Kumari Selja: हरियाणा के कार्यवाहक मुख्यमंत्री नायब सैनी ने शनिवार को कांग्रेस पर जोरदार हमला बोलते हुए पार्टी के भीतर के मतभेदों को उजागर किया। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने अपनी वरिष्ठ नेता कुमारी सैलजा के साथ न केवल धोखा किया है, बल्कि उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित भी किया जा रहा है। सैनी ने कहा, “कुमारी सैलजा एक बड़ी नेता हैं और उन्होंने कांग्रेस के लिए काफी योगदान दिया है, लेकिन पार्टी ने उन्हें अपमानित किया है। कांग्रेस का यह रवैया दुखद है, और इससे पहले अशोक तंवर के साथ भी यही हुआ था।”
सैनी का बयान ऐसे समय आया है जब हरियाणा विधानसभा चुनाव की तैयारी जोर-शोर से चल रही है, और कांग्रेस के भीतर मतभेद की अफवाहों ने चुनावी माहौल को और गर्म कर दिया है। हालांकि, कांग्रेस ने इन आरोपों से इनकार किया है, पार्टी के कई नेताओं ने इसे महज राजनीतिक साजिश बताया है।
आरक्षण और दलित मुद्दे पर कांग्रेस को घेरा
नायब सैनी ने कांग्रेस पर आरक्षण विरोधी होने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “कांग्रेस के डीएनए में आरक्षण का विरोध है। पार्टी गरीबों और दलितों का विकास नहीं चाहती, और इसका इतिहास संविधान विरोधी रहा है।” सैनी ने अपने बयान में दलितों के साथ कांग्रेस के व्यवहार को लेकर सवाल उठाए और कहा कि पार्टी हमेशा से ही दलित समुदाय को केवल वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल करती रही है।
Haryana: CM Nayab Singh Saini says, "Congress party is flustered. Its members have mentally harassed Kumari Selja, which has deeply hurt me…" pic.twitter.com/hfqjSWYVJe
— IANS (@ians_india) September 21, 2024
यह बयान ऐसे समय आया है जब भाजपा दलित वोटरों को साधने की कोशिश कर रही है और कांग्रेस के बड़े दलित चेहरों को निशाना बना रही है। सैनी ने कुमारी सैलजा का नाम लेते हुए कहा कि अगर वह मुख्यमंत्री बनने की इच्छा रखती हैं, तो इसमें कोई बुराई नहीं है, लेकिन कांग्रेस उन्हें ऐसा नहीं करने दे रही। “सैलजा एक दलित नेता हैं और कांग्रेस ने उनके साथ अन्याय किया है,” सैनी ने कहा।
खट्टर का भाजपा में सैलजा को शामिल होने का निमंत्रण
इस बीच, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भी Kumari Selja को भाजपा में शामिल होने का खुला निमंत्रण दिया है। खट्टर ने कहा, “कुमारी सैलजा मेरी बहन हैं, और कांग्रेस ने उनका अपमान किया है। वह घर बैठी हैं, लेकिन गांधी परिवार और भूपेंद्र सिंह हुड्डा को कोई शर्म नहीं है। अगर वह भाजपा में आना चाहेंगी, तो हम उनका स्वागत करेंगे।”
खट्टर का यह बयान हरियाणा की चुनावी सभाओं के दौरान आया, जहां भाजपा लगातार कांग्रेस को निशाना बना रही है। कुमारी सैलजा, जो कांग्रेस की सबसे वरिष्ठ दलित नेताओं में से एक मानी जाती हैं, पिछले कुछ समय से पार्टी की प्रमुख बैठकों और चुनावी अभियानों से अनुपस्थित रही हैं। यह अनुपस्थिति कांग्रेस के भीतर दरार की अफवाहों को और हवा दे रही है, जिसे भाजपा अपने चुनावी फायदे के लिए भुना रही है।
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कांग्रेस के भीतर दरार की अफवाहें
कांग्रेस के हरियाणा इकाई में अंदरूनी मतभेदों की अफवाह तब और जोर पकड़ने लगी जब पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे द्वारा पार्टी के घोषणापत्र लॉन्च के दौरान Kumari Selja की अनुपस्थिति दर्ज की गई। इस मौके पर भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उनके समर्थकों की प्रमुखता थी, लेकिन सैलजा और उनके करीबियों की गैरमौजूदगी ने कई सवाल खड़े कर दिए। हालांकि, हुड्डा ने इन अफवाहों को खारिज करते हुए कहा कि “कुछ नेताओं की व्यक्तिगत आकांक्षाएं और मतभेद हो सकते हैं, लेकिन पार्टी एकजुट होकर विधानसभा चुनाव लड़ रही है।”
बावजूद इसके, भाजपा लगातार कुमारी सैलजा के मुद्दे को लेकर कांग्रेस पर हमलावर है। सैनी और खट्टर के बयानों के बाद कांग्रेस को अब यह तय करना होगा कि वह अपने वरिष्ठ नेताओं को कैसे साथ लेकर चले, खासकर उन नेताओं को, जिनका चुनावी क्षेत्रों पर गहरा प्रभाव है। सैलजा की अनुपस्थिति न केवल कांग्रेस के लिए एक बड़ी चुनौती है, बल्कि भाजपा के लिए चुनावी लाभ का अवसर भी है।
चुनावी समीकरण और दलित वोट बैंक पर नजर
हरियाणा विधानसभा चुनाव में दलित वोटरों की भूमिका महत्वपूर्ण मानी जा रही है, और भाजपा इस वोट बैंक को साधने की पुरजोर कोशिश कर रही है। कुमारी सैलजा का कांग्रेस में असंतोष और उनकी अनुपस्थिति भाजपा के लिए एक अवसर बन सकता है, खासकर तब जब पार्टी उन्हें अपनी ओर आकर्षित करने का प्रयास कर रही है।
Kumari Selja का प्रभाव हरियाणा के कई विधानसभा क्षेत्रों में देखा जाता है, और अगर वह कांग्रेस से दूरी बनाती हैं, तो यह पार्टी के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है। वहीं, भाजपा लगातार कांग्रेस पर दबाव बनाकर इस मुद्दे को चुनावी मैदान में भुनाने की कोशिश कर रही है। अब देखना यह होगा कि सैलजा इस राजनीति में किस पक्ष का चुनाव करती हैं, और यह फैसला हरियाणा के चुनावी नतीजों पर क्या असर डालता है।