नई दिल्ली ऑनलाइन डेस्क। महाराष्ट्र के साथ ही झारखंड की 81 विधानसभा के लिए दो चरणों में वोटिंग हुई। मतगणना के बाद प्रदेश में इंडिया गठबंधन की सरकार बन गई। झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता हेमंत सोरेन सूबे ने चौथी बार राज्य के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। हेमंत सोरेन के लिए 2024 कुछ खास नहीं रहा। जमीन घोटाले में उन्हें जेल जाना पड़ा। सीएम की कुर्सी छोड़नी पड़ी और चंपई सोरेन के हाथों में राज्य की बागडोर सौंपनी पड़ी। हालांकि, जेल से बाहर आने पर हेमंत ने 4 जुलाई को चंपई सोरेन की जगह ली। फिर चुनावी दंगल में उतरे। अकेले दम बीजेपी से मुकाबला किया। पर्दे के पीछे रहते हुए पत्नी कल्पना सोरेन ने रणनीति बनाई। जिसका असर भी दिखा और 25 साल के बाद हेमंत सोरेन ऐसे नेता बने जो प्रदेश के चार बार सीएम की कुर्सी पर बैठे।
कौन हैं हेमंत सोरेन
हेमंत सोरेन का जन्म 10 अगस्त 1975 को हुआ था। हेमंत सोरेन की पिता का नाम शीबू सोरेन और मां का नाम रूपी सोरेन हैं। शीबू सोरेन झारखंड के कद्दावर नेता रहे हैं। मुख्यमंत्री के अलावा केंद्र सरकार में वह मंत्री रहे हैं। हेमंत सोरेन ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा 1990 में पटना के एमजी हाई स्कूल से शुरू की। 1994 में पटना हाई स्कूल से इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरी की। हेमंत सोरेन की सपना था कि वह इंजीनियर बने। इसी के चलते उन्होंने रांची के बीआईटी (मेसरा) में मैकेनिकल इंजीनियरिंग में दाखिला लिया। लेकिन किसी कारण वह अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पाए और घर आ गए। फिर कुछ साल हेमंत ने इंजीनियरिंग फर्मों के साथ काम किया। पिता राजनीति में थे। बड़े भाई दुर्गा सोरेन पिता की राजनीति को आगे बढ़ रहे थे। हेमंत का राजनीति में ज्यादा रूचि नहीं थी।
ओडिशा की कल्पना से की शादी
हेमंत सोरेन अक्सर ओडिशा के क्योंझर जनपद घूमने के लिए जाया करते थे। तभी उनकी मुलाकात क्योंझर जिले की रहने वाली कल्पना सोरेन से हुई। दोनों के बीच दोस्ती हुई, जो बाद में प्यार में बदल गई। दोनों ने शादी करने का फैसलर किया। हेमंत सोरेन की शादी 7 फरवरी 2006 में हुई थी। कल्पना सोरेन का परिवार अभी भी क्योंझर जिले के बारीपदा में ही रहता है। शादी के वक्त शिबू सोरेन केंद्र में कोयला मंत्री थे। हेमंत सोरेन के पैतृक गांव नेमरा से सभी बाराती बारीपदा पहुंचे। सैकड़ों छोटे-बड़े वाहनों से बाराती झारखंड समेत विभिन्न हिस्सों से शादी में पहुंचे थे। जहां बारातियों के स्वागत के लिए बड़े ही भव्य इंतजाम किए गए थे। शादी के बाद दोनों के दो बेटे हैं। हेमंत की पत्नी कल्पना भी इस चुनाव में गांडेय विधानसभा सीट से जीती हैं।
हेमंत सोरेन का सियासी सफर
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को राजनीति विरासत में मिली। उनके पिता शिबू सोरेन खुद तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री रहे। इसके अलावा हेमंत के बड़े भाई दिवंगत दुर्गा सोरेन भी विधायक थे। हेमंत ने 2005 में दुमका से स्टीफन मरांडी के खिलाफ अपना पहला चुनाव लड़ा, जिसमें वे हार गए। इसके बाद हेमंत सोरेन दिल्ली की तरफ कदम बढाए और पहली बार जून 2009 में राज्यसभा के सदस्य बने। 2009 के अंत में हुए विधानसभा चुनाव में वह दुमका सीट से विधायक चुने गए। अर्जुन मुंडा के तीसरे कार्यकाल में सितंबर 2010 से जनवरी 2013 तक हेमंत झारखंड के उपमुख्यमंत्री रहे। जुलाई 2013 में उन्होंने पहली बार झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। हेमंत का पहला कार्यकाल करीब 17 महीने का रहा।
तब हेमंत सोरेन बने थे विपक्ष के नेता
