नई दिल्ली। देश के चुनावी साल में सभी पार्टियां सक्रिय हो गई हैं. आगामी लोकसभा चुनाव में सत्ता धारी बीजेपी को केंद्र से हटाने के लिए विपक्षी पार्टियों ने एकजुट होकर महागठबंधन का निर्माण किया था. इसकी शुरुआत बिहार के सीएम एवं जेडीयू (जनता दल यूनाइटेड) के संयोजक नीतीश कुमार ने की थी. लेकिन हाल ही में वो बिहार में एनडीए के हो लिए.
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टूटने लगा विपक्षी महागठबंधन!
वहीं दूसरी तरफ महाराष्ट्र जैसे पार्टियों में टूट देखने को मिली, साथ ही साथ एनसीपी के पार्टी चिन्ह और सिंबल को लेकर जो न्यायिक फैसला आया, इससे विपक्षी राह और कठिन होती दिख रही थी. इसके साथ ही बीजेपी ने जैसे ही देश के पूर्व पीएम चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न अवार्ड से नवाजने ऐलान किया, वैसे ही सपा मुखिया अखिलेश यादव के नेतृत्व में चल रही पीडीए में टूट देखने को मिली और जयंत चौधरी ने अपना पाला बदल लिया. दूसरी तरफ विपक्षी महागठबंधन में पार्टियों के बीच गठजोड़ को लेकर नाकारात्मक खबर ही सामने आ रही थी.
कांग्रेस और सपा में भी बात बनी
बता दें कि इसी बीच विपक्षी गठबंधन में बात बनते हुए दिख रही है. देश की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच यूपी की सीटों को लेकर बात बनी. यहां पर समाजवादी पार्टी 80 लोकसभा सीटों में से कांग्रेस को 17 सीटें देने के लिए तैयार हो गई है. वहीं इसके बीजेपी शासित मध्य प्रदेश में कुल 29 सीटें आती हैं. यहां पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधी लड़ाई है. यहां पर बीजेपी ने मुख्यमंत्री मोहन यादव को बना कर ओबीसी फैक्टर खेला है. ऐसे में यहां पर सपा को लेकर ज्यादा जगह बचा नहीं है. इसके बावजूद कांग्रेस ने यहां पर सपा को 1 सीट दी है. आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच लोकसभा चुनाव के मद्देनजर सहमति बन चुकी है.
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दिल्ली के 4-3 फॉर्मूले में सहमति
दिल्ली में लोकसभा की कुल 7 सीटें आती हैं. इसमें से आप ने कांग्रेस को 3 सीटें दी है. जबकि आप यहां पर चार सीटों पर चुनाव लड़ रही है. इसके अलावा चार और राज्यों में दोनों दलों के बीच गठजोड़ हो गया है. दरअसल हरियाणा में 9 सीटों पर कांग्रेस और 1 सीट पर आप चुनाव लड़ेगी. इसके अलावा चंडीगढ़ के सभी सीटों पर कांग्रेस का चेहरा होगा. गुजरात की बात करें तो यहां पर 24 सीटों पर कांग्रेस और भरूच और भावनगर सीट पर आप प्रत्याशी मैदान में उतरेंगे. इसके अलावा पंजाब में दोनों पार्टियां अलग-अलग चुनाव लड़ेंगी.