नई दिल्ली ऑनलाइन डेस्क। पहलगाम में 28 सैलानियों की बेरहमी से हत्या करवाने वाला इस्लामी आतंकी देश पाकिस्तान अपने जन्म के बाद से पहली बार बहुत बुरे संकट के दौर से गुजर रहा है। पाक आर्मी चीफ मुल्ला मुनीर समझता था कि पहलगाम में आतंकी हमला कराकर उसकी कुर्सी बच जाएगी। वह आन-बान और शान के साथ तीन साल पाक फौज का कमांडर बना रहेगा। लेकिन जेहादी आर्मी चीफ के सपने पर पानी फिरने वाला है। पीएम नरेंद्र मोदी ने जेहादी फौज को मिट्टी में मिलाने का प्रण ले लिया है। अब पाक फौज को कोई नहीं बचा सकता। अब पाकिस्तानी आतंकियों पर बम के बजाए ब्रम्होस्त्र गिरेंगी। परमाणु ठिकानों को भारतीय वायू सेना जमींदोज कर देंगी। इसका आगाज बस चंद घंटों में दिखने भी लगेगा। अमेरिका और इजरायल भी खुलकर अब भारत के साथ कंधे से कंधा मिलाकर इस्लामिक आतंकवाद को जड़ से खत्म करने के लिए रण में उतर चुका है।
क्या है पूरा मामला
दरअसल, पाकिस्तानी आतंकियों ने 22 अप्रैल को पहलगाम में बड़े नरसंहार को अंजाम दिया। आतंकी पहलगाम की पहाड़ी में दाखिल हुए और धर्म पूछकर सैलानियों को एक-एक कर मारना शुरू किया। आतंकियों की गोली से 28 पर्यटकों की मौत हो गई तो वहीं 15 से अधिक घायल हो गए। भारत की तरफ से जबरदस्त पलटवार किया गया। भारत ने सिंधु संधि को सस्पेंड करने के साथ पाक पर कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए। भारत की 140 करोड़ जनता एक स्वर में पीएम नरेंद्र मोदी के पक्ष में उतर आई तो अमेरिका, इजरायल, रूस, फ्रांस के साथ मुस्लिम देश भी पाक को सबक सिखाए जाने की मांग करने लगे। पहलगाम आतंकी हमले के बाद अमेरिका की तरफ से बड़ा बयान आया। अमेरिका ने इस हमले को इस्लामिक आतंकवाद नाम दिया। अमेरिका ने दो टूक शब्दों में कहा है कि इस्लामिक आतंकवाद की नर्सरी को अब भारत के साथ मिलकर हम जमींदोज करेंगे।
पाकिस्तान पर बड़ा हमला
अमेरिका की तरह इजरायल भी खुलकर भारत की तरफ से ताबड़तोड़ बैटिंग शुरू कर दी है। इजरायल के कई विमान भारत की धरती पर लैंड कर चुके हैं। विमानों में घातक हथियारों का जखीरा है। जानकार बताते हैं कि इजरायल ने पाकिस्तान के एफ 16 लड़ाकू विमानों को बर्बाद करने के प्लान पर काम करना शुरू कर दिया है। जाकनार बताते हैं कि जंग की डुगडुगी बजते ही पाकिस्तान के एफ 16 विमान बेअसर हो जाएंगे। पाक के एफ 15 की कमान भारत के हाथों में होगी। इतना ही नहीं, इजरायल ने अपना ‘राम’ लड़ाकू विमान एफ 16 भी भारत की जमीन पर भेज दिया है। भारत आने वाले समय में पाकिस्तान पर बड़ा हमला कर सकता है। जानकार बताते हैं कि भारत पाकिस्तान के परमाणु ठिकानों को मिसाइलों के जरिए बर्बाद कर सकता है।
40 सालों से पाकिस्तान के परमाणु बमों पर नजर
जानकार बताते हैं कि रॉ और मोसाद ने ऑपरेशन परमाणु बम नेस्तानाबूद को लेकर ऑपरेशन भी लांच कर दिया है। रॉ और मोसाद के टारगेट पर पाकिस्तान के परमाणु ठिकाने हैं। जानकार बताते हैं कि इजरायल हरहाल में पाकिस्तान के परमाणु बमों को बर्बाद करना चाहता है। मोसाद और रॉ के एजेंट पाकिस्तान के अंदर हैं और एक-एक जानकारी एकत्र कर भारतीय सेनाओं को मुहैया करा रहे हैं। जानकार बताते हैं कि भारत का पहला टारगेट पाकिस्तान के परमाणु बम होंगे। भारत और इजरायल मिलकर इन्हें मिसाइलों के जरिए बर्बाद करेंगे। जिसकी अंदरखाने पूरी तैयारी भी कर ली गई है। जानकारों का कहना है कि ये सनसनी नहीं हैं, बल्कि सच्चाई है। क्योंकि इजरायल की नजर 40 सालों से पाकिस्तान के परमाणु बमों पर है। इनको बर्बाद करने के लिए मोसाद और रॉ ने मिलकर कईबार प्रयास किए।
पाकिस्तान का ’इस्लामी परमाणु बम’
