ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से ज्ञान बुद्धि विवेक में वृद्धि होती हैं। साथ ही मां ब्रह्मचारिणी व्यक्ति के कौशल को धार देती हैं। मां ब्रह्मचारिणी को अन्य तीन नामों से भी जाना जात है जैसे तपश्चारिणी, अपर्णा और उमा देवी के नाम है। मां ब्रह्मचारिणी की पूजन करने से व्यक्ति को आंतरिक शांति की प्राप्ती होती है। कैसे करें नवरात्रि दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा। आइए जानते है विधि भोग और मंत्र।
देेवी की मान्यता
पुराणों और शास्त्रों के अनुसार मां ब्रह्मचारिणी के स्वरुप की बात करें तो शास्त्रों में मां ब्रह्मचारिणी को ज्ञान और तप की देवी माना जाता है। क्योंकि ब्रह्म का मतलब होता है तपस्या तो वहीं चारिणी का अर्थ है आचरण। मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने वाले व्यक्ति को धैर्य और ज्ञान की प्राप्ति होती है।
पूजा विधि
नवरात्रि के दूसरे दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद घर और पूजा स्थान को साफ कर लें। इस दिन माता को पंचामृस से स्नान कराएं। इसके बाद सबसे पहले माता का आसन बिछाएं और माता को विराजमान करें। फिर अपनी पूजा शुरु करें। सबसे पहले फूल, लौंग, सुपारी, अक्षत, चंदन, फल, रोली और पान आदि मां को भेट करें। इसके बाद मां को भोग लगाए। मां ब्रह्मचारिणी का पसंदीदा भोग मिश्री है। मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करते समय पीले या सफेद रंग के वस्त्र पहने चाहिए।
मां ब्रह्मचारिणी मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।