नई दिल्ली ऑनलाइन डेस्क। Arvind Kejriwal’s story on Delhi elections दिल्ली विधानसभा के चुनाव की डुगडगी बज चुकी है। जीत-हार को लेकर राजनीतिक दलों के नेता सियासी अखाड़े में लाव-लश्कर के साथ उतर चुके हैं। आरोप-प्रत्यारोप के बीच उम्मीदवारों के नामों का ऐलान जारी है तो पोस्टर वार के जरिए पार्टियां एक-दूसरे को घेर रही हैं। आम आदमी पार्टी जहां चौथी बार सत्ता पर काबिज होने की लड़ाई लड़ रही है तो वहीं, बीजेपी इस बार दिल्ली की गद्दी अपने नाम करने के लिए जोर-शोर से मैदान में है। जबकि कांग्रेस भी पूरी ताकत के साथ चुनावी दंगल में एड़ी-चोटी का जोर लगाए हुए है। हालांकि जानकारों का मानना है कि लड़ाई बीजेपी और आम आदमी के बीच ही है। ऐसे में हम आपको आप संयोजक व पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बारे में बताने जा रहे हैं। कैसे वह राजनीति मे ंआए। किस तरह से सियासत के बाजीगर बने। क्यों उन्हें कांग्रेस के अलावा अन्य नेता आरएसएस की कठपुतली कहते हैं।
हरियाणा में हुआ था अरविंद केजरीवाल का जन्म
अरविंद केजरीवाल का जन्म 16 अगस्त 1968 को हरियाणा के सिवानी जिले के खेड़ा गांव में हुआ। अरविंद केजरीवाल ने 1985 में आईआईटी जेई परीक्षा पास की। उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग में आईआईटी खड़गपुर से ग्रेजुएशन किया। पढ़ाई पूरी करने के बाद वह करीब 3 साल तक टाटा स्टील में नौकरी की। नौकरी नहीं भाई तो रिजाइन कर सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी में जुट गए। 1995 में केजरीवाल ने यूपीएससी एग्जाम पास किया। उनका सिलेक्शन इंडियन रेवेन्यू सर्विस (आईआरएस) में हुआ। इसके बाद वह इनकम टैक्स डिपार्टमेंट में असिस्टेंट कमिश्नर के पद पर नियुक्त हुए। कुछ सालों तक नौकरी करने के बाद आखिरकार अरविंद केजरीवाल ने 2006 में जॉइंट इनकम टैक्स कमिश्नर के पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद अरविंद केजरीवाल ने इंडिया अगेंस्ट करप्शन ग्रुप का गठन किया। भ्रष्टाचार के खिलाफ उन्होंने आंदोलन शुरू कर दिए।
अन्ना आंदोलन के थे पुरोधा
अरविंद केजवरीवाल भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन इंडिया अगेंस्ट करप्शन (आईएसी) के तहत आंदोलन कर रहे थे। तभी अरविंद केजरीवाल की मुलाकात सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे से होती है। 2011 में अन्ना के नेतृत्व में इंडिया अगेंस्ट करप्शन आंदोलन का शंखनाद होता है। यह आंदोलन कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के दौरान कई भ्रष्टाचार घोटालों के उजागर होने के बाद शुरू हुआ था। अन्ना हजारे और आंदोलनकारियों ने सरकार से जन लोकपाल विधेयक (नागरिक लोकपाल विधेयक) लाए जाने की मांग की। आंदोलन को देखते यूपीएस की सरकार ने 18 दिसंबर, 2013 को संसद में इस विधेयक को लेकर आई। इसे संसद से पारित करवाया। फिर जन लोकपाल विधेयक लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013 के रूप में कानून बन गया। इसे 1 जनवरी, 2014 को राष्ट्रपति की स्वीकृति मिली और यह 16 जनवरी को लागू हुआ।
तब ये लोग भी थे अन्ना के साथ
तब अन्ना हजारे के आंदोलन को किरण बेदी, कुमार विश्वास, अनुपम खेर, जनरल वीके सिंह, योगेंद्र यादव जैसी हस्तियों ने समर्थन दिया था। अरविंद केजरीवाल, संजय सिंह, शाजिया इल्मी जैसे कई लोग इस आंदोलन के बाद हीरो बन गए। अन्ना ने पूरे आंदोलन के वक्त राजनीतिक दलों से दूरी बनाई रखी। पर अन्ना के साथ इस आंदोलन में शामिल कई लोग इसी आंदोलन से नेता बन गए। इन लोगों ने मिलकर आम आदमी पार्टी बनाई। केजरीवाल इसके संयोजक बने। 16 दिसंबर, 2012 को दिल्ली में निर्भया गैंगरेप की घटना के बाद हुए प्रदर्शनों में लोगों की सहानुभूति को आप ने बटोरा। इस आंदोलन से नेता बने केजरीवाल को दिल्ली ने तीन बार अपनी गद्दी पर बैठाया। हालांकि, आम आदमी पार्टी जल्द ही बिखर गई। इससे जुड़े कई लोग दूसरी पार्टियों में शामिल हो गए, तो कुछ ने राजनीति से किनारा कर लिया।