जानकार बताते हैं कि 1984 की बात है। तब रॉ को जानकारी मिली थी कि पाकिस्तान इस्लामाबाद के पास कहूटा में परमाणु हथियार बना रहा है। भारत जानता था कि पाकिस्तान का कोई भी परमाणु हथियार सबसे पहले नई दिल्ली को निशाना बनाएगा। वहीं, इजरायल को डर था कि पाकिस्तान का ’इस्लामी परमाणु बम’ उसके अरब प्रतिद्वंद्वियों के लिए एक बड़ी ताकत बन जाएगा। इसके बाद, भारत की खुफिया एजेंसी रॉ और इजराइल की मोसाद के बीच पाकिस्तान के परमाणु बम को लेकर सहयोग शुरू हुआ। एक्सपर्ट का मानना है कि इजरायल ने भारत के साथ एक योजना साझा की थी। योजना यह थी कि दोनों देश मिलकर पाकिस्तान की परमाणु फैसिलिटी पर हमला कर उन्हें नष्ट कर देंगे। तत्यकालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इस ऑपरेशन को लेकर अपनी तरफ से रजामंदी भी दे दी थी। रॉ ने मोसद के साथ मिलकर काम करना भी शुरू कर दि था। पाकिस्तान ठिकानों क रेकी की गई।
योजना को रद्द करने का फैसला किया
इजरायली विमानों को पाकिस्तान पर हमला करने के लिए गुजरात के जामनगर एयरबेस से उड़ान भरनी थी। इस ऑपरेशन में एफ-16 और एफ-15 लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल किया जाना था। लेकिन अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए ने पाकिस्तान को ऑपरेशन के बारे में सतर्क कर दिया था। इसके बाद, भारत और इजरायल ने योजना को रद्द करने का फैसला किया। दरअसल, 1965 में पाकिस्तान के तत्कालीन विदेश मंत्री और बाद में प्रधानमंत्री बने जुल्फिकार अली भुट्टो ने परमाणु बम बनाने की इच्छा जताई थी। उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान ’चाहे उसे घास या पत्ते ही क्यों न खाना पड़े, परमाणु बम जरूर हासिल करेगा।’ 1971 में बांग्लादेश युद्ध में हार के बाद जब भुट्टो ने पाकिस्तान की कमान संभाली तो इस पर काम शुरू हो गया। पाकिस्तान परमाण बम बनाने के काम पर जुटा था। रॉ के एजेंटों ने सटीक जानकारी भी भारत सरकार को भेजी।
चुराई गई डिजाइनों और तकनीक पर निर्भर
रॉ की तरफ से कहा गया कि जिस तरह से इजरायल ने 1981 में इराक के ओसिराक में इराकी परमाणु सुविधाओं को नष्ट कर दिया था। उसी तरह भारत भी पाक के परमाणु ठिकानों को बर्बाद कर दे। कहा जाता है कि इजराइल ने भारत को इस काम में मदद करने की पेशकश भी की थी और इसके लिए एक योजना भी तैयार की गई थी। मगर, वह योजना लागू नहीं हो पाई। भारत और इजरायल के बीच औपचारिक राजनयिक संबंध 1992 में स्थापित हुए थे, लेकिन दोनों देश लंबे समय से एक-दूसरे के संपर्क में थे। पाकिस्तान का परमाणु कार्यक्रम यूरोप और चीन से चुराई गई डिजाइनों और तकनीक पर निर्भर था।
कम से कम पांच मिसाइल ठिकाने
कुछ साल पहले अमेरिका की बुलेटिन ऑफ द एटॉमिक साइंटिस्ट्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि पूरे पाकिस्तान में मिसाइलों के 8-9 भंडार बनाए गए हैं, जिनमें छोटी दूरी वाली मिसाइलों (बाबर, ग़ज़नवी, शाहीन-1, नस्र) के 4-5 ठिकाने भारतीय सीमा से सटे इलाकों में स्थित हैं। देश के अंदरूनी हिस्सों में तीन से चार सैन्य ठिकाने हैं, जहां मध्यम दूरी की मिसाइलें (शाहीन-2 और गौरी) रखी गई हैं। रिपोर्ट में कहा गया था कि पाकिस्तान के पास परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम मिसाइलों को कितने बेस हैं, इस बारे में सटीक तौर पर कहना मुश्किल है। मगर, सैटेलाइटों से मिली तस्वीरों से पता चलता है कि पाकिस्तान में परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम कम से कम पांच मिसाइल ठिकाने हैं।
संयंत्र पर हमला करने की योजना बनाई थी
भारत में 1975 में आपातकाल लगा, इसके बाद 1977 में हुए आम चुनाव में कांग्रेस पार्टी की हार हुई और देश में पहली बार गैर कांग्रेसी सरकार का गठन हुआ था। यह सरकार गुजराती नेता मोरारजी देसाई के नेतृत्व में थी। मोरारजी देसाई ने रॉ के बजट में 30 प्रतिशत की कटौती कर दी। इसके अलावा पाकिस्तान को परमाणु संपन्न राष्ट्र बनने से रोकने के लिए एक गुप्त अभियान भी चलाया गया। पत्रकार एड्रियन लेवी और कैथरीन स्कॉट क्लार्क डिसेप्शन पाकिस्तान, द यूनाइटेड स्टेट्स एंड द ग्लोबल न्यूक्लियर कांस्पिरेसी’ में यह दावा किया है कि भारत ने जगुआर विमानों की मदद से पाकिस्तान के कहूटा परमाणु संयंत्र पर हमला करने की योजना बनाई थी। मगर बाद में इजरायल ने भारत को पाकिस्तान के एफ़-16 लड़ाकू विमानों के बारे में तकनीकी जानकारी दी थी। इसके बदले में भारत ने इजरायल को मिग-23 विमान के बारे में तकनीकी जानकारी मुहैया करायी थी।