नई दिल्ली ऑनलाइन डेस्क। 22 अप्रैल की वो तारीख थी और जगह पहलगाम की खूबसूरत घाटी। सैकड़ों सैलानी अपने परिवार के साथ धरती के स्वर्ग को निहार रहे थे। नवंदपत्ति भी गदगद थे। तभी कायर कसाई हाथों में बंदूक लेकर दाखिल होते हैं। सुहागिन बहनों की आंख के सामने उनके पतियों की बेरहमी से हत्या कर देते हैं। कायर आतंकियों ने महिलाओं से कहा था कि जाओ, जाकर अपनी सरकार को बता देना…’। माथे का सिंदूर उनकी आंख के सामने आकंकियों ने पोछा। 26 सैलानियों के नरसंहार की गूंज पूरे देश में सुनाई दी। पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि आतंकियों से चुन-चुन कर बदला लिया जाएगा। आतंकी और उनके आकाओं को बख्शा नहीं जाएगा। सजा ऐसी मिलेगी, जो कल्पना से परे होगी। फिर क्या था वह दिन भी आ गया। भारतीय सेनाओं ने ’एक चुटकी सिंदूर’ की कीमत को पाकिस्तान आतंकियों को मार कर वसूल की। साथ ही पाकिस्तान को बता दिया कि भारत में ’एक चुटकी सिंदूर’ की कीमत क्या होती है।
चुन-चुन कर आदमियों को मारा
पहलगाम की बैसरन घाटी ने भी कभी सपने में नहीं सोंचा होगा कि उसके दीदार को आई बहनों के सिंदूर को उजाड़ा जाएगा। लेकिन पाकिस्तान के काया आतंकियों ने चीड़ और सघन देवदार के जंगलों से घिरी वादी और इसके बीच दूर तक खुला हरा मैदान में दिलदहला देने वाले नरसंहार को अंजाम दे डाला। हथियारबंद आतंकियों ने धरती के जन्नत की इस जमीन को 26 निर्दोषों के लहू से लाल कर दिया। उन्होंने धर्म पूछा और गोली चला दी। उन्होंने चुन-चुन कर आदमियों को मारा और किसी के माथे का सिंदूर पोंछ उनके सुहाग के खून से धो दिया। इनमें से कई की मांग अभी हाल ही में भरी गई थी। सिंदूर से उनका वास्ता कुछ रोज पहले ही हुआ था। उन्होंने सोचा नहीं था कि उनका ये सिंदूर ऐसे मिटा दिया जाएगा।
’जाओ, जाकर अपनी सरकार को बता देना…
कायर आतंकवादियों ने 22 अप्रैल को बैसरन घाटी पर पुरूषों को महिलाओं को अलग-अलग किया। पुरूषों से उनका धर्म पूछा। किसी का पैंट उतरवाया फिर एक-एक कर सभी को गोलियों से भूंज दिया। नरसंहार के बाद आतंकियों ने कहा था- ’जाओ, जाकर अपनी सरकार को बता देना…। नरसंहार के बाद कई तस्वीरें सामने आई। एक तस्वीर ऐसी थी, जिसे देख इंसान ही नहीं बल्कि भगवान भी जरूर रोए होंगे। वह तस्वीर एक नई नवेली शादी-शुदा लड़की थी। जिसके हाथों में हिना का रंग अभी ताजा ही था, वो बैसरन घाटी में अपने पति की लाश के बगल में बेसुध बैठी थी। उसके माथे का सिंदूर मिट चुका था और हाथ पर अपने ही पति के खून के छींटे थे। इस तस्वीर ने पूरे देश को सकझोर कर रख दिया था। हरतरफ से बदले की मांग उठने लगी थी। सरकार ने भी तय कर लिया था कि सिंदूर का बदला लिया जाएगा।
यानी ऑपरेशन सिंदूर
वो तस्वीर हिमांशी नरवाल की थी जो शादी के मात्र छह दिन बाद अपने पति, नौसेना अधिकारी लेफ्टिनेंट विनय नरवाल के साथ पहलगाम गई हुई थीं। पति की हत्या के बाद हिमांशी शव के पास घुटनों के बल बैठी थीं और इस त्रासदी का चेहरा बन गईं। कुछ दिनों बाद, हिमांशी अपने पति को श्रद्धांजलि देते हुए दिखीं, लेकिन उनके माथे पर वह सिंदूर नहीं था जो विवाहित हिंदू महिलाओं की शोभा बढ़ाता है। यह केवल क्रूरता ही नहीं थी जिसने राष्ट्र को झकझोर दिया, बल्कि इस तस्वीर ने ही भारत के संकल्प को और मजबूत किया. इन नव-विवाहिताओं को आतंकियों ने एक भयावह संदेश वापस ले जाने का जिम्मा सौंपा था। इस संदेश का जवाब भारत ने जवाबी कार्रवाई यानी ऑपरेशन सिंदूर के साथ दिया।
सिंदूर या कुमकुम एक योद्धा चिह्न भी
