Sholay actor Mac Mohan life story : शोले वाले मैक मोहन की अनसुनी कहानी 24 अप्रैल 1938 को कराची में जन्मे मैक मोहन का असली नाम मोहन माखीजानी था। उनके पिता ब्रिटिश आर्मी में कर्नल थे। जब मैक मोहन छोटे थे, तब उनके पिता का तबादला कराची से लखनऊ हो गया। इसके बाद मैक मोहन की शुरुआती पढ़ाई लखनऊ में ही हुई। बचपन से ही उन्हें क्रिकेट खेलने का बहुत शौक था और वे बड़े होकर क्रिकेटर बनना चाहते थे।
क्रिकेट से एक्टिंग तक का सफर
क्रिकेट की अच्छी ट्रेनिंग पाने के इरादे से वे साल 1952 में मुंबई आ गए। लेकिन मुंबई जैसे बड़े शहर में ज़िंदगी चलाने के लिए पैसे कमाना ज़रूरी था। एक दोस्त की सलाह पर उन्होंने नाटकों में काम करना शुरू कर दिया। पहले-पहल यह पार्ट टाइम कमाई का जरिया था, लेकिन धीरे-धीरे एक्टिंग ही उनका पेशा बन गया। शौकत आज़मी के नाटक से उन्होंने एक्टिंग की शुरुआत की थी।
बॉलीवुड में कदम
नाटक करते-करते उन्हें फिल्मों में काम करने का मौका मिला। साल 1961 में आई फिल्म ‘जंगली’ में उन्हें एक छोटा सा रोल मिला, जिसे लोगों ने पसंद किया। इसके बाद 1964 की देशभक्ति फिल्म ‘हकीकत’ में उन्होंने रामस्वरूप के छोटे भाई का किरदार निभाया, जिससे उन्हें पहचान मिलने लगी।
‘शोले’ से मिली असली पहचान
साल 1975 में आई ब्लॉकबस्टर फिल्म ‘शोले’ ने उनकी किस्मत बदल दी। इस फिल्म में उन्होंने डाकू गब्बर के साथी ‘सांभा’ का रोल निभाया। फिल्म में उनके कुछ ही डायलॉग थे, लेकिन उनका अंदाज़ लोगों के दिलों में बस गया। इसके बाद उन्हें लोग उनके असली नाम से ज़्यादा ‘सांभा’ के नाम से जानने लगे।
रवीना टंडन से रिश्तेदारी
बहुत से लोगों को नहीं पता कि मैक मोहन की बहन वीना टंडन, एक्ट्रेस रवीना टंडन की मां हैं। रवीना के पिता रवि टंडन भी फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े थे। इस तरह रवीना का भी फिल्मी कनेक्शन रहा है।
आखिरी पड़ाव और निधन
मैक मोहन को सिगरेट पीने की लत थी और वे चेन स्मोकर थे। यही आदत उनकी मौत की वजह बनी। फेफड़ों में ट्यूमर के कारण साल 2010 में 72 साल की उम्र में उनका निधन हो गया। उनकी आखिरी फिल्म ‘अतिथि तुम कब जाओगे’ थी। अपने 46 साल के करियर में उन्होंने करीब 174 फिल्मों में काम किया था। बॉलीवुड के अलावा वे भोजपुरी फिल्मों में भी नजर आए, जैसे कि ‘निरहुआ रिक्शावाला’ में उनका अहम रोल था।