लखनऊ: 23 फरवरी को 9 जिलों की 60 सीटों पर मतदान होने है। जिसमें लखनऊ की सबसे चर्चित सीट सरोजनीनगर विधानसभा भी शामिल है। चर्चित इसलिए क्योंकि यहां से बीजेपी ने मंत्री रही स्वाति सिंह का टिकट काट दिया। साथ ही उनके पति दयाशंकर सिंह को भी टिकट नहीं दिया और टिकट मिला डॉ. राजेश्वर सिंह को जिन्होंने वीआरएस लेकर खाकी छोड़ खादी पहनी है। साल 2017 के विधानसभा चुनाव में BJP ने 9 सीटों में से 8 पर कब्जा जमाया था। हालांकि इस बार बदले जातीय समीकरण ने कुछ सीटों पर चुनाव को बेहद दिलचस्प बना दिया है।
ED की नौकरी छोड़ BJP में शामिल हुए पूर्व डायरेक्टर राजेश्वर सिंह ने सरोजनी नगर विधानसभा को बेहद हॉट सीट बना दिया है। यहां पर राजेश्वर सिंह का सीधा मुकाबला अखिलेश यादव के करीबी प्रोफेसर और रिटायर्ड आईएएस के बेटे अभिषेक मिश्रा से है। दिग्गजों ने लखनऊ के कुछ विधानसभा सीटों पर जनसभा और रोड शो के जरिए माहौल बनाने की कोशिश की है।
लखनऊ में तैनाती के दौरान एनकाउंटर स्पेशलिस्ट के रूप में पहचान बनाने वाले डॉ. राजेश्वर सिंह चुनाव मैदान में हैं। इन्होंने INX मीडिया घोटाले, 2-जी घोटाले और एयरसेल-मैक्सिस डील में कांग्रेस के कद्दावर नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम को सलाखों के पीछे तक पहुंचा दिया था। सहारा प्रमुख सुब्रत राय को हाउसिंग फाइनेंस के नाम पर लोगों से गैर-कानूनी तरीके से 24 हजार करोड़ लेने के आरोप में जेल भिजवा दिया था। एक वक्त पर सुपरकॉप, एनकाउंटर स्पेशलिस्ट की छवि रखने वाले राजेश्वर ने कब राजनीति की जमीन तलाशनी शुरू की, इसका जवाब खुद उनके पास भी नहीं है। हालांकि, अब वह भाजपा का चेहरा हैं और सरोजनीनगर सीट से विधायक का चुनाव लड़ रहे हैं।
वहीं दूसरी तरफ इस सीट पर राजेश्वर सिंह को कड़ी टक्कर प्रोफेसर अभिषेक मिश्रा दे रहे हैं। अखिलेश सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे अभिषेक मिश्रा की छवि भी एक पढ़े लिखे ईमानदार प्रत्याशी की है। इनके पिता भी एक रिटायर्ड आईएएस हैं और पत्नी भी IIM की प्रोफेसर रही हैं। उधर, कांग्रेस ने रुद्र दमन सिंह को टिकट दिया है। इनका खुद का व्यक्तित्व भी चुनावी चर्चा में है। इस सीट पर साल 2002 और 2007 में लगातार 2 बार बसपा के मोहम्मद इरशाद खान ने जीत दर्ज की थी। इस बार बसपा ने जलीस खान को अपना प्रत्याशी बनाया है।
सरोजनी नगर विधानसभा सीट पर कड़ा मुकाबला माना जा रहा है। अखिलेश सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे अभिषेक मिश्रा की छवि एक ईमानदार प्रत्याशी की होने के साथ ही, उनके पिता की छवि भी साफ़ सुथरी अफसरों वाली रही है और कड़ी टक्कर डॉ. राजेश्वर सिंह दे रहे है। डॉ. राजेश्वर सिंह यूपी के चर्चित घोटालों की जांच में शामिल रहे डॉ. राजेश्वर सिंह 1996 बैच के PPS अधिकारी हैं। यूपी पुलिस में 10 साल की सेवाएं और प्रवर्तन निदेशालय में 14 साल उन्होंने काम किया। सिर्फ हाई प्रोफाइल मामलों की जांच के लिए ही वो नहीं जाने जाते हैं। लखनऊ में तैनाती के दौरान वो एनकाउंटर स्पेशलिस्ट माने जाते थे। 13 एनकाउंटर उनके नाम पर हैं। 2007 में प्रतिनियुक्ति पर ED में चले गए थे।