सिंदूर या कुमकुम एक योद्धा चिह्न भी है। सिंदूरी तिलक योद्धाओं के लिए विजयी भवः के आशीर्वाद के साथ उनके माथे पर सजाया जाता था, ताकि वह युद्ध में विजयी हों। राजपूत और मराठा योद्धाओं को उनके माथे पर चमकते लाल निशान के साथ दिखाया जाता रहा है। इसे विजय तिलक, जय चिह्न और शुभ तिलक जैसे नामों से पुकारा गया है। योद्धा जब अपनी भूमि और धर्म के लिए दुश्मन से लड़ने के लिए जाते थे, उनके तिलक लगे ऊंचे मस्तकों को दूर से पहचाना जा सकता था।
विवाहित होने की पहचान
जानकार बताते हैं कि सिंदूर का भारतीय समाज महत्वपूर्ण स्थान है। यह आम हिंदू-सनातनी परिवारों में विवाहित महिलाओं की खास निशानी है, जो उनके विवाहित होने की पहचान है और इसे उनके पतियों से जुड़ा हुआ प्रतीक मानते हैं, जिसे सुहाग चिह्न कहते हैं। 16 शृंगारों में मंगलसूत्र, नथ, पायल, बिछिया, बाली, कंगन-चूड़ी के साथ सिंदूर का अहम रोल है। इसे माता पार्वती की कृपा के तौर पर देखा जाता है, इसलिए यह दैवीय भी है। सिंदूर का मिटना या हटना अशुभ माना जाता है और इस एक विवाहित महिला तभी हटाती है, जब उसके पति की मृत्यु हो जाती है।
मंगलवार का दिन भी सिंदूर से जुड़ा हुआ
जानकार बताते हैं कि मंगलवार का दिन भी सिंदूर से जुड़ा हुआ है। रामभक्त हनुमान का दिन है मंगलवार और उन्हें सिंदूर का चोला चढ़ाया जाता है। मंगलवार की रात का समय, ऑपरेशन सिंदूर का नाम, असल में सिर्फ एक कार्रवाई भर नहीं है, यह पूरे देश को एकजुट करने और आतंक के खिलाफ उठ खड़े होने की अपील भी है। इसके अलावा यह कार्रवाई एक श्रद्धांजलि भी है, उन निर्दोष लोगों के लिए, जिनकी आतंकी घटना में दुर्दांत हत्या की गई थी। कुल मिलाकर भारत ने 15 दिन में पाकिस्तान के आतंकी मंसूबों को एक चुटकी सिंदूर की कीमत बता दी है। अब पाकिस्तान इसका हिसाब लगाता रहे कि यह कीमत उसे कितनी महंगी पड़ी है।
और ऑपरेशन सिंदूर इसका प्रतीक
पाकिस्तान और पीओके में भारत के तड़के हुए आतंक-विरोधी हमलों के नाम का बहुत महत्व है। यह दर्शाता है कि भारत को हमला करने के लिए क्यों मजबूर होना पड़ा, और यह भारत के योद्धा नायकों के प्रति प्रतिबद्ध रहने का वादा है। भारत का दृढ़ जवाब मानवीय और वीरतापूर्ण दोनों है, और ऑपरेशन सिंदूर इसका प्रतीक है। भारत के हमले के बाद अपने पतियों को खोने वाली महिलाएं बहुत खुश हैं। कानपुर की युवती ने पीएम नरेंद्र मोदा का धन्यवाद करते हुए कहा कि हमारे पति तो वापस नहीं आ सकते। हां अब दूसरी महिलाओं का सिंदूर उजाड़ने से पहले पाकिस्तानी सौ बार सोचने पर जरूर मजबूर होंगे।
9 आतंकी ठिकानों पर टारगेटेड स्ट्राइक
रात डेढ़ बजे इंडियन आर्मी और एयरफोर्स ने ज्वाइंट ऑपरेशन करते हुए पाकिस्तान और पीओके में स्थित 9 आतंकी ठिकानों पर टारगेटेड स्ट्राइक की। ये हमला बहावलपुर, कोटली और मुजफ्फराबाद में किया गया है। पीआईबी ने जानकारी दी है कि ’ऑपरेशन सिंदूर’ की प्लानिंग को बहुत ही रणनीतिक रूप से तैयार किया गया ताकि आतंकियों को करारा जवाब दिया जा सके। पीआईबी ने बताया कि एयर ऑपरेशन के दौरान पाकिस्तान की सैन्य सुविधाओं को नहीं छुआ गया है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि कार्रवाई का असल मकसद आतंक को खत्म करना है, न कि पड़ोसी मुल्क के साथ संघर्ष को बढ़ाना।
लिखा- ’भारत माता की जय’
पीआईबी के मुताबिक, ये कदम पहलगाम में हुए बर्बर आतंकवादी हमले के बाद उठाए गए हैं, जिसमें 25 भारतीय और एक नेपाली नागरिक की हत्या कर दी गई थी। सेना की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि भारत अपनी इस प्रतिबद्धता पर खरा उतरा है कि पहलगाम हमले के लिए जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराया जाएगा। पाकिस्तान पर एयर स्ट्राइक के बाद रक्षामंत्री राजनाथ सिंह का बयान भी सामने आया है। उन्होंने भारतीय सेना की सराहना करते हुए लिखा- ’भारत माता की जय’।