उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2022 की तारीखों का एलान हो चुका है । उत्तर प्रदेश में चुनाव 7 चरणों में होगा । अलीगढ़ जिले में पहले चरण के तहत 10 फरवरी को वोट डाले जायेंगे । अलीगढ़ जिले में 7 विधानसभा सीट हैं, खैर, बरौली, अतरौली, छर्रा, कोल, इगलास और अलीगढ़ । ये शहर अपने तालों को लेकर प्रसिद्ध है । इसके अलावा हालिया वक्त में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविधालय को लेकर भी ये शहर हमेशा ही सुर्खियों में रहा है । इस जिले की आबादी करीब 36 लाख है । यहां करीब 55 फीसदी हिन्दू आबादी है, जबकि 43 फीसदी के करीब मुसलमानों की आबादी है । दलित वोटर यहां काफी प्रभावशाली है । इस क्षेत्र में पहले सपा, रालोद का मजबूत आधार रहा है । लेकिन, 2014 के बाद यहां की सियासी हवा बदल गयी है । 2017 में सातों विधानसभा सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज कर, क्लीन स्वीप किया था ।
अलीगढ़ जिले के सीटों का सियासी समीकरण
अलीगढ़ शहर
अलीगढ़ शहर की बात करें यहां भी समस्या वैसी ही है, जैसी दूसरे शहरों में नजर आती है । सड़क, पानी, जलजमाव शहरी आबादी की सबसे बड़ी परेशानी होती है । इसके अलावा जिस ताले से अलीगढ़ की पहचान रही है । वह उधोग दम तोड़ता दिख रहा है । यहां के व्यपारी सरकार से ये उम्मीद रखते हैं कि सरकार दम तोड़ती इस उधोग को सहारा दे । रोजगार और महंगाई के बारे में भी यहां के लोग बात करते नजर आ रहे हैं ।
2012 के विधानसभा चुनाव में सीट से सपा के जफर आलम ने चुनाव जीता था । जबकि, दूसरे नंबर पर भाजपा के आशुतोष वार्ष्णेय रहे थे ।
2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के संजीव राजा ने चुनाव जीता । दूसरे नंबर पर सपा के जफर आलम थे ।
इस बार बीजेपी ने विधायक संजीव राजा का विवादों में नाम आने के बाद, उनका टिकट काट कर उनकी पत्नी मुक्ता राजा को मैदान में उतारा है । वहीं, सपा ने जाने माने कारोबारी मशहूर ताला ब्रैंड लिंक के मालिक जफर आलम को मैदान में उतारा है । इस सीट पर लड़ाई काफी कांटे की मानी जा रही है । एक तरफ वर्तमान विधायक के साथ जुड़ा विवाद तो दूसरी तरफ सपा प्रत्याशी की साफ सुथरी छवि । यहां जातिगत समीकरण भी सपा प्रत्याशी के पक्ष में जाता दिख रहा है ।
कोल
इस विधानसभा में सीट में भी कमोबेश समस्या वैसी ही है । जैसी दूसरे इलाकों में देखने को मिलती है । पानी, सड़क, जलजमाव, किसानों को सुविधा का विस्तार ।
इस सीट पर वर्तामान विधायक बीजेपी के अनील पाराशर हैं । बीजेपी ने एक बार फिर अनील पाराशर को अपना उम्मीदवार बनाया है । उनके सामने समाजवादी पार्टी ने अज्जू शाह को उतारा है । इन दोनों के बीच मुकाबला इस क्षेत्र में नजर आ रहा है । इन दोनों के बीच कांग्रेस ने पूर्व विधायक विवेक बंसल को टिकट दिया है । विवेक बंसल की भी क्षेत्र में अच्छी पकड़ मानी जाती है । इसलिये इस क्षेत्र में मुकाबला त्रिकोणीय बनता दिख रहा है ।
2017 में इस सीट पर बीजेपी अनिल पराशर ने चुनाव जीता था । दूसरे नंबर पर सपा के शाज़ इश्हाक थे ।
2012 में यहां से सपा के हाजी जमीरउल्लाह खान चुनाव जीते । दूसरे नंबर पर कांग्रेस के विवेक बंसल थे ।
इस सीट में हिंदू और मुस्लिम वोटरों की संख्या आधी- आधी है ।
अतरौली
अतरौली उत्तर प्रदेश का सबसे चर्चित सीट रहा है । ये बीजेपी के दिग्गज कल्याण सिंह की कर्मभूमि रही है । उनके निधन के बाद ये पहला विधानसभा चुनाव है । इसलिये भी इस सीट पर सभी की नजर है ।
बीजेपी ने इस सीट से कल्याण सिंह के पोते संदीप सिंह को फिर से अपना उम्मीदवार बनाया है । उनके सामने सपा ने विरेश यादव को अपना उम्मीदवार बनाया है । यहां पर मुख्य मुकाबला इन्हीं दोनों के बीच में है ।
2017 में अतरौली विधानसभा से भाजपा के संदीप सिंह ने चुनाव जीता था । दूसरे नंबर पर सपा के वीरेश यादव रहे थे ।
