इस याचिका में अदालत से मांग की गई है कि सालों से बंद पड़े ताजमहल के 22 कमरों को खुलवाया जाए और आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया (ASI) से उसकी जांच कराई जाए. इस याचिका पर इलाहाबाद हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. और अदालत ने कई सख्त टिप्पणियां भी की. और अगली सुनवाई दोपहर 2 बजे होने का आदेश दिया है.
हाई कोर्ट ने कहा :
आज आप ताजमहल के कमरे देखने की मांग कर रहे हैं कल को आप कहेंगे कि हमें जज के चेंबर में जाना है. अदालत ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह जाएं और एमए, नेट जेआरएफ करें और उसके बाद शोध में ऐसा विषय चुनें. फिर अगर कोई संस्थान उन्हें यह शोध करने से रोके तो हमारे पास आएं.
कोर्ट ने यह भी कहा कि क्या हम जजों को इसी तरह के केस सुनने की ट्रेनिंग दी गई है।
हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में जस्टिस डीके उपाध्याय और सुभाष विद्यार्थी की बेंच ने मामले की सुनवाई की. अदालत में सुनवाई में याचिकाकर्ता रजनीश सिंह के वकील ने कहा कि देश के नागरिकों को ताजमहल के बारे में सच जानने की जरूरत है. याचिकाकर्ता ने कहा- मैं कई आरटीआई लगा चुका हूं. मुझे पता चला है कि कई कमरे बंद हैं और प्रशासन की ओर से बताया गया कि ऐसा सुरक्षा कारणों की वजह से किया गया है.
भाजपा नेता डॉ. रजनीश सिंह की याचिका पर जस्टिस डीके उपाध्याय ने कहा- याचिकाकर्ता PIL व्यवस्था का दुरुपयोग न करें। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को कहा कि ‘पहले जाकर ताजमहल पर रिसर्च करो और फिर आओ’। कोर्ट ने कहा कि रिसर्च करने में ‘कोई रोके, तो मुझे बताना’।
(By: ABHINAV SHUKLA)