रायपुर ऑनलाइन डेस्क। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने देश से नक्सलवाद के खात्में की तारीख मार्च 2026 घोषित की हुई है। जिसके चलते सुरक्षाबल के जवान लगातार ऑपरेशन चलाए हुए हैं। सबसे बड़ा प्रहार माओवाद की राजधानी छत्तीसगढ़ में देखने को मिल रहा है। महज 5 माह के अंदर 200 सौ से अधिक नक्सली एनकाउंटर में ढेर किए जा चुके हैं। सुरक्षाबलों के लिए बुधवार को दिन अहम साबित हुआ। जब मुठभेड़ के दौरान डेढ़ करोड़ के इनामिया नक्सली बसव राजू को सुरक्षाबलों ने मार गिराया। बसव राजू की मौत पांच दशक से आंतरिक सुरक्षा के लिए नासूर बने हुए नक्सलवाद के ताबूत की आखिरी कील साबित हो सकती है। राजू से पहले नक्सलियों के अखबार व पत्रिकाओं की लेडी संपादक रेणुका को भी एक एनकाउंटर के दौरान ढेर कर दिया गया था। रेणुका पर भी एक करोड़ का इनाम था।
राजू के साथ मारे गए 27 नक्सली
छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के खिलाफ सुरक्षाबल के जवानों का बड़ा अभियान चल रहा है। 21 मई 2025 को नक्सली इतिहास के पन्ने में नक्सली सफाई का एक ऐसा अध्याय लिख दिया गया है, जो अब नक्सलियों के सफाई की अंतिम कहानी को लिखेगा। दरअसल, बस्तर संभाग के जंगलों में सीपीआई (माओवाद) का सर्वोच्च नेता बसव राजू अपने 50 कमांडो के साथ ढेरा जमाए हुए थे। सटीक सूचना पर सुरक्षाबलों के जवानों ने ऑपरेशन लॉन्च किया। नक्सलियों को चारों तरफ से घेर लिया। खुद को घिरा देख नक्सलियों ने फायरिंग शुरू कर दी। सुरक्षाबलों ने भी मुहंतोड़ जवाब दिया। कई घंटे तक ये एनकाउंटर चला। इस दौरान एक जवान नक्सलियों की गोली लगने से शहीद हो गया। पर सुरक्षाबल के जवान डटे रहे और आखिर में 27 नक्सली यमलोक पहुंचा दिए गए। इस मुठभेड़ में सीपीआई (माओवाद) का सर्वोच्च नेता बसव राजू भी मारा गया राजू पर डेढ़ करोड़ का इनाम था।
कौन था बसव राजू
तेलंगाना के वारंगल स्थित रिजीनल इंजीनिरिंग कॉलेज, जो अब एनआइटी बन गया है, से इंजीनियरिंग में स्नातक करने वाला बसव राजू उन चंद नक्सलियों में शामिल रहा है, जिसने 1987 में एलटीटीई से जंगल में गुरिल्ला युद्ध की ट्रेनिंग ली थी। उसके बाद उसके नेतृत्व में भी तत्कालीन नक्सली संगठन पीपुल्स वार ग्रुप (पीडब्ल्यूजी) ने आइइडी के सहारे बड़े टारगेट पर हमले को अंजाम देना शुरू किया था। 2003 में आंध्रप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू पर 11 आइईडी को विस्फोट कर हमला किया गया था, जिसमें वे बाल-बाल गए थे। 2004 में दो बड़े नक्सली ग्रुप पीडब्ल्यूजी और मार्कसिस्ट कोआर्डिनेशन कमेटी (एमसीसी) के विलय के बाद सीपीआइ (माओवादी) का गठन किया गया, जिसमें आइईडी बनाने और गुरिल्ला युद्ध में महारत को देखते हुए बसव राव को सेंट्रल मिलिट्री कमीशन का प्रमुख बनाया गया। 2018 में बसव राजू को माओवादियों के राजनीतिक और मिलिट्री दोनों का प्रमुख बना दिया गया।
पहली बार मारा गया माओवाद का महासचिव
साल 1967 में पश्चिम बंगाल के नक्सलबाड़ी की कोख से जन्मे नक्सलवाद और उसकी लड़ाई में पहली बार ऐसा हुआ है, जब नक्सलियों के महासचिव की टीम से सीधी टक्कर हुई है. जिसमें उनका शीर्ष कमांडर मारा गया हो। नक्सलियों ने जब से अभियान की शुरुआत की थी, तब से लेकर आज तक ऐसा पहली बार हुआ है, जब किसी महासचिव कमांडर से सुरक्षा बलों की सीधी टक्कर हुई और इस टक्कर में सुरक्षा बलों को बड़ी कामयाबी हाथ लगी है। इससे पहले महासचिव स्तर के कमांडर नीतियां बनाते थे। लड़ाई पहले लेयर के नक्सली लड़ते थे। लेकिन अब शायद वह लेयर भी खत्म हो गया है, जो सुरक्षा बलों के चलाए जा रहे अभियान की सबसे बड़ी कामयाबी है। 21मई 2025 को नक्सलियों और सुरक्षा बलों के बीच की मुठभेड़ से एक बात साफ हो गई है कि नक्सलियों के बीच जो लेयर खड़ी रहती थी, उसे सुरक्षा एजेंसियों ने खत्म कर दिया है। सामान्य तौर पर महासचिव जहां पर रहते हैं, उसके पहले नक्सलियों की तीन लेयर सुरक्षा चक्र होते हैं।