2012 में सपा के वीरेश यादव चुनाव जीते थे । जबकि, दूसरे नंबर पर जनक्रांति पार्टी की प्रेमलता देवी रही थीं ।
इस सीट पर यादव जाति के वोटरों की बाहुल्यता है । लोधी जाति की भी संख्या यहां अच्छी खासी है ।
छर्रा
छर्रा विधानसभा सीट में भी मुकाबला बीजेपी और सपा के बीच नजर आ रहा है । यहां वर्तमान विधायक बीजेपी के है । बीजेपी ने अपने विधाय़क रविंद्रपाल सिंह पर भरोसा दिखाते हुए, एक बार फिर उन्हें अपना उम्मीदवार बनाया है । जबकि सपा ने लक्ष्मी दिवाकर को टिकट दिया है । सपा ने विवादों में रहने के कारण पूर्व विधायक राकेश सिंह का टिकट इस बार काट दिया है ।
2017 में छर्रा विधानसभा सीट से भाजपा के रविंद्रपाल सिंह चुनाव जीते। दूसरे नंबर पर सपा के राकेश सिंह थे ।
2012 में सपा के राकेश सिंह ने चुनाव जीता। जबकि, दूसरे नंबर पर बसपा के मूलचंद्र बघेल रहे थे ।
खैर
यह विधानसभा आरक्षित है । मूलभुत सुविधाओं को लेकर यहां के लोग लगातार अपनी आवाज बुलंद करते रहे हैं । 2022 में यहां मुख्य मुकाबला भाजपा और बसपा में नजर आ रहा है । वर्तमान में इस सीट पर बीजेपी के विधायक है और बीजेपी ने एक बार फिर अनुप वाल्मिकी को टिकट दिया है । उनके सामने इस बसपा ने चारु केन को मैदान में उतारा है । चारु केन तेजवीर सिंह गुड्डू की पुत्रवधु हैं । बसपा ने उनका टिकट काटा तो उन्होंने अपनी पुत्रवधु को टिकट दिलवा दिया । तेजवीर सिंह जाट हैं और उनकी बहु दलित । इसलिये माना जा रहा है कि इस सीट में बसपा कमाल कर सकती है ।
2017 में बीजेपी के अनूप वाल्मीकि ने यहां से जीत दर्ज की थी । दूसरे नंबर पर बसपा प्रत्याशी राकेश मौर्य थे ।
2012 में रालोद के भगवती प्रसाद सूर्यवंशी चुनाव जीते थे जबकि दूसरे नंबर पर बसपा की राजरानी रही थीं ।
यह सीट जाट बाहुल्य है और यहां दलितों की भी आबादी अच्छी खासी है ।
इगलास
इगलास विधानसभा सीट भी आरक्षित सीट है । इस सीट पर भी बीजेपी का कब्जा है । और, भाजपा ने अपने वर्तमान विधायक राजकुमार पर ही भरोसा जताते हुए, उन्हें टिकट दिया है । आरएलडी ने वीरपाल दिवाकर को अपना उम्मीदवार बनाया है । बसपा ने सुशील कुमार को मैदान में उतारा है । इगलास विधानसभा सीट में मुख्य मुकाबला इन्हीं तीनों के बीच माना जा रहा है ।
2017 में इस विधानसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी राजवीर दिलेर जीते थे । राजवीर दिलेर के सांसद बनने के बाद, 2019 में हुए हुए उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी राजकुमार ने चुनाव जीता ।
2012 में रालोद के त्रिलोकिराम दिवाकर चुनाव जीते थे । दूसरे नंबर पर बसपा प्रत्याशी राजकुमार रहे थे ।
यह सीट आरक्षित है । यहां दलित आबादी काफी है । हालांकि, जाट वोटर भी यहां बड़ी संख्या में है ।
बरौली
बरौली विधानसभा सीट में मुख्य मुकाबला भाजपा और आरएलडी के बीच नजर आ रहा है । वर्तमान में यह सीट बीजेपी के पास है । बीजेपी ने इस सीट पर वर्तमान विधायक दलवीर सिंह का टिकट काट दिया और टिकट 2017 में दूसरे नंबर पर रहे बसपा प्रत्याशी को दिया है । जिन्होंने बाद में बीजेपी का झंड़ा थाम लिया ।
बीजेपी ने जयवीर सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया है । इनके सामने रालोद ने प्रमोद गौड़ को टिकट दिया है । बसपा ने इस बार नरेंद्र शर्मा को मैदान में उतारा है ।
2017 में भाजपा के दलवीर सिंह यहां से चुनाव जीते थे । जबकि, दूसरे नंबर पर बसपा के जयवीर सिंह रहे थे ।
2012 में रालोद के टिकट पर दलवीर सिंह चुनाव जीते । दूसरे नम्बर पर बसपा के जयवीर सिंह थे ।
यह क्षेत्र ठाकुर बाहुल्य है । बरौली विधानसभा में तकरीबन 3.5 लाख वोटर्स हैं । जिसमें 90 हजार के करीब ठाकुर हैं । बाह्मण और मुस्लिम वोटरों की संख्या 35-35 हजार के करीब है । जाटव वोटर भी यहां 30 हजार के करीब है ।