नई दिल्लीः फीफा FIFA के ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन को निलंबित करने के मामले में आज सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई होगी. जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच इस मामले की सुनवाई करेगी. 16 अगस्त को सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में इस केस का जिक्र करते हुए कहा कि भारत इंडिया फुटबॉल फेडरेशन के मामले को 17 अगस्त को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है.
इस पर कोर्ट ने कहा था कि इसे हटाया नहीं जाएगा. दरअसल, फीफा के अलग भारत फुटबॉल फेडरेशन को निलंबित करने के फैसले का असर यह होगा कि 2022 फीफा (FIFA) अंडर-17 महिला विश्व कप की मेजबानी भारत से छीनी जा सकती है. इस केस की सुनवाई करते हुए 11 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने चेतावनी दी थी कि 2022 फीफा अंडर-17 महिला विश्व कप की मेजबानी में अगर कोई बाधा उत्पन्न होती है तो वह हस्तक्षेप करने से नहीं हिचकिचाएगा.
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त प्रशासकों ने अवमानना याचिका दायर की है, जिस पर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने ये टिप्पणी की. सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की तरफ से एएसजी बलबीर सिंह का कहना था, कि फीफा (FIFA) के साथ बैठक की जा रही है और सभी मतभेदों को दूर करने का प्रयास किया जाएगा. प्रशासकों ने प्रफुल्ल पटेल के अलावा राज्य फुटबॉल फेडरेशन के पदाधिकारियों पर भी आरोप लगाए हैं.
राज्य संघों के 35 सदस्यों की बैठक बुलाई
याचिका में कहा गया है कि प्रफुल्ल पटेल ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करते हुए FIR और राज्य संघों के 35 सदस्यों की बैठक बुलाई थी. यह मीटिंग 8 अगस्त को Zoom पर हुई थी. याचिका में पटेल को फुटबॉल से संबंधित किसी भी तरह की गतिविधियों में भाग लेने या पद संभालने से रोकने की मांग की गई है. याचिका में ये भी कहा गया है कि प्रफुल्ल पटेल को FIR के अध्यक्ष पद से हटा दिया गया था. उन्होंने लगातार FIFA परिषद के सदस्य के रूप में अपने पद का दुरुपयोग किया है.
कमेटी में टीम के कप्तान गांगुली भी शामिल
आपको बता दें कि, 18 मई को सुप्रीम कोर्ट ने FIFA के प्रशासन को संभालने के लिए तीन सदस्यीय समिति के गठन का आदेश दिया था. जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की बैंच ने Supreme Court के पूर्व जज अनिल आर दवे, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी और भारतीय फुटबॉल टीम के कप्तान भास्कर गांगुली को शामिल किया. प्रशासकों की इस समिति को नेशनल स्पोर्ट्स कोड के अनुरूप AIFF के संविधान का मसौदा तैयार करने में अदालत की सहायता करने का आदेश दिया था. साथ ही कोर्ट ने प्रशासकों की समिति AIFF के दिन-प्रतिदिन के काम की देखरेख करने को कहा था.
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