नई दिल्ली। भ्रामक विज्ञापन मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद और उसके MD आचार्य बालकृष्ण को अवमानना नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि कंपनी ने कोर्ट के आदेश के बावजूद ऐसे विज्ञापन लाया जो भ्रामक है। मामले में सुनवाई के दौरान जस्टिस अमानुल्लाह ने कहा कि पंतजली आदेश के बाद भी ऐसे विज्ञापन लाने का साहस कर रहा है। जस्टिस अमानुल्लाह ने कहा कि हमें ऐसा इसलिए करना पड़ रहा है क्योंकि कंपनी कोर्ट को उकसा रही हैं। मामलें में सुनवाई के दौरा कोर्ट ने सरकार के खिलाफ भी सख्त टिप्पणी की और कहा- पूरे देश को धोखा दिया जा रहा है लेकिन सरकार आंख मूंद कर बैठी है।
पतंजलि को भ्रामक दावों वाले विज्ञापनों को बंद करने का आदेश
इससे पहले 10 जुलाई, 2022 को पतंजलि वेलनेस के एडवर्टाइजमेंट में एलोपैथी पर “गलतफहमियां” फैलाने का आरोप लगाया गया था। जिस मामले में सुनवाई के दौरान 21 नवंबर 2023 को कोर्ट ने कंपनी को लेकर आदेश दिया था कि पतंजलि को सभी भ्रामक दावों वाले विज्ञापनों को तुरंत बंद करना होगा। ऐसा नहीं करने पर कोर्ट कंपनी के हर एक प्रोडक्ट के झूठे दावे पर 1 करोड़ रुपए तक जुर्माना लगएगा। जिसके बाद भी कंपनी ने ऐसा किया है। इसी मामले में सुनवाई हो रही है।
क्या था कोर्ट का आदेश ?
अपने फैसले में कोर्ट ने कंपनी को निर्देश दिया था कि पतंजलि आयुर्वेद ऐसे किसी भी प्रकार का कोई विज्ञापन प्रकाशित नहीं करेगा जिसमें किसी दूसरे की प्रोडक्ट को लेकर कोई भ्रामक जानकारी हो। इसके अलावा कंपनी यह भी सुनिश्चित करेगा कि प्रेस में कंपनी के तरफ से किसी भी प्रकार की कोई कैज़ुअल स्टेटमेंट न दिए जाएं। मामले को लेकर बेंच ने कहा कि कोर्ट मुद्दे को ‘एलोपैथी बनाम आयुर्वेद’ की बहस नहीं बनाना चाहती बल्कि इससे उत्तपन समस्याओं का वास्तविक समाधान ढूंढना चाहती है।