मेरठ: 24 मई 1987 को मलियाना में हुए नरसंहार को आज भी लोग भूल नहीं पाते हैं। इस नरसंहार में 63 लोगों की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। अब मेरठ कोर्ट ने 36 साल पुराने मामले के 40 आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया है। ये फैसला अपर जिला व सत्र न्यायाधीश लखविंदर सूद ने फैसला सुनाया। कोर्ट के इस फैसले से पीड़ित परिवारों के सदस्य मायूस नजर आए। पीड़ित परिवारो ने कहा कि वह इस फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट का रुख करेंगे।
कोर्ट में रखा ये फैक्ट
आरोपियों के वकील सीएल बंसल के अनुसार, कोर्ट के सामने यह फैक्ट रखा गया कि पुलिस ने अपने हिसाब से केस में लोगों के नाम जोड़े थे। उन्होंने वोटर लिस्ट सामने रखकर इन्हें आरोपी तय कर लिया था। जबकि वह बेकसूर थे। ये घटना 23 मई 1987 में मलियाना चौक पर घटित हुई थी। इस सिलसिले में पीड़ित परिवार ने 93 लोगों के खिलाफ 24 मई 1987 को नामजद केस थाने में मामला दर्ज कराया था।
हाशिमपुरा में भी हुआ नरसंहार
22 मई 1987 को हाशिमपुरा में हुए नरसंहार में 42 लोगों की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। इस मामले में कोर्ट ने साल 2018 में पीएसी के 16 जवानों को उम्र कैद की सजा सुनाई थी। वहीं 23 मई को मलियाना में हुए नरसंहार में अब आए फैसले में किसी भी आरोपी को सजा नहीं सुनाई गई। इस घटना में कुल 63 लोगों की जान चली गई थी। मारे गए सभी लोग मुस्लिम समुदाय से थे।
ऐसे शुरू हुआ था विवाद
मलियाना में हुए नरसंहार की घटना को स्थानीय लोग आज तक नहीं भुला पाए हैं। वह बताते हैं कि नौचंदी में एक मेला का कार्यक्रम था। इस दौरान एक पटाखा एक सिपाही को लगा.. फिर सिपाही इतना बोखला गया कि उसने गोली चला दी। इस दौरान दो मुस्लिम की मौके पर मौत हो गई। इसके बाद विवाद गहराता रहा। वहीं हाशिमपुरा चौराहे पर एक धार्मिक समारोह में फिल्मी गाने बजाए जा रहे थे, जिसके बाद दो समुदाय आपस में भिड़ गए। ऐसे में इस विवाद ने दंगे का रूप ले लिया।
बच्चों तक को नहीं बख्शा
मामले को गंभीरता से देखते हुए पुलिस ने 23 मई की रात होते ही पूरे शहर में कर्फ्यू लगा दिया था। यहां भड़के लोगों ने करीब 106 घरों में आग लगा दी गई थी। हालात इतने बिगड़ गए थे कि भारी संख्या में सेना के अलावा पैरामिलेट्री और पीएसी के जवानों की तैनाती की गई थी। दंगाइयों ने पुलिस के जवानों के सामने कई लोगों की बेहरहमी से हत्या कर दी थी। पीड़ित परिवारों ने दर्द बयां करते हुए बताया कि दंगाइयों ने बच्चों तक को नहीं बख्शा था.. उन्हें आग में फेंक दिया गया था। अब जब मलियाना कांड पर कोर्ट का फैसला आया तो वो निराश हो गए। उन्होंने कहा कि अब उन्हें सिर्फ कोर्ट से मदद की उम्मीद है।
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