लखनऊ। (Ram Mandir )अयोध्या में होने वाले राम लला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के आयोजन के लिए अब 20 दिनों से भी कम का समय रह गया है। ऐसे में जैसे-जैसे समय नजदीक आ रही है, लोगों की उत्सुकता और कार्यक्रम को लेकर उत्साह बढ़ता ही जा रहा है। इस बीच राम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र द्वारा भी अहम जानकारियाँ शेयर की जा रही है। राम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र द्वारा श्री राम का गर्भ गृह से जुड़ी जानकारी सोशल मीडिया पर शेयर की है। ट्रस्ट ने 20 पॉइंट में बताया है कि मंदिर की भव्यता कैसी होगी।
बुजुर्गों और दिव्यांगों के लिए विशेष व्यवस्था
ट्रस्ट द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार मंदिर में प्रवेश के लिए सभी लोगों के लिए अलग व्यवस्था रहेगी। खासकर बुजुर्गों और दिव्यांगों के लिए। इनके लिए रैम्प और लिफ्ट की व्यवस्था रहेगी। मंदिर के चारों ओर परकोटा का निर्माण किया गया है। सभी दिशा में इसकी समान दूरी रहेगी। यह दूरी 732 मिटर लंबाई और 14 फिट चौराई रहेगी।
Ram Mandir तीर्थ क्षेत्र द्वारा शेयर की गई जानकारी
- मंदिर का निर्माण पारंपरिक नागर शैली में किया गया है।
- मंदिर की लंबाई 380 फीट, चौड़ाई 250 फीट और ऊंचाई 161 फीट है।
- राम मंदिर का निर्माण तीन मंजिल में किया गया है, इसकी प्रत्येक मंजिल 20 फीट ऊंची है। इसमें कुल 392 खंभे और 44 दरवाजे हैं।
- मंदिर के गर्भगृह में भगवान श्री राम का बचपन का स्वरूप के प्रतीक में श्री राम लला की मूर्ति रहेगी और पहली मंजिल पर श्री राम दरबार होगा।
- मंदिर में पांच मंडप का निर्माण किया गया है, जिसमें नृत्य मंडप, रंग मंडप, सभा मंडप, प्रार्थना और कीर्तन मंडप शामिल है।
- मंदिर के खंभों और दीवारों पर देवी-देवताओं, देवी-देवताओं की मूर्तियाँ सुशोभित हैं।
- मंदिर में प्रवेश के लिए पूर्व दिशा में सिंह द्वार से 32 सीढ़ियाँ बनाई गई है।
- दिव्यांगों और बुजुर्गों की सुविधा के लिए मंदिर परिसर में रैंप और लिफ्ट की व्यवस्था की गई है।
- मंदिर के चारों ओर 732 मीटर लंबी और 14 फीट चौड़ी परकोटा बनाया गया है।
- मंदिर परिसर के चारों कोनों पर, चार मंदिर का निर्माण कीय गया हैं। जिसमें सूर्य देव, देवी भगवती, गणेश भगवान और भगवान शिव को स्थापित किया गया है। इसके उत्तरी भुजा में माँ अन्नपूर्णा का मंदिर है और दक्षिणी भुजा में हनुमान जी का मंदिर है।
- मंदिर के पास पहले से एक ऐतिहासिक कुआँ (सीता कूप) है, जो प्राचीन काल का माना जता है।
- श्री राम जन्मभूमि मंदिर परिसर में, महर्षि वाल्मिकी, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, निषाद राज, माता शबरी और देवी अहिल्या की पूज्य पत्नी को समर्पित मंदिर भी प्रस्तावित हैं। जिसका निर्माण किया जाएगा।
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- मंदिर परिसर के दक्षिण-पश्चिमी भाग में, कुबेर टीला का निर्माण किया गया है, इस पर जटायु की स्थापना के साथ-साथ भगवान शिव के प्राचीन मंदिर का जीर्णोद्धार भी किया गया है।
- गौर करने बाली बात है कि इस मंदिर में कहीं भी लोहे का प्रयोग नहीं किया गया है।
- मंदिर की नींव का निर्माण रोलर-कॉम्पैक्ट कंक्रीट की 14 मीटर मोटी परत से किया गया है, जो इसे कृत्रिम चट्टान का रूप देता है।
- मंदिर के भवन को जमीन की नमी से सुरक्षा के लिए ग्रेनाइट का उपयोग करके 21 फुट ऊंचे चबूतरे का निर्माण किया गया है।
- मंदिर परिसर में एक सीवेज उपचार संयंत्र, जल उपचार संयंत्र, अग्नि सुरक्षा के लिए जल आपूर्ति और एक स्वतंत्र बिजली स्टेशन की व्यवस्था भी है।
- 25,000 लोगों की क्षमता वाला एक तीर्थयात्री सुविधा केंद्र का निर्माण भी किया जाएगा जो तीर्थयात्रियों को चिकित्सा सुविधाएं और लॉकर सुविधा प्रदान करेगा।
- 19.परिसर में स्नान, वॉशरूम, वॉशबेसिन, खुले नल आदि के साथ एक अलग ब्लॉक भी होगा।
- मंदिर का निर्माण पूरी तरह से भारत की पारंपरिक और स्वदेशी तकनीक का उपयोग करके किया गया है। यह निर्माण पर्यावरण-जल संरक्षण पर विशेष जोर देते हुए किया जा रहा है। Ram Mandir परिसर के 70 एकड़ क्षेत्र के 70% हिस्से को हरा-भरा रखा गया है।