Britain: ब्रिटेन की जनता गुरुवार को मतदान कर अपना नेता चुनेगी। यहां कंजर्वेटिव पार्टी के नेता प्रधानमंत्री ऋषि सुनक का सीधा मुकाबला लेबर पार्टी के नेता कीर स्टारमर से है। अब तक आए एग्जिट पोल के मुताबिक इस बार सुनक सत्ता खोते नजर आ रहे हैं। हालांकि Britain पीएम सुनक ने हार नहीं मानी है। वह चुनाव प्रचार के आखिरी क्षण तक लोगों को अपने पक्ष में करने की कोशिश करते नजर आए। यूनाइटेड किंगडम में गुरुवार को आम चुनाव के लिए वोट डाले जाएंगे। इसके नतीजे भी देर रात या अगली सुबह तक आ जाएंगे।
ऋषि सुनक ने अपने Britain चुनाव प्रचार को धार देने के लिए पिछले कुछ हफ्तों में हजारों मील की यात्रा की है। अब फैसले का समय आ गया है। गुरुवार को होने वाले मतदान के साथ ही यहां की जनता प्रधानमंत्री के तौर पर सुनक के 20 महीने के कार्यकाल और उनसे पहले चार कंजर्वेटिव प्रधानमंत्रियों पर अपना फैसला सुनाएगी। माना जा रहा है कि इस बार ब्रिटेन लेबर पार्टी पर भरोसा कर सकता है, जो 2005 से सत्ता में आने का इंतजार कर रही है।
सुनक ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया
चुनाव प्रचार के आखिरी दो दिनों के व्यस्त कार्यक्रम के दौरान सुनक ने खाद्य वितरण गोदाम, सुपरमार्केट, फार्म का दौरा किया। उन्होंने बार-बार इस बात पर जोर दिया कि चुनाव का नतीजा पहले से तय नहीं है। अक्टूबर 2022 से सत्ता में बने कंजर्वेटिव नेता ने कहा, ‘लोग देख सकते हैं कि हमने एक मोड़ ले लिया है।’ कुछ कठिन साल रहे हैं, लेकिन निस्संदेह चीजें अब पहले से बेहतर स्थिति में हैं।
लेबर पार्टी भी जोरों पर
सुनक की सबसे बड़ी प्रतिद्वंद्वी Britain कीर स्टारमर की लेबर पार्टी भी पूरी ताकत लगा रही है, पार्टी लगातार लोगों को समझदारी से वोट करने की चेतावनी दे रही है। खुद कीर स्टारमर ने अपनी सेंटर-लेफ्ट पार्टी को मौका देने और लोगों से बदलाव के लिए वोट करने का आग्रह करने के लिए छह सप्ताह का अभियान चलाया है। विश्लेषकों और राजनेताओं सहित अधिकांश लोगों को उम्मीद है कि इस बार जनता उनका समर्थन कर सकती है।
देश नए विचारों की तलाश में है
लेबर पार्टी से उम्मीदवार रहे डगलस बीट्टी ने एपी से बातचीत में कहा कि देश थकी हुई और विभाजित सरकार से दूर नई ऊर्जा की तलाश कर रहा है। उन्होंने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा कि लोग कंजरवेटिव पार्टी की गलतियों से थक चुके हैं। दरअसल, सुनक के लिए अब तक का सफर अच्छा नहीं रहा है। इसके अलावा उनकी पार्टी की छवि भी जनता के बीच खराब होती चली गई।
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इसकी शुरुआत बोरिस जॉनसन से हुई जब वे कोविड 19 लॉकडाउन के दौरान पार्टी करते नजर आए। फिर उनकी उत्तराधिकारी लिज ट्रस ने बड़े पैमाने पर कर कटौती की घोषणा की जिसने कोविड से कमजोर हुई अर्थव्यवस्था को हिलाकर रख दिया। इससे जीवन यापन की लागत का संकट और बढ़ गया और यह 49 दिनों तक चला। खराब सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा प्रणाली से लेकर चरमराते बुनियादी ढांचे तक कई मुद्दों पर व्यापक असंतोष था।