Lucknow News : यूपी की सियासत में खलबली तेज़, बृजभूषण ने सीएम योगी से की मुलाकात

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सियासी सफर की शुरुआत से पहले ही बृजभूषण शरण सिंह राजनीति में सक्रिय हो चुके थे। वे अब तक छह बार लोकसभा सांसद रह चुके हैं — जिनमें पांच बार बीजेपी और एक बार सपा के टिकट पर जीत हासिल की। बृजभूषण ने 1991 में पहली बार गोंडा से संसद में कदम रखा था, जबकि योगी आदित्यनाथ 1998 में पहली बार गोरखपुर से सांसद बने। यानी, योगी के संसद पहुंचने से पहले ही बृजभूषण दो बार सांसद बन चुके थे।

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Lucknow News : उत्तर प्रदेश की सियासत में एक बार फिर हलचल तब तेज़ हो गई जब कद्दावर नेता और पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने सोमवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से उनके आधिकारिक आवास, पांच कालीदास मार्ग पर मुलाकात की। लगभग 55 मिनट तक चली इस मुलाकात के बाद जब मीडिया ने सवाल किए तो बृजभूषण ने सिर्फ इतना कहा, “मुख्यमंत्री से अच्छी बातचीत हुई।” लेकिन बातचीत का एजेंडा क्या था, यह उन्होंने स्पष्ट नहीं किया। इस मुलाकात के बाद सियासी अटकलें ज़ोर पकड़ गई हैं — क्या यह रिश्तों में सुधार की पहल थी या फिर आने वाले संभावित कैबिनेट विस्तार में बेटे को जगह दिलवाने की कवायद?

बृजभूषण ने राजनीति में कब किया था प्रवेश ?

बृजभूषण शरण सिंह और योगी आदित्यनाथ के रिश्तों की पृष्ठभूमि भी कम दिलचस्प नहीं है। राजनीति में बृजभूषण ने मुख्यमंत्री योगी से पहले कदम रखा था। 1991 में वह पहली बार गोंडा से सांसद बने, जबकि योगी 1998 में गोरखपुर से संसद पहुंचे। यानी योगी के संसद में आने से पहले ही बृजभूषण दो बार सांसद बन चुके थे। दोनों नेता गोरक्षनाथ पीठ से भी जुड़े हैं और राम मंदिर आंदोलन के समय से ही महंत अवैद्यनाथ से नजदीकी रखते रहे हैं, जिन्हें दोनों ही अपना गुरु मानते हैं।

पूर्वांचल की राजनीति में दोनों नेताओं का खासा असर है। योगी जहां गोरखपुर क्षेत्र में मजबूत पकड़ रखते हैं, वहीं बृजभूषण देवीपाटन मंडल में खासा प्रभाव रखते हैं। हालांकि, 2017 में योगी के मुख्यमंत्री बनने के बाद दोनों के रिश्तों में तनाव आने लगा। सियासी अहम और नीतिगत मतभेदों के चलते दूरी बढ़ती गई। बृजभूषण कई बार योगी सरकार की आलोचना कर चुके हैं — खासकर बुलडोजर नीति को लेकर उन्होंने खुलकर विरोध जताया है। वहीं, अखिलेश यादव की उन्होंने सार्वजनिक रूप से तारीफ भी की है।

परीवार के अन्य सदस्यों की CM योगी से होती है मुलाकात 

एक इंटरव्यू में उन्होंने यह भी कहा था कि उनके बेटे और परिवार के अन्य सदस्य तो योगी से मिलते हैं, लेकिन वे खुद उनसे दूरी बनाए रखते हैं। बृजभूषण ने यह स्वीकार भी किया था कि उनके मुख्यमंत्री से संबंध बहुत अच्छे नहीं हैं। फिर ऐसा क्या हुआ कि 31 महीने बाद अचानक यह मुलाकात हुई? करीबी सूत्र बताते हैं कि पिछले कुछ महीनों से दोनों नेताओं के रिश्तों में नरमी आने लगी थी। बृजभूषण के दोनों बेटे पहले भी योगी से कई बार मुलाकात कर चुके हैं।

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दिलचस्प बात यह भी है कि बृजभूषण के परिवार का योगी से जुड़े गोरक्षनाथ मठ से पारिवारिक रिश्ता है, जो समय-समय पर इन दूरियों को पूरी तरह समाप्त होने से रोकता रहा है। साल 2023 में महिला पहलवानों द्वारा लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों के बाद जब सीएम योगी का गोंडा दौरा रद्द किया गया, तब से दोनों नेताओं के बीच संवाद लगभग ठप हो गया था। लेकिन अब, जब बृजभूषण अचानक सीएम से मिलने पहुंचे हैं, तो यह सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह संबंधों की नई शुरुआत है या फिर किसी रणनीतिक राजनीतिक समीकरण की तैयारी?

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