Operation Sindoor : सोनीपत स्थित अशोका यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद को “ऑपरेशन सिंदूर” और इसमें शामिल महिला सैन्य अधिकारियों — कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह — पर सोशल मीडिया पर की गई टिप्पणी को लेकर गिरफ्तार किया गया है। पुलिस के अनुसार, उन पर इन महिला अधिकारियों की भूमिका को कम करके आंकने और अभियान को सांप्रदायिक रंग देने का आरोप है। यह कार्रवाई बीजेपी युवा मोर्चा के महासचिव योगेश जठेरी की शिकायत पर की गई, जिसके बाद सोनीपत पुलिस ने एफआईआर दर्ज की थी।
हरियाणा राज्य महिला आयोग ने भी इस मामले पर स्वतः संज्ञान लेते हुए प्रोफेसर को समन भेजा था। आयोग का कहना है कि अली खान की टिप्पणियों से भारतीय सशस्त्र बलों में कार्यरत महिला अधिकारियों की गरिमा को ठेस पहुंची है और सामाजिक सौहार्द को नुकसान हुआ है। आयोग के अनुसार, ये टिप्पणियां महिला विरोधी थीं और सामाजिक रूप से विभाजनकारी थीं। हालांकि, प्रोफेसर महमूदाबाद आयोग के समक्ष पेश नहीं हुए।
प्रोफेसर ने सोशल मीडिया पर जारी किया बयान
प्रोफेसर अली खान ने सोशल मीडिया पर एक बयान जारी करते हुए कहा कि आयोग की ओर से भेजे गए समन में स्पष्ट नहीं किया गया कि उनकी पोस्ट किस प्रकार महिला अधिकारों के खिलाफ है। उन्होंने यह भी कहा कि उनके द्वारा किया गया पोस्ट महिलाओं के खिलाफ नहीं था और उसे गलत ढंग से प्रस्तुत किया गया है। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि उन्होंने दक्षिणपंथी समर्थकों द्वारा कर्नल कुरैशी की प्रशंसा की सराहना की थी और उनसे आग्रह किया था कि वे आम भारतीय मुसलमानों के साथ भी ऐसा ही व्यवहार करें, जो रोजाना पूर्वाग्रह और उत्पीड़न का सामना करते हैं।
यह भी पढ़ें : ‘हेरा फेरी 3’ से क्यों बाहर हुए परेश रावल? एक्टर ने खुद तोड़ी चुप्पी…
कर्नल सोफिया कुरैशी की प्रशंसा को कहा था “पाखंड”
प्रोफेसर ने यह भी कहा कि उनकी पूरी टिप्पणी सैनिकों और नागरिकों दोनों की सुरक्षा से संबंधित थी और इसमें महिला विरोध जैसा कोई भी तत्व नहीं था जिसे आपत्तिजनक माना जाए। उनकी विवादित टिप्पणी 8 मई को सोशल मीडिया पर आई थी, जिसमें उन्होंने हिंदुत्व समर्थकों द्वारा कर्नल सोफिया कुरैशी की प्रशंसा को “पाखंड” कहा था, यदि वह प्रशंसा वास्तविक जमीनी बदलाव में नहीं बदले। उन्होंने यह भी लिखा था कि प्रेस ब्रीफिंग में इन महिला अधिकारियों को प्रतीक के रूप में प्रस्तुत करना महत्वपूर्ण तो है, लेकिन अगर यह केवल प्रतीकात्मक रह जाए तो इसका कोई स्थायी असर नहीं होगा।