नई दिल्ली ऑनलाइन डेस्क। Nirmala Sitharaman will present Budget 2025 भारत सरकार की वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को अपना आठवां बजट पेश करेंगी। जिसको लेकर सबसे ज्यादा चर्चा गांवों में देखने को मिली। ‘हलधर’ को आस है कि मोदी सरकार किसानों को दी जानें वाली पीएम सम्मान निधि बढ़ाएगी। क्रेडिट कार्ट की लिमिट पर भी अन्नदाताओं की नजर हैं उन्हें उम्मीद है कि वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण क्रेडिट कार्ड की लिमिट 3 लाख रुपए से बढ़ाकर 5 लाख रुपए तक कर देंगी। किसान नेता फूल सिंह यादव बताते हैं कि किसान क्रेडिट कार्ड की लिमिट में आखिरी बार बदलाव काफी समय पहले हुआ था, लेकिन सरकार ने इस पर ध्यान नहीं दिया। हमें उम्मीद है कि सम्मान के साथ किसानों के क्रेडिट पर भी मोदी सरकार रजामंदी की मुहर लगाएगी।
ठोस कदम उठाए जाने की आवश्यकता
भारत को क्रषि प्रधान देश कहा जाता है। भारत की जीडीपी पर किसानों का अहम रोल होता है। करीब 65 फीसदी आबादी आजादी के बाद से खेती-किसानी पर निर्भर है। कई सरकारें आई और गई पर किसानों की आर्थिक स्थित ज्योंकि त्यों है। ऐसे में किसानों को उम्मीद है कि मोदी सरकार 2025-2026 के बजट में हलधरों के लिए कोई खास स्कीम ला सकती है। जिससे कि अन्नदाता भी ऑन-बान और शान के साथ अपना जीवन-व्यापन कर सके। किसान नेता फूल सिंह यादव कहते हैं कि हां मोदी सरकार आने के बाद अब कुछ हद तक हालात पहले से कुछ ठीक हुए हैं। अभी और ठोस कदम उठाए जाने की आवश्यकता है।
उसी तरह से राशन की दुकानों को तब्दील करें
किसान रघुराज उमराव कहते हैं कि गांवों में सरकारी राशन की दुकानें हैं। दुकानों पर गेहूं-चावल पात्र कार्ड धारकों को मिलता है। हमारी मोदी सरकार से मांग है कि जिस तरह से आर्मी कैंटीन होती है, उसी तरह से राशन की दुकानों को तब्दील करें किसानों की जरूरत का हर सामान राशन की दुकानों पर मिलना चाहिएं साथ ही पीएम सम्मान निधि को बढ़ाना चाहिए। क्रेडिड कार्ड की लिमिट में भी बढ़ोतरी की जानी चाहिए। सरकार को गांवों की शिक्षा व्यवस्था को लेकर भी ठोस कदम उठाने होगे। सरकारी अस्पताल तो हें पर वहां डॉक्टर और दवा नहीं है। ऐसे में हमारी मोदी सरकार से मांग है कि गांवों में एजूकेशन का नया मॉडल बनाए। बलॉक स्तर पर एक आधुनिक हॉस्पिटल हो। जिससे कि बीमार ग्रामीण शहर न जाए और गांव के ही अस्पताल में अपना इलाज करवाए।
किसानों अब इसकी बढ़ोतरी की मांग कर रहे
जानकार बताते हैं कि किसान क्रेडिट कार्ड योजना की शुरुआत 1998 में की गई थी। इसके तहत खेती और उससे जुड़ी गतिविधियों में लगे किसानों को 9 फीसदी ब्याज दर पर अल्पकालीन फसल ऋण दिया जाता है। सरकार किसानों को ब्याज पर 2 फीसदी छूट देती है और समय से अदायगी करने वाले किसानों के ब्याज में बतौर प्रोत्साहन 3 फीसदी कमी और कर दी जाती है। इस तरह किसानों को सालाना 4 फीसदी दर पर कर्ज मिल जाता है। इस योजना के तहत सक्रिय क्रेडिट कार्ड खातों की संख्या 30 जून, 2023 तक 7.4 करोड़ से अधिक थी और उन पर 8.9 लाख करोड़ रुपये का कर्ज बकाया था। किसानों को क्रेडिट कार्ड के जरिए तीन लाख रूपए का लोन मिलता है। किसानों अब इसकी बढ़ोतरी की मांग कर रहे हैं।
जैसी गतिविधियों में लगे लोगों को भी अपने दायरे में लाना
कृषि क्षेत्र से जुड़े जानकारों का कहना है कि,इन दिनों खेती की लागत बहुत बढ़ी है मगर किसान क्रेडिट कार्ड पर उधारी की सीमा कई साल से बढ़ाई नहीं गई। अगर सरकार ये दायरा में इजाफा करती है तो कृषि क्षेत्र में उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही कृषि आय बढ़ाने में मदद भी होगी। सरकार के इस कदम से किसानों की जीवनशैली में ही सुधार नहीं होगा, बल्कि बैंकिंग प्रणाली का जोखिम भी घटेगा क्योंकि किसान समय पर कर्ज चुका देंगे। क्योंकि किसान क्रेडिट कार्ड का उद्देश्य बड़ी जमीन वाले किसानों को ही नहीं बल्कि छोटी जोत वाले किसानों और पशुपालन एवं मत्स्य पालन जैसी गतिविधियों में लगे लोगों को भी अपने दायरे में लाना है।
कुछ हद तक किसानों के वरदान
नाबार्ड के आंकड़ों के अनुसार अक्तूबर 2024 तक सहकारी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों ने 167.53 लाख किसान क्रेडिट कार्ड जारी किए गए थे। जिनकी कुल क्रेडिट लिमिट 1.73 लाख करोड़ रुपये थी। इसमें डेयरी किसानों के लिए 10,453.71 करोड़ रुपये क्रेडिट लिमिट के साथ 11.24 लाख कार्ड और मत्स्य पालकों के लिए 341.70 करोड़ रुपये क्रेडिट लिमिट के साथ 65,000 किसान क्रेडिट कार्ड शामिल हैं। जानकार बताते हैं कि किसान क्रेडिट कार्ड कुछ हद तक किसानों के वरदान साबित हुई। जो किसान पैसा नहीं होने के कारण दूसरे शहरों में मजदूरी के लिए जाते थे। अब वह किसान क्रेडिट कार्ड से लोन लेकर खुद का व्यवसाय कर रहे हैं।
बजट में कृषि बजट की हिस्सेदारी तीन फीसदी
जानकार बताते हैं कि देश में आजादी के बाद से अब तक कृषि बजट काफी हद तक बदल गया है। 1947-48 में जब बजट पेश किया गया था तो उसमें 22.5 करोड़ रुपये कृषि क्षेत्र को दिए गए थे। यह भी बतौर अनाज सब्सिडी के लिए थे। इसके बाद 2013-14 में कृषि बजट बढ़कर 27 हजार करोड़ रुपये कर दिया गया। 2024-25 में कृषि बजट बढ़कर 1.51 लाख करोड़ रुपये हो गया। देश के बजट में कृषि बजट की हिस्सेदारी तीन फीसदी है।