आतंकी कनेक्शन होने और श्रीनगर में पकड़े जाने की खबर से पड़ोसी भी हैरत में है। पड़ोसियों ने बताया कि नदीप पहले साल में एक बार घर आया करता था। वह लोगों से ज्यादा बात नहीं करता था। नदीम अपने पुराने दोस्तों के साथ ही घूमने जाता था। नदीप के माता-पिता की मौत हो गई। जिसके बाद वह फिर मेरठ नहीं आया। लोग बताते हैं कि नदीम कुछ दिन पहले अपने भाईयों से मिलने के लिए आया था। छोटे भाई को वह कश्मीर लेकर चला गया था। वहीं तीनों आतंकियों की गिरफ्तारी के बाद सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट पर हैं। सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, श्रीनगर में हुई यह गिरफ्तारी उस बड़े खतरे की एक छोटी सी झलक है, जो घाटी में फिर से सिर उठा रहा है।
खुफिया रिपोर्टों से पता चला है कि भारतीय सुरक्षा बलों द्वारा लगभग छह महीने पहले चलाए गए ’ऑपरेशन सिंदूर’ से कमजोर पड़ने के बाद, पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन एक बार फिर से कश्मीर में इकट्ठा हो रहे हैं। खुफिया जानकारी के मुताबिक, पाकिस्तान में बैठे लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठन पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई और उसके एसएसजी कमांडो की सीधी मदद से पूरे जम्मू-कश्मीर में एक साथ कई हमले करने की तैयारी कर रहे हैं। उनका मकसद घाटी में आतंकवाद को फिर से जिंदा करना और अपने मारे गए आतंकियों का बदला लेना है। एजेंसियों ने सितंबर से ही नियंत्रण रेखा पर ड्रोन की गतिविधियों में भारी इजाफा देखा है। बताया जा रहा है कि लश्कर कमांडर शमशेर की यूनिट इन ड्रोन्स का इस्तेमाल भारतीय इलाकों की जासूसी करने, आत्मघाती हमलावरों के लिए सुरक्षित ठिकाने खोजने और शायद ड्रोन से ही विस्फोटक गिराकर हमला करने के लिए कर रही है।
अक्टूबर के महीने में पीआके में जमात-ए-इस्लामी, हिजबुल मुजाहिदीन और आईएसआई के अधिकारियों के बीच कई गुप्त बैठकें हुई हैं। इन बैठकों में कश्मीर में सोए पड़े आतंकी स्लीपर सेल्स को फिर से सक्रिय करने का प्लान बनाया गया। खबर है कि पुराने आतंकी कमांडरों को हर महीने पैसे दिए जा रहे हैं और उन्हें अपने पुराने नेटवर्क्स को फिर से जगाने का आदेश दिया गया है। श्रीनगर पुलिस की इस कामयाबी ने भले ही एक हमले को टाल दिया हो, लेकिन खुफिया एजेंसियों की यह रिपोर्ट बताती है कि आने वाले दिन कश्मीर की शांति के लिए कितने चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं। सूत्र बताते हैं कि आईएसआई भारत के अन्य शहरों में अपने नेटवर्क के जरिए युवाओं को आतंकी बनाने के ऑपरेशन को फिर से लॉन्च कर दिया है।
मेरठ का रहने वाला नदीम पहले युवक नहीं है, जो आतंकी संगठन में शामिल हुआ। इससे पहले भी वेस्ट यूपी में आतंकियों के मददगार दबोच गए हैं। 19 अक्तूबर 2018 को मेरठ कैंट का जवान कंचन पाकिस्तान को सूचना भेजते पकड़ा गया था। 27 नवंबर 2015 को एसटीएफ ने मेरठ कैंट से आईएसआई एजेंट इजाज को गिरफ्तार किया था। 16 अगस्त 2014 मेरठ से संदिग्ध आईएसआई एजेंट आसिफ अली को गिरफ्तार किया था। 10 जनवरी 2009 सहारनपुर से आईएसआई एजेंट आमिर अहमद उर्फ भूरा दबोचा गया था। 12 दिसंबर 2008- सीआरपीएफ कैंप में आतंकी हमले से जुड़े लश्कर-ए-तैयबा का आतंकी फहीम अंसारी पकड़ गया था। 21 जून 2007 को बिजनौर में भारी मात्रा में आरडीएक्स के साथ हूजी के दो आतंकी गिरफ्तार किए गए थे।
वेस्ट यूपी से 23 अगस्त 2005 लश्कर-ए-तैयबा के चीफ कोऑर्डिनेटर अबु रज्जाक मसूद का मुजफ्फरनगर कनेक्शन मिला था। 10 मार्च 2005 मेरठ से खलील हुसैन शाह नाम का आईएसआई एजेंट गिरफ्तार। 18 अप्रैल 2004- मेरठ से रूबी बेगम नाम की आईएसआई एजेंट गिरफ्तार। 14 मार्च, 2003- मुजफ्फरनगर से जैश-ए-मोहम्मद के दो आतंकी सज्जाद और इत्तफाकुल गिरफ्तार। 15 जुलाई 2002- मुजफ्फरनगर से एक आईएसआई एजेंट गिरफ्तार। 9 जुलाई 2002- मुरादाबाद से हिज्बुल मुजाहिदीन से ताल्लुक रखने वाले पांच आतंकी गिरफ्तार किए गए थे। कानपुर के बाद आईएसआई ने अपनी दूसरी नर्सरी वेस्ट यूपी में खोली हुई थी। आईएसआई युवको को पहलाकर आतंकी बना रही है।
