PMFME Scheme: अगर आप अपना रोजगार शुरू करना चाहते हैं, खासतौर पर खाद्य उद्योग में, तो केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना (PMFME) आपके लिए एक सुनहरा अवसर है। इस योजना के तहत सरकार 74 फीसदी तक सब्सिडी देती है और 10 लाख रुपये तक की आर्थिक मदद मिल सकती है। आवेदन प्रक्रिया सरल है और महिलाएं, दिव्यांगजन, अनुसूचित जाति-जनजाति जैसे वर्गों को विशेष छूट भी मिलती है। जिला उद्यान अधिकारी की देखरेख में ये योजना उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में सफलतापूर्वक चल रही है। बेकरी, मसाले, दूध उत्पाद या अचार-पापड़ का कारोबार शुरू करने की चाहत है तो यह योजना आपकी किस्मत बदल सकती है।
खाद्य उद्योग को मिलेगा सब्सिडी का सहारा
फर्रुखाबाद के जिला उद्यान अधिकारी राघवेंद्र सिंह के अनुसार प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना (PMFME) का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण युवाओं, किसानों और महिला उद्यमियों को स्वरोजगार के लिए प्रेरित करना है। खाद्य उद्योग से जुड़ी किसी भी इकाई जैसे मसाले, ब्रेड, बेकरी, आटा चक्की, दूध पैकिंग, पनीर, अचार, पापड़ आदि के लिए 35% क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी दी जाती है। अधिकतम 10 लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता मिल सकती है।
योजना में तकनीकी सिविल कार्य परियोजना लागत के 30% से अधिक नहीं होना चाहिए, जबकि लाभार्थी को 10% निवेश स्वयं करना होगा। ये योजना व्यक्तिगत उद्यमियों, साझेदारी फर्मों, FPOs, SHGs, NGOs, प्राइवेट लिमिटेड कंपनियों आदि सभी के लिए खुली है।
आवेदन प्रक्रिया और विशेष छूट
आवेदन के लिए इच्छुक लाभार्थी को https://pmfme.mofpi.gov.in पोर्टल पर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करना होता है। यदि आवेदक महिला, दिव्यांग, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, भूतपूर्व सैनिक, आकांक्षी जिला, पूर्वोत्तर राज्य, हिमालयी क्षेत्र या दीप समूह से आता है तो उसे प्रमाण पत्र जमा करने पर आवेदन शुल्क में छूट दी जाती है।
एक बार चयन की गई श्रेणी को बाद में बदला नहीं जा सकता।
इन योजनाओं का ले सकते हैं लाभ:
- प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना (PMFME)
- राष्ट्रीय बागवानी मिशन (NHM)
- कृषक उत्पादक संगठन (FPO) सहायता योजना
- प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना (PMKSY)
- एक जिला एक उत्पाद (ODOP)
- प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY)
- स्टैंड अप इंडिया योजना
- खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय की वित्तीय सहायता योजना
यह योजना न केवल स्वरोजगार को बढ़ावा देती है बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करती है। उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में इसकी सफलता यह सिद्ध करती है कि सही मार्गदर्शन और सरकारी सहायता से युवाओं को आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है।