UP: अनुप्रिया और राजा भैया की जुबानी लड़ाई का प्रभाव मिर्जापुर तक पहुंच गया, जहां पटेल समाज को एकजुट करने की बढ़ती उत्सुकता

UP: राजा भैया और अनुप्रिया पटेल के बीच तल्खी बढ़ती जा रही है अपने दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष के राजा वाले बयान के बाद। राजा भैया की पार्टी ने मिर्जापुर में सपा के प्रत्याशी को समर्थन दिया है। प्रतापगढ़ में पटेल मतदाताओं को एकजुट करने का दबाव बढ़ गया।

UP: चुनाव पर केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल और कुंडा के विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया की जुबानी लड़ाई का असर होगा। राजा भैया ने अनुप्रिया UP प्रतापगढ़ सीट पर हमला किया है। अब चर्चा है कि राजा भैया उनके खिलाफ चुनाव प्रचार करेंगे मिर्जापुर में। इसलिए, इन सीटों पर सियासी टकराव कुछ ज्यादा ही बढ़ गई है।

जन सत्ता दल का समर्थन परिवर्तन

मिर्जापुर में जनसत्ता दल लोकतांत्रिक (राजा भैया की पार्टी) ने समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी को अपना समर्थन दिया है। जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के जिलाध्यक्ष संजय मिश्रा ने पत्र लिखकर समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष देवी प्रसाद चौधरी का समर्थन किया। वास्तव में, मामला शुरू हुआ जब जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के अध्यक्ष राजा भैया ने गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद भी अपने समर्थकों को अपनी पसंद के प्रत्याशी को चुनने की बात कही।

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राजा भैया की अमित शाह के साथ मुलाकात

बाद में, उनके समर्थक प्रतापगढ़ में UP सपा प्रत्याशी की बैठकों में भी दिखे। राजा भैया ने प्रतापगढ़ और कौशांबी लोकसभा सीटों के अलावा आसपास की कुछ अन्य सीटों पर भी प्रभाव डाला है। प्रतापगढ़ की दो विधानसभा सीटें, कुंडा और बाबागंज, कौशांबी लोकसभा क्षेत्र में हैं। राजा भैया खुद कुंडा से विधायक हैं, और उनकी पार्टी के विनोद सरोज बाबागंज भी सुरक्षित सीट से विधायक हैं।

राजा भैया का आसपासी सीटों पर प्रभाव

यही कारण है कि कौशांबी की जीत इस पर बहुत निर्भर है। राजा भैया के समर्थकों ने कौशांबी सीट पर सपा प्रत्याशी के पक्ष में मतदान किया, ऐसा कहा जाता है। राजा भैया की इस तरह की प्रतिक्रिया अब प्रतापगढ़ लोकसभा सीट पर भी प्रभाव डाल रही है। भाजपा की सहयोगी अपना दल (एस) की राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल लगातार प्रतापगढ़ सीट पर पटेल बिरादरी को साधने के लिए प्रचार कर रही हैं।

सपा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान, “पैसा देकर बुला रहे भीड़”, पर हमला करते हुए कहा, “BJP के बादशाह..।

कौशाम्बी का महत्व

2014 के लोकसभा चुनाव में गठबंधन से अपना दल के कुंवर हरिवंश सिंह ने जीत हासिल की थी। हाल ही में कुंडा में हुई एक सभा में अनुप्रिया पटेल ने कहा कि “लोकतंत्र में राजा, रानी के पेट से नहीं, ईवीएम से पैदा होते हैं”, जो प्रतापगढ़ की राजनीतिक हलचल बढ़ा दिया। भ्रम दूर करें कि कुंडा एक व्यक्ति की जागीर है। राजा भैया पर अनुप्रिया का निशाना बिना नाम था।

अनुप्रिया पटेल के बयान और प्रतिक्रिया

राजनीतिक विश्लेषक प्रो. सुशील पांडेय का कहना है कि राज्य में जातिगत राजनीति और मतदाता बहुत प्रभावी हैं। मतदाता इस बार भी शांत हैं। जो भी हो, दावे ठाकुर मतदाता धार्मिक है और भाजपा के साथ जाएगा। प्रतापगढ़ और कौशांबी में राजा भैया की नाराज़गी पार्टी नहीं, प्रत्याशियों से है। इन सीटों पर शासन करना चाहते हैं। भाजपा ने जातिगत आधार पर भी टिकट दिए हैं। कुर्मी मतदाता बहुत संगठित है। इसलिए यह खींचतान शायद इसी का परिणाम है। यद्यपि, यहां भी बहुत से ओबीसी और दलित मतदाता भाजपा के साथ हैं।

पटेल मतदाता प्रतापगढ़-मिर्जापुर में निर्णायक

मिर्जापुर में सबसे ज्यादा 3.50 लाख पटेल मतदाता हैं। लेकिन 90 हजार क्षत्रिय हैं साथ ही डेढ़ लाख वैश्य और ओबीसी मतदाता हैं। 2019 के चुनाव में अनुप्रिया पटेल ने 591564 मतों से जीत हासिल की, जबकि सपा के रामचरित्र निषाद ने 359556 मतों से दूसरा स्थान हासिल किया था। प्रतापगढ़ में 16 प्रतिशत ब्राह्मण, 13 प्रतिशत पटेल और 8 प्रतिशत क्षत्रिय हैं।

पिछले चुनाव में संगमलाल गुप्ता ने 436291 मतों से जीत हासिल की थी, जबकि बसपा का अशोक कुमार त्रिपाठी 318539 मतों से दूसरे स्थान पर आया था। राजा भैया के जनसत्ता दल के उम्मीदवार अक्षय प्रताप सिंह ने सिर्फ 46963 मत हासिल किए थे। इसमें जीत का अंतर 1.17 लाख रुपये था। पटेलों ने दोनों सीटों पर क्षत्रिय विचारों को लेकर बहस की है।

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