असम के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व सरमा ने गुरुवार को जनता भवन में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया। इस दौरान मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व सरमा ने असम के कट्टरपंथियों के हॉट बेल्ट इलाके की मस्जिदों के इमामों और मदरसा शिक्षकों पर कड़ी नजर रखे जाने की बात कही है।
उन्होंने कहा कि “असम पुलिस पिछले कुछ समय से बरपेटा और मोरीगांव जिलों में जेहादियों, कट्टरपंथियों के खिलाफ छापेमारी कर रही है। जिसके चलते विभिन्न राज्यों की तुलना में असम में पुलिस जिहादियों के समूह को उखाड़ फेंकने में सक्षम हुई है।
हरकत-उल-मुजाहिद्दीन जिहादी बेस को उखाड़ फेंका
सीएम ने जानकारी देते हुए बताया कि 1999 में असम में हरकत-उल-मुजाहिद्दीन जिहादी बेस को उखाड़ फेंका गया था। 2003-04 में हरकत-उल-इस्लामी, 2011 में जमातुल मुजाहिद्दीन बांग्लादेश, 2018-22 अंसार उल्ला बांग्ला टीम को असम से उखाड़ फेंका गया है। असम पुलिस ने एक महीने में जिहादी माड्यूल अंसार उल्ला बांग्ला टीम के पांच समूहों को उखाड़ फेंका है।
हाल ही में अंसार उल्लाह बांग्ला टीम के एक समूह को 4 मार्च को बरपेटा में पकड़ा गया था। इस दौरान मोहम्मद सुमन को छह सदस्यों के साथ गिरफ्तार किया गया था। जांच में पाया गया कि सभी बांग्लादेशी हैं। अब एनआईए ने इस मामले को अपने हाथ में ले लिया है। 14 अप्रैल को छह लोगों के साथ दूसरे समूह को पकड़ा गया था।
वहीं तीसरे समूह को 15 अप्रैल को बंगाईगांव में पकड़ा गया था। इस दौरान चार लोगों को गिरफ्तार किया गया था। 27 जुलाई को, बरपेटा में एक अन्य समूह का पता लगाया गया था। इस मामले में नौ लोग गिरफ्तार किए गए थे।
जिहादी ठिकानों के बारे में जानकारी मिली
मुख्यमंत्री ने कहा कि मोरीगांव में पकड़ा गया एक समूह बहुत महत्वपूर्ण है। यह समूह एबीटी समूह एक्यूआईएस से जुड़ा हुआ है। हमें मुसलमानों के द्वारा ही कट्टरपंथी या जिहादी ठिकानों के बारे में जानकारी मिली है। उन्होंने कहा कि सभी मुसलमान समान नहीं हैं। मस्जिद में जब तक कोई स्थानीय इमाम नहीं होता है। तब तक बाकी इमाम से परामर्श न करें। डॉ. सरमा ने स्थानीय लोगों से आग्रह किया है कि जब बाहर से कोई इमाम आता है तो इसकी रिपोर्ट पुलिस से करें।
वहीं मुख्यमंत्री ने स्थानीय लोगों से मदरसे में जो कुछ भी पढ़ाया जा रहा है, उस पर नजर रखने का भी आग्रह किया। डॉ. सरमा ने आम मुस्लिम लोगों से आह्वान किया है कि जब बाहरी लोग आपके इलाके में आएं तो स्थानीय पुलिस को तुरंत सूचित करें। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में एबीटी की जेहादियों की गतिविधियां बढ़ रही थीं। उस समय हम कोरोना को रोकने के कार्य में व्यस्त थे।
मस्जिदों के इमाम और मदरसा के शिक्षकों पर कड़ी नजर
उन्होंने कहा कि असम कट्टरपंथियों के हॉट बेल्ट के रूप में परिवर्तित हो चुका है। बड़ी संख्या में जिहादी राज्य में अशांति फैलाने की कोशिश करते रहे। जबकि अन्य उग्रवादी संगठन 15 अगस्त को विस्फोट कर ध्यान आकृष्ट करने की कोशिश करते हैं।
साथ ही मुख्यमंत्री ने राज्य के शांतिप्रिय मुसलमानों से आह्वान किया कि कट्टरपंथी ताकतों को उखाड़ फेंकने में सरकार की मदद करने करें। अब सरकार मस्जिदों के इमाम और मदरसा के शिक्षकों पर कड़ी नजर रखेगी।
उन्होंने बताया कि असम में कम से कम आठ सौ मदरसा, हाफिज मदरसा पांच सौ और बनात मदरसा दो सौ के आसपास हैं। संवाददाता सम्मेलन के दौरान मुख्यमंत्री के साथ राज्य के पुलिस महानिदेशक भास्कर ज्योति महंत एवं असम पुलिस के विशेष डीजीपी जीपी सिंह भी मौजूद थे।