नई दिल्ली ऑनलाइन डेस्क। पीएम नरेंद्र मोदी ने 24 अप्रैल को जो कहा था, उसे भारतीय सेनाओं ने पूरा कर दिया। देररात पाकिस्तान के अंदर आतंकवादियों के ठिकानों को बम-मिसाइलों से बर्बाद कर दिया गया। भारतीय सेनाओं के टारगेट पर मसूद अजहर का हेडक्वाटर बहावलपुर था। यहां पर 4 मिसाइलें गिराई गई, जिससे जैश का पूरा हेडक्वाटर मिट्टी में मिल गया। मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि ऑपरेशन सिंदूर के तहत किए एक्शन में जैश-ए-मोहम्मद का चीफ अजहर मसूद और उसका भाई अजगर समेत 100 आतंकवादी मारे गए हैं। हालांकि इसकी अभी पुष्टि नहीं की गई। बताया जा रहा है कि जैश के हेडक्वाटर में करीब 600 आतंकी मौजूद थे।
100 आतंकवादी मारे गए
पहलागाम आतंकी हमले के बाद भारत की सेनाओं ने देररात ’ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पीओके पर हमला किया। भारतीय सशस्त्र बलों के टारगेट पर आतंकियों के ठिकाने थे। पाकिस्तानी सेना की मीडिया विंग क्ळ DG ISPR ने कोटली, मुरीदके और बहावलपुर समेत नौ स्थानों पर भारतीय हमलों की पुष्टि की है। बताया जा रहा है कि भारत की तरफ से की गई कार्रवाई में जैश-ए-मोहम्मद का हेडक्वाटर पूरी तरह से तबाह हो गया। जैश-ए-मोहम्मद का ये हेडक्वाटर बहावलपुर में था। मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि सटीक सूचना पर भारत की वायू सेना के लड़ाकू विमानों ने जैश-ए-मोहम्मद के हेडक्वाटर पर चार मिसाइलें दागी। मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि इस हमले में अजहर मसूद, उसका छोटा भाई और 100 आतंकवादी मारे गए हैं।
जैश-ए-मोहम्मद का गढ़ है बहावलपुर
लाहौर से लगभग 400 किमी दूरी पर बहावलपुर शहर है। यहीं पर आर्मी का बेस भी है। बहावलपुर में ही जैश-ए-मोहम्मद का हेडक्वाटर था। इसे अजहर मसूद का गढ़ माना जाता है। ’जामिया मस्जिद सुब्हान अल्लाह’ परिसर में ही जैश-ए-मोहम्मद का मुख्यालय है, जिसे उस्मान-ओ-अली कैंपस भी कहा जाता है। यह परिसर 18 एकड़ में फैला हुआ है और यहां जैश-ए-मोहम्मद के लिए भर्ती, फंडिंग और ट्रेनिंग का केंद्र है। भारतीय हमले में यह मस्जिद भी निशाने पर थी। मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि हमले में ’जामिया मस्जिद सुब्हान अल्लाह’ भी पूरी तरह से जमींदोज हो गई है। जैश का संस्थापक मौलाना मसूद अजहर बहावलपुर का ही रहने वाला है और यहीं एक भारी सुरक्षा वाले परिसर में रहता था।
जामिया मस्जिद सुब्हान अल्लाह भी थी
जैश-ए-मोहम्मद पर आधिकारिक रूप से 2002 में प्रतिबंध लगाया गया था, लेकिन यह कार्रवाई केवल कागजों तक ही सीमित रही। संगठन को अपने कैंप को पूरी तरह संचालित करने की आजादी दी गई। जैश-ए-मोहम्मद का कैंप पाकिस्तान की 31 कॉर्प्स के मुख्यालय- एक आर्मी कैंट- से कुछ ही दूरी पर स्थित है। बताया जाता है कि बहावलपुर में एक खुफिया परमाणु ठिकाना भी मौजूद है। कैंप की इस छावनी के पास मौजूदगी आईएसआई की ओर से जैश-ए-मोहम्मद को दिए जा रहे समर्थन और सुरक्षा का सबसे बड़ा सबूत है। यहीं पर जामिया मस्जिद सुब्हान अल्लाह भी थी यह मस्जिद, जो एक मदरसे के रूप में काम करती थी। जैश-ए-मोहम्मद की एक फ्रंटल संस्था अल-रहमत ट्रस्ट द्वारा फंड की जा रही थी।