2013 में पहली बार बने मुख्यमंत्री
अरविंद केजरीवाल ने 2 अक्टूबर 2012 को अपने राजनीतिक दल का गठन किया। 24 नवंबर 2012 को आम आदमी पार्टी बनाई गई। 2013 में आम आदमी पार्टी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव लड़ा और अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस की पूर्व सीएम शीला दीक्षित को हरा दिया। इस चुनाव में आम आदमी पार्टी को बहुमत नहीं मिला था, लेकिन कांग्रेस ने सरकार में शामिल न होकर बाहर से समर्थन किया, जिसके दम पर अरविंद केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री पद की कुर्सी पर बैठे। फिर साल 2015 में चुनाव हुआ और आम आदमी पार्टी रिकॉर्ड 67 सीटें जीतकर विधानसभा में पहुंची। 2020 में हुए विधानसभा चुनाव में भी केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने 70 में से 62 सीटें जीतीं। केजरीवाल ने 16 फरवरी 2020 को रामलीला मैदान में तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।
अरविंद केजरीवाल पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप
आम आदमी पार्टी का चुनाव चिन्ह झाड़ू रखा गया। तब अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि उन्होंने कहा था भ्रष्टाचार को लेकर वह राजनीति में आए हैं। कभी घर नहीं लेंगेगे। सुरक्षा भी नहीं रखेंगे। खुद को वीवीआई कल्चर से दूर रखेंगे। अपनी ही कार से चलेंगे। लेकिन सीएम बनने के बाद उन्होंने आवास लिया। सुरक्षा भी ली। अरविंद केजरीवाल पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे। उन्हें जेल जाना पड़ा। प्रवर्तन निदेशालय ने 21 मार्च, 2024 को केजरीवाल को कथित भ्रष्टाचार के लिए गिरफ्तार किया था। उन्हें 13 सितंबर, 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दी थी और जेल से निकलने के कुछ दिनों बाद मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। आप नेता आतिशी को अगले विधानसभा चुनाव तक उनके उत्तराधिकारी के रूप में घोषित किया गया है।
इन्होंने बताया आरएसएस का दोस्त
2020 में आप के संस्थापक सदस्य रहे सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा था कि 2014 में बीजेपी सरकार के सत्ता में आने से पहले 2011 में देश में जो भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन हुआ था, उसे बीजेपी और आरएसएस का समर्थन प्राप्त था। इस पर राहुल गांधी ने सोशल मीडिया पर लिखा-लोकतंत्र को खत्म करने और यूपीए सरकार को गिराने के लिए इंडिया अगेंस्ट करप्शन और आम आदमी पार्टी को आरएसएस और बीजेपी ने खड़ा किया। वहीं, स्वराज इंडिया पार्टी के अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने भी कहा था कि अरविंद चतुर निकले और उनकी राजनीति बीजेपी-आरएसएस के करीब की ही है। हम उन्हें तब नहीं समझ पाए और जब समझा तो साथ छोड़ दिया।
संदीप दीक्षित ने भी लगाए आरोप
हाल ही में अरविंद केजरीवाल की ओर से आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को लिखी चिट्ठी पर दिल्ली की पूर्व सीएम शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित ने आड़े हाथ लिया। नई दिल्ली से कांग्रेस उम्मीदवार संदीप दीक्षित ने कहा, केजरीवाल ने आरएसएस को पत्र क्यों लिखा है?। पत्र तो उनको लिखा जाता है जिनसे सीधा रिश्ता होता है। आप ने ही कहा था कि आपके पिता का आरएसएस से संबंध था। इंडिया अगेंस्ट करप्शन आंदोलन में भी इनकी आरएसएस से सीधे-सीधे दोस्ती थी। कांग्रेस नेता ने आगे कहा कि दरअसल, केजरीवाल देर सबेर अपनी असलियत जाहिर कर देते हैं। हम जो कहते हैं कि केजरीवाल आरएसएस के एजेंट है वह उनसे बाहर आ ही जाता है।