शेख हसीना : बांग्लादेश की अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT-BD) द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को मौत की सजा सुनाए जाने के साथ ही अदालत कक्ष में जोरदार तालियां और खुशियों की आवाजें गूंज उठीं। कई लोग अदालत के अंदर ताली बजाते, मुस्कुराते और खुश होकर चियर करते दिखाई दिए, जबकि कुछ ने प्रार्थना की मुद्रा में हाथ जोड़े। कुछ लोगों को भावुक होकर रोते भी देखा गया।
तालियों का यह दौर कुछ सेकंड तक चला, जिसके बाद न्यायाधीशों ने सभी से अदालत की शांति बनाए रखने की अपील की। 78 वर्षीय हसीना को पिछले वर्ष हुए सरकार-विरोधी आंदोलन के दौरान किए गए ‘मानवता के खिलाफ अपराधों’ के लिए मौत की सजा दी गई। न्यायालय ने हसीना को तीन आरोपों में दोषी ठहराया—उकसावा, हत्या का आदेश देना, और अत्याचार रोकने में विफल रहना।
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को मानवता के खिलाफ अपराधों का दोषी ठहराते हुए फांसी की सजा सुनाई है। यह मुकदमा 2024 के जुलाई-अगस्त में हुए छात्र-नेतृत्व वाले आंदोलन और उसके बाद की हिंसा से जुड़ा है, जिसमें रिपोर्टों के अनुसार लगभग 1,400 लोग मारे गए थे। न्यायाधिकरण में यह आरोप था कि हसीना ने अपने पद के नाते प्रदर्शनकारियों को कुचलने का आदेश दिया था।
न्यायाधीश गोलाम मुर्तज़ा मोजुमदार ने कहा, “हमने उन्हें केवल एक ही सजा देने का निर्णय लिया है — और वह है मृत्यु-दंड।”तीन सदस्यीय इस ट्रिब्यूनल, जिसकी अध्यक्षता मोजुमदार कर रहे थे, ने 78 वर्षीय हसीना के करीबियों — पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमान खान कमाल और पूर्व पुलिस प्रमुख चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून — के खिलाफ भी वही निर्णय सुनाया। हसीना और कमाल को पहले ही फरार घोषित किया जा चुका है और उनका मुकदमा गैरहाजिरी में चलाया गया, जबकि मामून ने शुरू में अदालत में पेशी दी थी, लेकिन बाद में सरकारी गवाह (approver) बन गए। ICT-BD कानून के अनुसार, हसीना इस फैसले के खिलाफ केवल तभी अपील कर सकती हैं, जब वह 30 दिनों के भीतर लौट आएं या गिरफ्तार कर ली जाएं। पूर्व प्रधानमंत्री हसीना 5 अगस्त 2024 को स्व-निर्वासन पर भारत भाग गई थीं, जब हजारों प्रदर्शनकारी ढाका में उनके आवास की ओर बढ़ते हुए उन्हें सत्ता से बेदखल करने लगे थे, जिससे उनका 15 साल लंबा शासन खत्म हो गया। तब से वह दिल्ली में एक गुप्त सुरक्षित घर में रह रही हैं। उन्होंने छात्र-नेतृत्व वाले विद्रोह पर हुए घातक दमन के मामले में अदालत में पेश होने के आदेशों की अवहेलना की थी।