जैश-ए-मोहम्मद का हेडक्वाटर 18 एकड़ में
जैश-ए-मोहम्मद का हेडक्वाटर 18 एकड़ में फैला हुआ था। 2011 तक यह एक साधारण इमारत थी, लेकिन 2012 तक इसे एक बड़े ट्रेनिंग सेंटर में बदल दिया गया। इसी परिसर एक बड़ी मस्जिद थी, जिसमें 600 से अधिक छात्रों के लिए मदरसा, स्विमिंग पूल, घोड़ों के लिए अस्तबल और एक जिमनैजियम शामिल हैं। मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि मसूद अजहर यहीं पर आतंकवादियों को ट्रेनिंग मुहैया कराता था। जैश की मदद पाकिस्तान की सेना और आईएसआई करती थी। अजहर मसूद बहुत कम ही बाहर निकलता था और मीडिया से दूरी बनाकर रखता था। 2019 के बाद से उसे देखा नहीं गया। हालांकि उसके भड़काऊ बयान वाइस के जरिए जैश रिलीज अक्सर किया करता था।
कौन है मसूद अजहर
1968 में जन्मे मसूद अजहर को 1994 में भारत में गिरफ्तार किया गया था। गिरफ्तारी से पहले वह अफगानिस्तान के आतंकी संगठन हरकत-उल-मुजाहिदीन का सदस्य और एक मौलवी था। रिहाई के बाद मसूद अजहर ने जैश-ए-मोहम्मद की स्थापना की। यह संगठन कट्टरपंथी इस्लामी विचारधारा वाले देवबंदी स्कूल से प्रेरित है। जैश ने अन्य सक्रिय आतंकी संगठनों के साथ मिलकर 2000 के बाद भारत में कई हमले किए, जिनमें जम्मू-कश्मीर विधानसभा और भारतीय संसद पर हमले शामिल हैं।
190 यात्री और चालक दल के सदस्य
24 दिसंबर 1999 को हरकत-उल-मुजाहिदीन के पांच आतंकवादियों ने इंडियन एयरलाइंस की एक फ्लाइट को हाईजैक कर लिया था, जिसमें 190 यात्री और चालक दल के सदस्य थे। विमान को काठमांडू से दिल्ली लाया जा रहा था लेकिन उसे अमृतसर, लाहौर, दुबई होते हुए कंधार (तालिबान के कब्जे वाले अफगानिस्तान) ले जाया गया। भारत को तीन आतंकियों- मसूद अजहर, उमर शेख और मुश्ताक जरगर- को छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा।
शुरुआत 31 जनवरी 2000 को कराची में हुई
बहावलपुर स्थित मुख्यालय का इस्तेमाल मुख्य रूप से भर्ती, फंड जुटाने और ब्रेनवॉश करने के लिए होता है, जबकि आतंकवादी ट्रेनिंग कैंप खैबर पख्तूनख्वा और पीओके में स्थित हैं। बताया जाता है कि जैश-ए-मोहम्मद की शुरुआत 31 जनवरी 2000 को कराची में हुई थी। आतंकवादी गतिविधियों को शुरू करने से पहले अजहर अफगानिस्तान गया था, जहां उसने अल-कायदा के पूर्व प्रमुख ओसामा बिन लादेन से मुलाकात की थी। अजहर मसूद के संगठन में करीब 1 से 2 हजार आतंकी हैं। इसके अलावा जैश ने पूरी एक टीम भी बनाई हुई है। जिसमें मसूद ने अपने परिवार के सदस्यों को भी रखा हुआ है।