3 Days Off in a Week: ब्रिटेन की एक कंपनी ने हफ्ते में पांच दिन की बजाय तीन दिन छुट्टी का ट्रायल जनवरी 2020 में शुरू किया था। हालांकि इस बात की जानकारी कंपनी ने क्लाइंट को नहीं दी थी।
कंपनी ने वर्कलोड को बैलेंस करने के लिए ऑल्टरनेटिव शिफ्ट की शुरूआत की थी। जिसके तहत कुछ कर्मचारियों को सोमवार से गुरूवार तक काम करने के लिए कहा गया जबकि कुछ मंगलवार से शुक्रवार तक ऑफिस बुलाया गया।
खाद्य और पेय पदार्थों की इस मार्केटिंग कंपनी लक्स का कहना है कि अगर हमारे क्लाइंट्स को काम को लेकर कोई फर्क महसूस होता हुआ नहीं पता चला तो ये बात सबूत है कि हफ्ते में चार वर्किंग डे कारगर साबित हो रहे हैं। वास्तव में हमारे क्लाइंट को इस बारे में नहीं पता चला जो काबिलेतारीफ है।
इस फॉर्मूले की सक्सेस के बाद कंपनी ने चार वर्किंग डे को जनवरी 2020 से कर्मचारियों के कॉन्ट्रेक्ट में एड कर दिया। कंपनी जब इस ट्रायल को शुरू किया तब उसका मुनाफा 30 फीसदी बढ़ गया। इसके साथ ही प्रॉडक्टिविटी भी 24 फीसदी बढ़ी है। कंपनी ने प्रॉडक्टिविटी को मापने के लिए टाइम ट्रैकिंग सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया।
जिससे कर्मचारियों को पहले की तुलना में कम घंटे काम करने से अधिक फायदा हुआ।
कोविड 19 के बाद आया ये अमेजिंग बदलाव
कुछ सालों पहले तक हफ्ते में चार दिनों के कॉन्सेप्ट को डाउटफुल माना जाता था। लेकिन कोविड 19 के बाद से कामकाजी तरीकों में बदलाव आया है और इस कान्सेप्ट (3 Days Off in a Week) को हाथों-हाथ लिया जा रहा है। साथ ही वर्किंग कलचर में इसे क्रांतिकारी बदलाव के रूप में देखा जा रहा है।
साल 1922 में फॉर्ड मोटर कंपनी ने भी इसी तरह के बदलाव को लेकर एक्सपेरिमेंट किया था। हालांकि तब हफ्ते में 6 दिनों की बजाय 5 दिन का एक्सपेरिमेंट किया था। इसके बाद 1926 में ये कंपनी की स्थाई पॉलिसी बन गई।
कई कंपनियों के ट्रायल में हफ्ते में चार दिन काम के कॉन्सेप्ट को सफल बताया गया है। आइसलैंड में 2015 से 2019 में हसी कॉन्सेप्ट को आजमाया गया था, जो काफी बेहतरीन साबित हुआ था।
हफ्ते में चार दिन काम करने (3 Days Off in a Week) के कई फायदे हैं जैसे कि लोगों को कम सफर करना होगा, जो पर्यावरण के लिहाज से भी काफी फायदेमंद है।
मई 2021 में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक हफ्ते में पांच दिन की बजाय चार दिन काम करने से 2025 तक ब्रिटेन में कार्बन उत्सर्जन 127 मैट्रिक टन कम हो सकता है। यह सड़कों से 2.7 करोड़ कारें हटाने के बराबर है।
मुमकिन है कि जल्द ही हर सेक्टर में इस कॉन्सेप्ट को अपनाया जाए।