भारत के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न (Bharat Ratna)से नवाजा जा रहा है। यह सम्मान उनके पौत्र चौधरी जयंत सिंह द्वारा 30 मार्च को ग्रहण किया जाएगा। इस ऐतिहासिक घड़ी के अगले ही दिन, 31 मार्च को, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जयंत चौधरी मेरठ, उत्तर प्रदेश में एक चुनावी रैली करेंगे।
उत्साहित हैं चौधरी चरण सिंह के समर्थक,
इसके अलावा, प्रधानमंत्री मोदी और जयंत चौधरी की मेरठ में होने वाली चुनावी रैली को लेकर भी उत्साह देखने को मिल रहा है। इस रैली का मुख्य उद्देश्य चुनावी जीत के लिए जनसमर्थन बढ़ाना है। चरण सिंह के भारत रत्न से सम्मानित होने की खबर ने उनके समर्थकों में खुशी की लहर फैला दी है।
क्या कहा जयंत चौधरी ने
उनके पौत्र जयंत सिंह का कहना है कि यह सम्मान उनके दादा के लिए एक योग्य श्रद्धांजलि है। इस तरह, चरण सिंह के भारत रत्न से सम्मानित होने और चुनावी रैली के माध्यम से जनसमर्थन बढ़ाने की कोशिश में नई ऊर्जा और उत्साह की लहर देखने को मिल रही है।
आखिर क्यों टुटा जयंत-अखिलेश का गठबंधन
अखिलेश यादव से जयंत चौधरी ने अलग होने का फैसला किया क्योंकि वे मुजफ्फरनगर सीट पर चुनाव लड़ना चाहते थे, जिसके परिणामस्वरूप RLD और समाजवादी पार्टी का गठबंधन टूट गया था। बाद में जयंत चौधरी ने दिल्ली में BJP अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की। इस बैठक के बाद, RLD ने आधिकारिक रूप से एनडीए में शामिल होने का फैसला किया । इसके अतिरिक्त, जयंत चौधरी ने रणनीतिक कारणों से चुनाव नहीं लड़ने का निर्णय लिया । 1977 के बाद चौधरी चरण सिंह के परिवार का कोई सदस्य लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेगा।
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जयंत चौधरी के गठबंधन से अखिलेश यादव को कुछ नुकसान हो हुए
जयंत चौधरी के गठबंधन से अखिलेश यादव अपने वोट बैंक खो सकते हैं। जयंत चौधरी के साथ गठबंधन टूटने से उनके वोटर्स उनके प्रति विश्वास खो देंगे और वे अन्य दलों की ओर चले जाएंगे। जयंत चौधरी के साथ गठबंधन टूटने से अखिलेश यादव की चुनावी प्रतिष्ठा प्रभावित हुई है। यह उनके दल का वोट बैंक और चुनावी प्रचार भी प्रभावित कर सकता है।