Mumbai attacks extradition: 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों में मुख्य रूप से दोषी ठहराए गए तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण को लेकर अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट ने मंजूरी दे दी है। शीर्ष अदालत ने राणा की याचिका खारिज कर दी, जिसमें उसने भारत को प्रत्यर्पित किए जाने के खिलाफ कानूनी दलील दी थी। राणा, जो पाकिस्तानी मूल के कनाडाई नागरिक हैं, भारत द्वारा 2008 के Mumbai attacks में उनकी संलिप्तता के आरोप में वांछित हैं। अमेरिका के विभिन्न अदालतों में कई बार हारने के बाद, यह फैसला राणा के लिए प्रत्यर्पण से बचने का अंतिम कानूनी मौका था।
राणा के खिलाफ यह मामला Mumbai attacks के पीड़ितों और भारत के लिए न्याय की दिशा में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने राणा की अपील को खारिज करने का फैसला लिया, जो अब तक की उसकी कानूनी लड़ाई का अंतिम पड़ाव था। राणा ने तर्क दिया था कि उसे शिकागो की एक संघीय अदालत ने बरी कर दिया था, और इस आधार पर वह भारत के लिए प्रत्यर्पित किए जाने से बचने की कोशिश कर रहा था। हालांकि, अमेरिकी सॉलिसिटर जनरल ने राणा के दावों को खारिज कर दिया, यह कहते हुए कि भारत द्वारा लगाए गए आरोपों से बचने का कोई कानूनी आधार नहीं है।
राणा की याचिका का मुख्य आधार यह था कि अमेरिकी अदालत में उस पर लगे आरोप पहले ही निस्तारित हो चुके हैं, लेकिन अमेरिकी सरकार ने इसे खारिज कर दिया और राणा की याचिका को सुप्रीम कोर्ट में अस्वीकार करने का आग्रह किया। 21 जनवरी को शीर्ष अदालत ने उसकी याचिका को खारिज कर दिया, जिससे यह साफ हो गया कि राणा के पास अब प्रत्यर्पण से बचने का कोई रास्ता नहीं है।
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राणा का नाम डेविड कोलमैन हेडली के साथ जुड़ा हुआ था, जो 26/11 मुंबई हमलों के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक है। इस Mumbai attacks में 166 लोग मारे गए थे, जिसमें छह अमेरिकियों की भी मौत हुई थी। अब राणा की गिरफ्तारी के बाद उसकी भारत प्रत्यर्पण प्रक्रिया की दिशा में अंतिम कदम उठाए जा रहे हैं। राणा वर्तमान में लॉस एंजिल्स में मेट्रोपॉलिटन डिटेंशन सेंटर में हिरासत में है, जहां से उसकी प्रत्यर्पण की प्रक्रिया जल्द शुरू की जाएगी।