नक्सली संपादक रेणुका एनकाउंटर में ढेर
कुछ दिन पहले छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में सुरक्षाबलों ने 45 लाख रुपये की इनामी एक महिला नक्सली को मुठभेड़ में मार गिराया था। मारी गई महिला नक्सली मा नाम गुम्माडिवेली रेणुका उर्फ भानु उर्फ चैते उर्फ सिरस्वती उर्फ दमयन्ती था। रेणुका के सिर पर एक करोड़ रुपये का इनाम था। रेणुका सेंट्रल रीजनल ब्यूरो (सीआरबी) की प्रेस टीम इंचार्ज थी। वह दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी द्वारा जारी होने वाले प्रभात पत्रिका की संपादक थी। रेणुका ने कानून (एलएलबी) की डिग्री हासिल की थी। वह तेलंगाना के वारंगल जिले की कड़वेन्डी गांव की निवासी थी। वह पांच राज्यों में मोस्ट वांटेड थी। महिला नक्सली रेणुका 1996 में नक्सल संगठन में भर्ती हुई थी तथा उसने आंध्र प्रदेश में स्पेशल जोनल कमेटी सदस्य कृष्ण अन्ना के साथ काम किया है। उसे 2020 में दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी का सदस्य बनाने के साथ सेंट्रल रीजनल ब्यूरो के प्रेस टीम का इंचार्ज बनाया गया।
अमित शाह गदगद
रेणुका और बसव राजू न सिर्फ पार्टी महासचिव के रूप में सीपीआई (माओवाद) का सर्वोच्च नेते थे। रेणुका प्रेस का पूरा काम देखती थी। जबकि राजू सेंट्रल मिलिट्री कमेटी के प्रमुख के रूप में लड़ाकू दस्ते का भी प्रमुख था। उसकी मौत से नेतृत्वविहीन नक्सलियों के संगठन का बिखरना निश्चित माना जा रहा है। नक्सलियों के खिलाफ इस बड़ी सफलता के लिए अमित शाह ने सुरक्षा बलों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि तीन दशक में पहली बार सुरक्षा बलों को महासचिव स्तर के टाप नक्सल कमांडर को मारने में सफलता मिली है। शाह ने बसव राजू को नक्सल आंदोलन की रीढ़ की हड्डी बताया। मतलब यह कि उसकी मौत के साथ ही नक्सलवाद पुराने स्वरूप में कभी खड़ा नहीं हो पाएगा। शाह के अनुसार ऑपरेशन ब्लैक फारेस्ट के दौरान सुरक्षा बलों द्वारा कुर्रेगु्ट्टा पहाड़ी पर स्थित हेडक्वार्टर को ध्वस्त करने के बाद से ही नक्सलियों के हौसले पस्त हैं और उनका कैडर नेतृत्वहीन हो गया है।
पीएम मोदी ने भी जताई खुशी
ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी ने सुरक्षाबलों की तारीफ की है। उन्होंने लिखा, ’इस उल्लेखनीय सफलता के लिए हमें अपने सैन्य बलों पर गर्व है। हमारी सरकार माओवाद के खतरे को खत्म करने और अपने लोगों के लिए शांतिपूर्ण और प्रगतिशील जीवन सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। बता दें, इस साल आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों की संख्या 800 पार चुकी है, जबकि पिछले पूरे साल में 900 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया था। जनवरी 2025 से लेकर 21 मई 2025 के बीच 200 सौ से अधिक नक्सली एनकाउंटर में मारे गए हैं। कुछ दिन पहले 20 हजार जवानों ने एक पहाड़ को घेरा हुआ था। बताया गया था कि पहाड़ में नक्सल कमांडर हिडमा और देवा करीब 1000 नक्सलियों के साथ ढेरा जमाए हुए हैं। कईदिन तक चले ऑपरेशन के दौरान सुरक्षाबलों ने 31 नक्सलियों को ढेर कर दिया था। हालांकि हिडमा और देवा सुरक्षाबलों के हत्थे नहीं लगे।