China US tension: चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने दक्षिण-पूर्व एशिया के दौरे की शुरुआत करते हुए अमेरिका की एक ऐसी दुखती रग पर हाथ रख दिया है, जिससे ट्रंप प्रशासन बौखला गया है। वियतनाम, मलेशिया और कंबोडिया की यात्रा पर निकले जिनपिंग ने वियतनाम में अमेरिकी प्रभाव को चुनौती देने वाला बड़ा दांव खेला है। वियतनाम के साथ 45 अहम समझौते कर चीन ने न केवल आर्थिक सहयोग को नया आयाम दिया, बल्कि अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ युद्ध को भी ‘एकतरफा बदमाशी’ करार देकर खुलेआम विरोध की अपील की। इस कदम ने अमेरिका को (China US tension) रणनीतिक और व्यापारिक रूप से असहज कर दिया है।
दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों में चीन की बढ़ती पैठ से अमेरिका की चिंता गहराने लगी है। खासकर वियतनाम के साथ चीन की नजदीकी अमेरिका के लिए एक रणनीतिक झटका मानी जा रही है। वियतनाम अमेरिका के लिए एक अहम व्यापारिक साझेदार रहा है, जहां से 2022 में 127.5 अरब डॉलर का निर्यात हुआ था। जूते, कपड़े, इलेक्ट्रॉनिक्स, खाद्य उत्पाद जैसे काजू, बादाम और मछली—अमेरिकी बाजार वियतनामी उत्पादों पर बहुत हद तक निर्भर है। ऐसे में चीन और वियतनाम की यह नई साझेदारी अमेरिका की आर्थिक रणनीति को चुनौती देती नजर आ रही है।
शी जिनपिंग की वियतनाम यात्रा के दौरान हनोई में उन्हें गर्मजोशी से स्वागत मिला। उन्होंने वियतनाम की कम्युनिस्ट पार्टी के प्रमुख टो लैम से मुलाकात की और दोनों देशों के बीच आर्थिक रिश्तों को गहरा करने के लिए सप्लाई चेन, रेलवे संपर्क समेत कुल 45 समझौतों पर हस्ताक्षर किए। इस दौरान जिनपिंग ने अमेरिका पर निशाना साधते हुए (China US tension) कहा कि टैरिफ युद्ध एकतरफा आक्रामकता है और चीन व वियतनाम को मिलकर इसका विरोध करना चाहिए।
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि चीन और वियतनाम अमेरिका के खिलाफ साजिश कर रहे हैं। ट्रंप ने वाइट हाउस में पत्रकारों से बातचीत में कहा, “यह बैठक अमेरिका को नुकसान पहुंचाने की योजना का हिस्सा थी। हालांकि मैं किसी को दोष नहीं देता, पर यह गंभीर विषय है।”
शी जिनपिंग की यह यात्रा वियतनामी नेतृत्व की अपील पर हुई है, जिसमें उन्होंने चीन के (China US tension) साथ व्यापारिक रिश्ते मजबूत करने की बात कही थी। वियतनाम खुद अमेरिका द्वारा लगाए गए 46 फीसदी भारी टैक्स से परेशान है और राहत की मांग कर चुका है। ऐसे में चीन के साथ नजदीकी उसकी रणनीति का हिस्सा हो सकती है।
दौरे के अगले चरण में जिनपिंग मलेशिया और कंबोडिया जाएंगे। अमेरिका को डर है कि ये कदम दक्षिण-पूर्व एशिया में चीन को एक बड़ी ताकत में तब्दील कर सकते हैं, जो न केवल उसके आर्थिक हितों को चुनौती देंगे बल्कि भू-रणनीतिक संतुलन को भी बिगाड़ सकते हैं।