LDA New Schemes: लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) ने शहरवासियों के लिए एक साथ कई अहम योजनाएं प्रस्तावित की हैं। इनमें ग्रुप हाउसिंग स्कीम, ई-ऑक्शन से प्लॉट की बिक्री और कमर्शियल कॉम्प्लेक्स के निजीकरण जैसी योजनाएं शामिल हैं। बसंतकुंज योजना के तहत 50 आवासीय भूखंडों को ई-नीलामी में शामिल किया गया है, जबकि डालीबाग और ऐशबाग में बहुमंजिला फ्लैट बनाने की योजना है। वहीं, एलडीए अपने दो प्रमुख कमर्शियल कॉम्प्लेक्स—रतनखंड और मानसरोवर—को निजी क्षेत्र को सौंपने जा रहा है। प्राधिकरण का मानना है कि इन योजनाओं से न सिर्फ राजस्व प्राप्त होगा, बल्कि लोगों को बेहतर आवास और व्यापारिक अवसर भी मिलेंगे।
बसंतकुंज में 50 आवासीय भूखंडों की ई-नीलामी
LDA ने बसंतकुंज योजना के सेक्टर-जी में गऊ घाट के पास स्थित 252 वर्गमीटर के कुल 50 भूखंडों को ई-ऑक्शन में पेश किया है। ये भूखंड ग्रीन कॉरिडोर से सटे हुए हैं, जिससे उनकी लोकेशन अत्यंत प्राइम मानी जा रही है। इनकी अनुमानित कीमत 32,955 रुपये प्रति वर्गमीटर तय की गई है, जिससे इनका कुल मूल्य करीब 310 करोड़ रुपये बैठेगा। लखनऊ में अपना घर बसाने का सपना देख रहे लोगों के लिए यह एक शानदार अवसर है।
लैंड ऑडिट से चिन्हित संपत्तियों की नीलामी
LDA उपाध्यक्ष प्रथमेश कुमार की अगुवाई में लैंड ऑडिट के जरिए कई खाली और बहुमूल्य संपत्तियों की पहचान की गई है। इनमें गोमती नगर विस्तार में एसएसबी के पास स्थित 2.5 हेक्टेयर का एक भूखंड भी शामिल है, जिसकी कीमत लगभग 100 करोड़ रुपये है। इसके अलावा, गोमती नगर के विशाल खंड में 1800 वर्गमीटर के नर्सिंग होम व कमर्शियल उपयोग वाले भूखंड भी नीलामी के लिए तैयार किए गए हैं।
डालीबाग और ऐशबाग में बहुमंजिला फ्लैट
LDA प्राधिकरण ने डालीबाग के बालू अड्डा के पास 4,200 वर्गमीटर और ऐशबाग भदेवा में 5,000 वर्गमीटर भूमि को बहुमंजिला भवन निर्माण के लिए चिह्नित किया है। इन क्षेत्रों में ग्रुप हाउसिंग स्कीम के तहत हजारों फ्लैट तैयार किए जाएंगे। ये फ्लैट न केवल आधुनिक जीवनशैली की झलक देंगे, बल्कि किफायती दरों पर आवास की जरूरतों को भी पूरा करेंगे। एलडीए की योजना से लखनऊ के रिहायशी विकास को नई रफ्तार मिलने की उम्मीद है।
निजी हाथों में जाएंगे दो बड़े कमर्शियल कॉम्प्लेक्स
एलडीए ने अपने दो प्रमुख कमर्शियल कॉम्प्लेक्स—रतनखंड और मानसरोवर—को निजी क्षेत्र को सौंपने का निर्णय लिया है। इन दोनों परिसरों की भी ई-नीलामी की जाएगी। माना जा रहा है कि इससे न सिर्फ एलडीए को बड़ा राजस्व प्राप्त होगा, बल्कि निजी निवेश से इन परिसरों का समुचित विकास भी सुनिश्चित होगा। प्राधिकरण ने योजना अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि पूरी प्रक्रिया पारदर्शी और समयबद्ध तरीके से पूरी की जाए।