नई दिल्ली. दो साल बाद एक बार फिर किसान अपनी मांगों को लेकर सड़कों पर उतरे हैं. दिल्ली चलो विरोध मार्च में भाग लेने वाले प्रदर्शनकारियों ने मंगलवार को अंबाला में शंभू सीमा पर लगाए गए बैरिकेड्स को तोड़ने का प्रयास किया. जिसके बाद हरियाणा पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े. शंभू सीमा के पास स्थिति तब बिगड़ गई जब किसानों ने सीमेंट बाधाओं को हटाने के लिए ट्रैक्टरों का इस्तेमाल किया. ये अवरोधक हरियाणा पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारी किसानों को आगे बढ़ने से रोकने के लिए घग्गर नदी पुल पर बैरिकेड के हिस्से के रूप में लगाए गए थे.
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किसान आंदोलन को लेकर हरियाणा पुलिस ने कही ये बात
बता दें कि इस मामले को लेकर हरियाणा पुलिस ने कहा कि स्थिति को नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े गए क्योंकि प्रदर्शनकारी पुलिस कर्मियों पर पथराव कर रहे थे. सोमवार रात सरकार के साथ बैठक में जब कोई सहमति नहीं बनी तो यूनियन ने दिल्ली मार्च जारी रखने का ऐलान किया. इस साल का विरोध 2020-21 के साल भर के आंदोलन से कैसे अलग है?
150 से अधिक संगठनों का समर्थन प्राप्त
पंजाब के 250 से ज्यादा संगठनों ने विरोध का आह्वान किया है. इनमें से लगभग 100 यूनियनों को किसान मजदूर मोर्चा (KMM) और संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) सहित अन्य 150 संगठनों का समर्थन प्राप्त है. ये किसान कई मांगों का विरोध कर रहे हैं. दिसंबर 2023 के अंत में इन दोनों संगठनों ने दिल्ली मार्च का आह्वान किया था. बता दें कि इस बार इनका नेतृत्व अलग-अलग नेता कर रहे हैं. संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) जुलाई 2022 में मूल संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) से अलग होकर बना एक समूह है. इसके समन्वयक जगजीत सिंह दल्लेवाल हैं, जो भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) सिधुपुर के अध्यक्ष हैं. मुख्य संगठन के नेतृत्व से मतभेद के कारण वे एसकेएम से अलग हो गये. दूसरा संगठन किसान मजदूर मोर्चा (KMM) है, जिसका गठन पंजाब स्थित किसान मजदूर संघर्ष समिति (KMSC) के समन्वयक सरवन सिंह पंढेर ने किया है.
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