2014 में हुए विधानसभा चुनाव में झामुमो को हार झेलनी पड़ी और बीजेपी को जीत मिली। बरहेट सीट से विधायक चुने जाने के बाद उन्होंने रघुबर दास सरकार के दौरान जनवरी 2015 से दिसंबर 2019 तक झारखंड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी निभाई। 2019 के विधानसभा चुनाव में झामुमो को जीत मिली। इस जीत के बाद झामुमो ने कांग्रेस और राजद के साथ मिलकर राज्य में महागठबंधन की सरकार बनाई, जिसके मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन बने। 29 दिसंबर 2019 को हेमंत सोरेन ने दूसरी बार झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। करीब चार साल तक सोरेन झारखंड में इंडिया गठबंधन की सरकार चलाते रहे। लेकिन तभी उन पर ईडी का शिकंजा कसना शुरू हुआ।
ईडी ने हेमंत सोरेन को किया था अरेस्ट
31 जनवरी 2024 को भूमि घोटाले के आरोपों के बाद प्रवर्तन निदेशालय ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी से ऐन पहले उन्होंने पद से त्यागपत्र दिया। हालांकि, जून महीने में सोरेन को बड़ी राहत के रूप में जमानत मिल गई और 28 जून को उन्हें जेल से रिहा कर दिया गया। चंपई सोरेन ने 3 जुलाई 2024 को झारखंड के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। 4 जुलाई को हेमंत सोरेन तीसरी बार झारखंड के मुख्यमंत्री बन गए। हालांकि चंपई सोरेन जिन्हें एक वक्त टाइगर ऑफ झारखंड कहा जाता था, उन्होंने पार्टी से बगावत कर दी। चंपई बीजेपी में शामिल हो गए। बीजेपी के टिकट पर खुद चुनाव लड़े और बेटे को भी लड़वाया। लेकिन पिता-पुत्र की जोड़ी को हेमंत सोरेन ने हरा दिया।
इंडिया गठबंधन ने जीती 56 सीट
विधानसभा चुनाव में हेमंत सोरेन के झामुमो के नेतृत्व वाले गठबंधन ने 81 सदस्यीय विधानसभा में 56 सीटें हासिल करके जीत दर्ज की। महागठबंधन ने बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए को 24 सीटों पर ही सीमित कर दिया। हेमंत सोरेन ने बरहेट सीट से चुनाव लड़ा और बीजेपी के गमलील हेम्ब्रोम को 39,791 मतों के अंतर से हराया। उनकी पत्नी कल्पना सोरेन ने भी गांडेय विधानसभा सीट से जीत हासिल की। अब गुरुवार को शपथ लेने के साथ ही उनकी चौथी पारी शुरू हो गई है। झारखंड के इतिहास में ऐसा पहली बार है। इस नए नवेले राज्य के 24 साल के इतिहास में तीन चेहरे तीन-तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं। इनमें हेमंत सोरेन के पिता शिबू सोरेन, भाजपा नेता अर्जुन मुंडा और खुद हेमंत सोरेन शामिल हैं। चौथी बार शपथ लेते ही हेमंत इस श्रेणी से आगे निकल गए हैं।
पत्नी बनीं किंगमेकर
विधानसभा चुनाव से ठीक पहले हेमंत सोरेन जेल चले गए। पत्नी कल्पना सोरेन ने बाहर रहते हुए पार्टी को मजबूत किया। पति के लिए कोर्ट के चक्कर काटे। जमानत पर सोरेन जेल से बाहर लेकर आई। इस दौरान सोरेन परिवार में फूट पड़ गई। हेमंत सोरेन की भाभी सीता सोरेन पार्टी से अलग हो गई और बीजेपी में शामिल हो गई। मुंहभोले चाचा चंपई सोरेन भी बुरे वक्त पर साथ छोड़कर चले गए। ऐसे में हेमंत सोरेन की पत्नी चट्टान की तरह उनके साथ खड़ी रहीं। चुनाव के वक्त उन्होंने अंदरखाने रणनीति बनाई। खुद कई सभाएं की। पति हेमंत के लिए जीत वाली कहानी भी तैयार की। टिकट से लेकर चुनावी भाषण में कल्पना का सीधा दखल रहता था। यही वजह रही कि हेमंत सबको पटखनी देते हुए टाइगर ऑफ झारखंड बनकर उभरे।
तकदीर बदलने का दौर शुरू हो गया
पांच दशक से अधिक समय से राजनीतिक तौर बेहद सक्रिय परिवार में कल्पना सोरेन खुद राजनीति में सक्रिय नहीं रहीं। लेकिन घर में कदम रखते हुए हेमंत सोरेन की तकदीर बदलने का दौर शुरू हो गया। शादी के बाद 2009 में हुए विधानसभा चुनाव में हेमंत सोरेन को पहली बार संसदीय राजनीति में सफलता मिली। इसके बाद से वे लगातार सफलता की सीढ़ियों पर चढ़ते गए। पहले बीजेपी नेतृत्व वाली सरकार में उपमुख्यमंत्री बने, फिर बीजेपी से अलग होकर यूपीए के साथ मिलकर सरकार बनाई। वर्ष 2014 के चुनाव में वे नेता प्रतिपक्ष बने। लेकिन 2019 में फिर उनकी सत्ता में वापसी हुई।